'UPA सरकार का हर काला कारनामा....', आखिर कांग्रेस के किन दावों की खुली पोल; मोदी सरकार के श्वेत पत्र में क्या है?
मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले यूपीए के दस सालों के कारनामों की लोगों को फिर से याद दिलाई है। साथ ही यह भी बताया है कि 2014 में उन्हें जब सत्ता मिली थी तो उस समय देश के हालात कैसे थे। सरकार ने कांग्रेस की यूपीए सरकार में हुए घोटालों से लेकर कई ऐसी चीजों को इस श्वेत पत्र में बताया है जिससे अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ।
जागरण डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Modi govt White Paper संसद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने यूपीए शासनकाल के आर्थिक कुप्रबंधन के खिलाफ श्वेत पत्र पेश किया। सरकार ने कांग्रेस की यूपीए सरकार में हुए घोटालों से लेकर कई ऐसी चीजों को इस श्वेत पत्र में बताया है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ।
आइए, जानें सरकार के इस श्वेत पत्र में क्या-क्या बताया गया है...
मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले यूपीए शासनकाल के दस सालों के कारनामों की लोगों को फिर से याद दिलाई है। साथ ही यह भी बताया है कि 2014 में उन्हें जब सत्ता मिली थी, तो उस समय देश के हालात कैसे थे। आर्थिक स्थिति कैसी थी।
बैंकिंग घोटालों की झड़ी
- सरकार के श्वेत पत्र में बताया गया कि कैसे कांग्रेस के राज में राजनीतिक हस्तक्षेप से बैंकिंग सैक्टर को काफी नुकसान हुआ।
- इसमें बताया गया कि उस दौरान एनपीए में काफी बड़ा इजाफा हुआ। इसमें कहा गया कि जब अटल बिहारी वाजपेयी सरकार का कार्यकाल खत्म हुआ था, तब एनपीएम 7.8 फीसद था, लेकिन बाद में यह 12.3 हो गया।
- यूपीए सरकार के दौरान आर्थिक कुप्रदबंधन की स्थिति ऐसी थी कि कई समस्यागस्त कर्ज की पहचान भी नहीं की गई। इस दौरान कई बैंकिंग घोटाले भी सामने आए थे।
कोयला खनन घोटाला
- श्वेत पत्र में कहा गया कि यूपीए सरकार में कोयला खनन घोटाला हुआ, जिससे देश को काफी नुकसान हुआ। इसके कारण बिजली उत्पाद के लिए कोयला आयात तक करना पड़ा। देश में एक समय बिजली संकट भी उत्पन्न हो गया।
- मोदी सरकार ने कहा कि हमने इसमें सुधार किया और खनन क्षेत्र में 100 फीसद एफडीआई के रास्ते भी खोले गए, जो नीलामी से लाया गया, न कि पिछले दरवाजे से।
श्वेत पत्र लाने के ये है उद्देश्य
- सरकार ने बताया था कि श्वेत पत्र लाने के पीछे उनके कई उद्देश्य हैं, जैसे संसद सदस्यों और देश की जनता को वर्ष 2014 में सत्ता में आने के दौरान विरासत में मिले संसाधन, आर्थिक स्थिति से अवगत कराना।
- देशवासियों को अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए और अमृतकाल में लोगों के विकास के लिए उठाए गए कदमों से अवगत कराना है।
- राजनीतिक लाभ के बजाय राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखते हुए उठाए गए कदमों को लेकर लोगों में भरोसा जगाना है।
- संभावनाओं और अवसरों की उपलब्धता को देखते हुए देश को नई प्रेरणाओं और नए संकल्पों के साथ राष्ट्रीय विकास के तैयार करना भी इसका उद्देश्य है।
यूपीए और एनडीए सरकार में देश का प्रदर्शन
कांग्रेस ने संसद में मोदी सरकार पर कई बार महंगाई और बेरोजगारी को लेकर हमला बोला है। अब केंद्र सरकार ने श्वेत पत्र के माध्यम से कांग्रेस के दावों की पोल खोलने का काम किया है। इसमें यूपीए सरकार और एनडीए सरकार के काम में अंतर को दिखाया गया है।
क्षेत्र | यूपीए | एनडीए |
महंगाई (प्रतिशत में) | 8.2 | 5.0 |
सकल घरेलू उत्पाद (पीपीपी) | 3,889 | 6,016 |
पूंजीगत व्यय (जीडीपी का फीसद) | 1.7 | 3.2 |
इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात | 7.6 | 22.7 |
विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (अरब डॉलर में) | 305 | 596.5 |
स्टाटर्अप- की संख्या | 350 | 1,17,257 |
मेट्रो रेल वाले शहर | 5 | 20 |
राष्ट्रीय राजमार्ग की लंबाई (हजार किमी) | 25.7 | 54.9 |
रेल दुर्घटनाएं | 233 | 34 |
हवाई अड्डे की संख्या | 74 | 149 |
क्या होता है श्वेत पत्र और स्याह पत्र
श्वेत पत्र किसी विशिष्ट विषय या मुद्दे पर व्यापक जानकारी, विश्लेषण और प्रस्ताव प्रदान करता है। यह अक्सर सरकारों, संगठनों और विशेषज्ञों द्वारा नीति को आकार देने के लिए तैयार किया जाता है। अर्थव्यवस्था की बात करें तो यह राजकोषीय नीति, मौद्रिक नीति, व्यापार नीति और विनिमय दर नीति जैसे विभिन्न विषयों पर पिछले कुछ वर्षों में सरकार की समग्र आर्थिक नीति का वर्णन, मूल्यांकन और विश्लेषण करता है।
इसे सरकार की नीतियां व उपलब्धियां बताने और जनता की प्रतिक्रिया जानने के लिए भी पेश किया जाता है। इसके उलट ब्लैक पेपर (स्याह पत्र) किसी विषय, मुद्दे या नीति पर असहमतिपूर्ण दृष्टिकोण को प्रस्तुत करता है।
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