'देर से उठाया गया सही कदम', कांग्रेस ने कहा- 'यह जीएसटी 1.5, असली 2.0 आना बाकी'
कांग्रेस पार्टी ने जीएसटी कर व्यवस्था में हुए बदलाव को देरी से उठाया गया सही कदम बताया है। मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि कांग्रेस ने इसे गब्बर सिंह टैक्स का नाम दिया था क्योंकि इससे लोगों पर अनुचित बोझ डाला गया था। उन्होंने एक देश एक टैक्स को एक देश नौ टैक्स बनाने का आरोप लगाया।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस ने जीएसटी कर व्यवस्था में हुए बड़े बदलाव के कदम को देरी से उठाया गया सही कदम बताते हुए कहा कि अभी यह ''जीएसटी 1.5'' है और असली ''जीएसटी 2.0'' की प्रतीक्षा जारी रहेगी। साथ ही पार्टी ने जीएसटी ढांचे में परिवर्तन से राज्यों की वित्तीय स्थिति संतुलित बनाए रखने के लिए अगले पांच वर्षों तक के लिए केंद्र की ओर से मुआवजा दिए जाने की मांग भी की है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि जीसटी कर प्रणाली में हुए ताजा सुधार से साफ हो गया है कि लोगों पर टैक्स का अनुचित बोझ लादा गया था और इसीलिए जीएसटी को कांग्रेस ने ''गब्बर सिंह टैक्स''' का नाम दिया था।
'एक देश, एक टैक्स को एक देश, नौ टैक्स बना दिया था'
जीएसटी के सरलीकरण की मांग कांग्रेस द्वारा करीब एक दशक से उठाते रहने की चर्चा करते हुए खरगे ने एक्स पोस्ट में कहा कि मोदी सरकार ने ''एक देश, एक टैक्स'' को ''एक देश, नौ टैक्स'' बना दिया था। कांग्रेस ने अपने 2019 और 2024 के घोषणापत्रों में सरल और तर्कसंगत कर व्यवस्था के साथ जीएसटी 2.0 की पैरोकारी की थी। हमने जीएसटी के जटिल कार्यान्वयन को भी सरल बनाने की मांग की थी जिससे एमएसएमई और छोटे व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुए थे।
खरगे ने कहा कि 28 फरवरी 2005 को कांग्रेस-यूपीए सरकार ने लोकसभा में जीएसटी की औपचारिक घोषणा की और 2011 में तत्कालीन वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी जीएसटी बिल लेकर आए तब भाजपा और उसके मुख्यमंत्री के तौर पर नरेन्द्र मोदी ने जीएसटी का घोर विरोध किया था। आज यही भाजपा सरकार रिकार्ड जीएसटी संग्रह का जश्न मनाती है जैसे कि आम जनता से टैक्स वसूलकर कोई बहुत बड़ा काम किया हो।
जीएसटी पर कांग्रेस ने और क्या-क्या कहा?
- कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि देश के इतिहास में पहली बार किसानों पर मोदी सरकार ने टैक्स लगाया और कृषि क्षेत्र की कम से कम 36 वस्तुओं पर जीएसटी थोपा गया। दूध-दही, आटा-अनाज, यहां तक कि बच्चों की पेंसिल-किताबें, ऑक्सीजन, बीमा और अस्पताल के खर्च जैसी रोजमर्रा की चीजों पर भी जीएसटी थोपा।
- कुल जीएसटी का दो-तिहाई यानी 64 प्रतिशत हिस्सा गरीबों-मध्यम वर्ग की जेब से आता है लेकिन अरबपतियों से केवल तीन प्रतिशत वसूला जाता है। कॉरपारेट टैक्स 30 से घटाकर 22 प्रतिशत कर दी गई है। पिछले पांच वर्षों में इनकम टैक्स वसूली में 240 प्रतिशत की वृद्धि तो जीएसटी वसूली में 177 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
- खरगे ने कहा कि अच्छी बात है कि आठ वर्ष देर से ही सही जीएसटी पर मोदी सरकार की कुंभकर्णीय नींद खुली है। सभी राज्यों को 2024-25 को आधार वर्ष मानकर पांच वर्षों की अवधि के लिए मुआवाजा देने की मांग करते हुए कहा कि दरों में कटौती से उनके राजस्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना तय है।
- कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि निजी खपत में कमी, निजी निवेश की सुस्त
- दरें और अंतहीन वर्गीकरण विवादों के बीच केंद्र सरकार को अब मानना पड़ा है कि जीएसटी 1.0 अपनी अंतिम सीमा पर आ चुका है।
- दरअसल जीएसटी 1.0 की डिजाइन ही त्रुटिपूर्ण थी। इसे गुड एंड सिंपल टैक्स कहा गया लेकिन यह ग्रोथ सप्रेसिंग टैक्स साबित हुआ। जयराम ने कहा कि माना जा रहा है कि जीएसटी कटौती के लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचेंगे मगर यह नया जीएसटी 1.5 ही है और जीएसटी 2.0 का इंतजार अभी है।
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