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    'एक देश, दो कानून', दिग्विजय सिंह ने सड़कों पर नमाज और कांवड़ यात्रा पर उठाया सवाल, मचा सियासी बवाल

    Updated: Wed, 16 Jul 2025 06:00 PM (IST)

    कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह की एक सोशल मीडिया पोस्ट पर विवाद हो गया है जिसमें उन्होंने कांवड़ यात्रा और नमाज की तस्वीरों के साथ सवाल उठाया कि क्या देश में दो कानून हैं। बीजेपी ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। मंत्री विश्वास सारंग ने दिग्विजय सिंह पर हिंदू धर्म का अनादर करने का आरोप लगाया और उन्हें मौलाना दिग्विजय सिंह करार दिया।

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    कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की पोस्ट पर मचा बवाल। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की एक सोशल मीडिया पोस्ट पर बवाल मच गया है। उन्होंने दो फोटो शेयर कीं, एक में कांवड़ यात्रा से रोड जाम और दूसरे में लोग नमाज पढ़ते हुए दिख रहे हैं।

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    उन्होंने सवाल करते हुए इस पोस्ट का कैप्शन लिखा, "एक देश, दो कानून?" उन्होंने धार्मिक जुलूसों और कथित प्रशासनिक पक्षपात पर सवाल उठाया। इस पर बीजेपी की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई है। एमपी के मंत्री विश्वास सारंग ने तीखा हमला करते हुए दिग्विजय सिंह पर बार-बार सनातन धर्म को निशाना बनाने और हिंदू परंपराओं का अनादर करने का आरोप लगाया।

    'जाकिर नाइक की तारीख, भगवा आतंकवाद और सेना से सवाल'

    सारंग ने कहा, "कांवड़ यात्रा जैसे पवित्र आयोजन को विवादास्पद बनाना उनकी हिंदू विरोधी राजनीति का हिस्सा है। उन्होंने एक बार जाकिर नाइक की तारीफ की थी, सेना पर सवाल उठाए थे और यहां तक कि भगवा आतंकवाद जैसा शब्द भी गढ़ा था- आप उनसे सनातन धर्म के प्रति पूर्वाग्रह के अलावा और क्या उम्मीद कर सकते हैं?"

    विश्वास सारंग ने दिग्विजय सिंह को बताया मौलाना

    बीजेपी नेता सारंग ने कांग्रेस नेता को मौलाना दिग्विजय सिंह करार दिया। उन्होंने कहा, "हिंदू त्योहारों पर अगर इस तरह की टिप्पणियां बार-बार आएंगीं तो इन्हें सहन नहीं किया जाएगा। दिग्विजय को माफी मांगनी चाहिए।"

    कांग्रेस नेता पीसी शर्मा ने दिग्विजय सिंह का किया बचाव

    वहीं, कांग्रेस नेता पीसी शर्मा ने अपनी पार्टी के दिग्गज नेता का बचाव करते हुए कहा कि उनका संदेश संवैधानिक समानता पर आधारित है, जिसकी परिकल्पना डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने की थी। उन्होंने कहा, "उनका कहना सरल था- संविधान सभी के लिए समान है। सार्वजनिक आयोजनों के दौरान मुद्दों का समाधान, चाहे वह कांवड़ यात्रा हो या नमाज, बातचीत के माध्यम से किया जाना चाहिए न कि नागरिकों को परेशान करके।"

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