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कांग्रेस के 5 सांसदों ने मधुसूदन मिस्त्री को पत्र लिखा, अध्‍यक्ष पद के चुनाव के लिए प्रक्रिया की निष्पक्षता पर जताई चिंता

Congress President Election पत्र में कहा गया है कि जब तक पारदर्शिता के बारे में हमारी चिंता की यह मांग पूरी होती है इसके जरिये किसी भी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव में एक अनिवार्य शर्त को पूरा किया जाएगा।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 09 Sep 2022 11:04 PM (IST)Updated: Sat, 10 Sep 2022 07:09 AM (IST)
कांग्रेस के 5 सांसदों ने मधुसूदन मिस्त्री को पत्र लिखा, अध्‍यक्ष पद के चुनाव के लिए प्रक्रिया की निष्पक्षता पर जताई चिंता
कांग्रेस सांसद शशि थरूर और मनीष तिवारी की फाइल यात्रा।

संजय मिश्र, कन्याकुमारी। कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर चिंता जाहिर करते हुए पार्टी के पांच सांसदों ने पार्टी के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री को एक संयुक्त पत्र लिखा है। इन्होंने अध्यक्ष का चुनाव करने वाले प्रदेश निर्वाचक मंडल के प्रतिनिधियों की सूची साझा करने की मांग उठाई है। इन सांसदों में असंतुष्ट खेमे के 23 सदस्यों में शामिल शशि थरूर और मनीष तिवारी के साथ कार्ति चिदंबरम भी शामिल हैं।

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कांग्रेस के लिए परेशानी की बात यह है कि इन सांसदों ने यह मुद्दा ऐसे समय उठाया है जब राहुल गांधी पार्टी के मौजूदा राजनीतिक इतिहास की सबसे बड़ी भारत जोड़ो यात्रा कर रहे हैं। समझा जाता है कि कांग्रेस के इन नेताओं ने मधुसूदन मिस्त्री को यह चिट्ठी भारत जोड़ो यात्रा से ठीक एक दिन पहले लिखी और शुक्रवार देर शाम पार्टी के सियासी गलियारों से इसका मजमून सामने आया।

हमारी मांग को किया जा रहा है गलत तरीके से पेश

थरूर, मनीष के साथ इस साझा पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में असम के दो लोकसभा सदस्य प्रद्युत बोरदोलोई और अब्दुल खालिक शामिल हैं। हालांकि पहले कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के सभी 9,000 से अधिक निर्वाचक मंडल की सूची सार्वजनिक रूप से जारी करने की मांग उठाने के बाद अब प्रदेश निर्वाचक मंडल की सूची मुहैया कराए जाने की मांग अपेक्षाकृत नरम है।

इनका कहना है कि यदि सूची को सार्वजनिक होने से विरोधी इसका दुरुपयोग कर सकते हैं तो इसे पार्टी में अंदरूनी तौर पर मुहैया कराया जाना चाहिए। बता दें कि मिस्त्री ने कहा था कि संगठन चुनाव पार्टी का आंतरिक मामला है और सूची सार्वजनिक होने पर विरोधी उन तक पहुंचने का प्रयास कर सकते हैं और ऐसे में निर्वाचक मतदाता सूची का दुरुपयोग किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा था कि प्रदेश कांग्रेस कार्यालयों में यह सूची मौजूद है और जिसे वहां जाकर देखा जा सकता है। 

मिस्त्री को लिखे उनके पत्र में कहा गया है कि हमारा पक्‍का मत है कि नामांकन प्रक्रिया शुरू होने से पहले पार्टी के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण (सीईए) को प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के प्रतिनिधियों की एक सूची प्रदान करनी चाहिए जो निर्वाचक मंडल बनाते हैं।

मतदाता सूची उपलब्‍ध कराई जाए

सांसदों ने कहा कि यह सूची उपलब्ध कराई जानी चाहिए, ताकि यह सत्यापित किया जा सके कि कौन उम्मीदवार नामित करने का हकदार है और कौन वोट देने का हकदार है। उन्होंने कहा कि यदि सीईए को सार्वजनिक रूप से मतदाता सूची जारी करने के संबंध में कोई चिंता है, तो उसे सभी मतदाताओं और संभावित उम्मीदवारों के साथ इस जानकारी को सुरक्षित रूप से साझा करने के लिए एक तंत्र स्थापित करना चाहिए।

देश भर में मतदाता सूची को सत्यापित करने के लिए निर्वाचकों और उम्मीदवारों से सभी 28 पीसीसी और 9 केंद्र शासित प्रदेशों की इकाइयों में जाने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। सांसदों ने कहा कि यह चुनाव प्रक्रिया से किसी भी तरह की अनुचित मनमानी को दूर करेगा।

चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता के बारे में चिंतित

पत्र में कहा गया है कि जब तक पारदर्शिता के बारे में हमारी चिंता की यह मांग पूरी होती है, इसके जरिये किसी भी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव में एक अनिवार्य शर्त को पूरा किया जाएगा। पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संसद सदस्य के रूप में, वे हमारी पार्टी के अध्यक्ष के लिए चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता के बारे में चिंतित हैं। मनीष तिवारी ने तब इस पर असहमति जताते हुए कहा था कि क्लब के चुनाव में भी ऐसा नहीं होता। ऐसा हुआ तो कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल उठेंगे। शशि थरूर और मनीष तिवारी उन जी- 23 के उन नेताओं के समूह में शामिल थे, जिन्होंने 2020 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर संगठनात्मक बदलाव की मांग की थी। शशि थरूर पार्टी अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने पर विचार कर रहे हैं।

राहुल गांधी ने फिर कांग्रेस अध्यक्ष नहीं बनने के दिए संकेत

भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने दोबारा कांग्रेस अध्यक्ष बनने का संदेह चाहे खत्म नहीं किया हो मगर यह कहते हुए कि 'मैंने निर्णय ले लिया है, मैं मन-मस्तिक से बहुत स्पष्ट हूं, पार्टी के हो रहे चुनाव में यदि मैं खड़ा नहीं हुआ तब जवाब दूंगा' लगभग साफ संकेत दे दिया है कि कांग्रेस अध्यक्ष बनने के लिए वे तैयार नहीं हैं। राहुल के इन इशारों से करीब-करीब यह तस्वीर भी साफ होती दिख रही है कि अध्यक्ष के लिए उनसे इतर कांग्रेस को नए वैकल्पिक चेहरे की तलाश करनी पड़ेगी।


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