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    हरियाणा की हार से सतर्क हुई कांग्रेस, महाराष्ट्र की समीक्षा बैठक में नेताओं को दी चेतावनी; बताया कैसे करना है काम?

    Updated: Mon, 14 Oct 2024 10:30 PM (IST)

    हरियाणा में मिली अप्रत्याशित हार से कांग्रेस हैरान है। मगर पार्टी अब हरियाणा वाली गलती को महाराष्ट्र में दोहराना नहीं चाहती है। इस वजह से समीक्षा बैठक में पार्टी नेताओं को आगाह किया है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने हरियाणा की गलती नहीं दोहराने की चेतावनी दी है। साथ ही नेताओं को संयम बरतने की सलाह भी दी गई है।

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    Maharashtra Elections: राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे। (फाइल फोटो)

    संजय मिश्र, जागरण नई दिल्ली। हरियाणा चुनाव की अप्रत्याशित हार से बदली राजनीतिक परिस्थितियों के मद्देनजर कांग्रेस ने महाराष्ट्र चुनाव के लिए अपनी रणनीति का नए सिरे से आकलन करना शुरू कर दिया है।

    कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने महाराष्ट्र की चुनावी तैयारी की सोमवार को हुई समीक्षा बैठक में 'दूध का जला छांछ भी फूंक कर पीने' के मुहावरे के अनुरूप सूबे के नेताओं को हरियाणा की गलती नहीं दोहराने की साफ चेतावनी देते हुए जातीय-सामाजिक समीकरणों का आकलन कर गहराई से जमीन पर काम करने का निर्देश दिया।

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    सक्रिय हुआ कांग्रेस का नेतृत्व

    पार्टी नेतृत्व ने महाराष्ट्र में सामाजिक समीकरणों की सियासत की समीक्षा कर चुनावी रणनीति को नए सिरे से अमलीजामा पहनाने का निर्णय लिया है। महाराष्ट्र और झारखंड में होने वाले चुनाव में विपक्षी आईएनडीआईए गठबंधन के भविष्य की राजनीति की डगर का बड़ा दारोमदार कांग्रेस पर है और इस दबाव को भांपते हुए ही पार्टी नेतृत्व हरियाणा के परिणामों के बाद काफी सक्रिय दिख रहा है।

    बैठक में राहुल गांधी भी मौजूद रहे

    महाराष्ट्र के शीर्ष पार्टी नेताओं की यह बैठक हरियाणा के परिणामों से बदले हालातों के परिप्रेक्ष्य में ही बुलाई गई थी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में राहुल गांधी भी मौजूद थे। महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता बैठक में शिवसेना यूबीटी और एनसीपी शरद पवार के अपने गठबंधन की जीत की प्रबल संभावनाओं की चर्चा की।

    अति आत्मविश्वास से बचने की चेतावनी

    सूत्रों के अनुसार इस पर राहुल गांधी ने इन नेताओं को अति आत्मविश्वास से बचने की चेतावनी देते हुए हरियाणा में इसकी वजह से हाथ आयी जीत के फिसल जाने की बात कही। समझा जाता है कि इस दौरान हरियाणा में जातीय-सामाजिक समीकरण के जमीनी आकलन में हुई चूक का हवाला भी दिया जिसके कारण अनुकूल माहौल होते हुए भी परिणाम उलट रहे।

    इस लिहाज से महाराष्ट्र में भी कई स्तरों पर चल रही जातीय सियासत के दांव-पेंच का सही तरीके से आकलन कर उन वर्गों के बीच भी पैठ बनाने की नसीहत हाईकमान ने दी जहां भाजपा की अगुवाई वाले महायुति का प्रभाव माना जाता है।

    90 फीसदी सीटों के बंटवारे पर सहमति

    सूत्रों के मुताबिक यह भी कहा गया कि गठबंधन में करीब 90 प्रतिशत सीटों के बंटवारे पर सहमति बन चुकी है। मगर सामाजिक समीकरणों को सुधारने और नई राजनीतिक वास्तविकता के हिसाब से आपस में कुछ सीटों की अदला-बदली के लिए भी तैयार होना होगा। विशेषकर सूबे के ओबीसी वर्ग और मराठों के बीच आरक्षण को लेकर चल रहे गहरे विवाद में कांग्रेस-शिवसेना यूबीटी और एनसीपी शरद को संयुक्त रणनीति अपनाए रखनी पड़ेगी।

    नेताओंको संयम बरतने की सलाह

    समझा जाता है कि इसी लिहाज से महाराष्ट्र चुनाव में आरक्षण और जातीय जनगणना के मुद्दे को कितना और किस स्वरूप में उठाया जाना चाहिए इस पर भी चर्चा हुई। सूत्र ने बताया कि बैठक में हरियाणा के नतीजों के बाद सहयोगी दलों के बदले तेवरों के संदर्भ में भी बातचीत हुई और नेतृत्व ने महाराष्ट्र के अपने नेताओं से संयम बरतने का निर्देश देते हुए कहा कि सीट बंटवारे से लेकर किसी तरह के वाद-विवाद के मसले को केंद्रीय नेतृत्व हल करेगा।

    चुनाव से पहले घोषित नहीं होगा सीएम चेहरा

    पार्टी ने चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने के दबाव में नहीं आने का भी साफ संदेश दिया। महाराष्ट्र के कांग्रेस प्रभारी रमेश चेन्निथेला ने बैठक के बाद इस बारे में पूछे जाने पर पत्रकारों से कहा कि चुनाव से पहले मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने का सवाल ही नहीं है। इस बैठक में महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले, विधायक दल नेता विजय वेडिटटीवार, पूर्व सीएम पृथ्वी राज चव्हाण और कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल भी शामिल थे।

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