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    खाद्यान्न निर्यात समझौते पर संकट के बादल, आपूर्ति के तरीके पर तुर्किये के नेता एर्दोगन ने उठाए सवाल

    By Arun Kumar SinghEdited By:
    Updated: Thu, 08 Sep 2022 10:30 PM (IST)

    Food Export Crisis पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के चलते इन देशों से भुगतान प्राप्त करने में भी रूस को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। यही सारी वजह हैं जिनसे पुतिन ने समझौते की समीक्षा की बात कही है।

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    तुर्किये के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन ने कहा

    इस्तांबुल, रायटर। तुर्किये के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र की अगुआई में हुए खाद्यान्न आपूर्ति समझौते के तहत रूस के खाद्यान्न का भी सही तरीके से निर्यात होना चाहिए। उन्होंने इस बाबत रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की शिकायत को उचित माना है। बुधवार को पुतिन ने काला सागर के रास्ते यूक्रेन से खाद्यान्न निर्यात के समझौते की समीक्षा करने के संकेत दिए थे।

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    रूस को खाद्यान्न निर्यात में हो रही परेशानी

    विश्व में खाद्यान्न की तेजी से हो रही कमी को दूर करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की अगुआई में जुलाई में रूस, यूक्रेन और तुर्किये के बीच समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत रूस ने फरवरी में यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले की गई काला सागर की नाकेबंदी को खत्म किया था। इसके बाद काला सागर से यूक्रेन के मालवाही जहाजों का आवागमन शुरू हुआ था। इन जहाजों की सुरक्षा की गारंटी रूस और यूक्रेन के मित्र देश तुर्किये ने ली थी। समझौता लागू होने के बाद यूक्रेन का खाद्यान्न बड़े पैमाने पर निर्यात होने लगा, लेकिन रूस को खाद्यान्न भेजने के रास्ते और उसका मूल्य प्राप्त करने में मुश्किल होती रही।

    समझौता टूटा तो दुनिया में महंगाई बढ़ना तय

    यूक्रेन के खाद्यान्न के बड़े खरीदार अमेरिका और उसके सहयोगी देश हैं जबकि रूस के खरीदार अरब, एशिया और अफ्रीका के देश। पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के चलते इन देशों से भुगतान प्राप्त करने में भी रूस को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। यही सारी वजह हैं जिनसे पुतिन ने समझौते की समीक्षा की बात कही है। यूरोप की गैस आपूर्ति बंद करने के रूस के फैसले के बाद हाल के दिनों में रूस और पश्चिमी देशों के बीच तनाव बढ़ा है। ऐसे में लगता है कि 120 दिन के लिए हुआ खाद्यान्न समझौता समयसीमा से पहले ही खत्म हो सकता है।

    अगर ऐसा हुआ तो महंगे तेल और गैस की समस्या से जूझ रही दुनिया फिर से खाद्यान्न संकट से घिर जाएगी। इससे महंगाई ज्यादा बढ़ने और भुखमरी का खतरा भी पैदा हो जाएगा। एर्दोगन ने कहा है कि समझौते के तहत निर्यात हो रहा खाद्यान्न अमीर देशों को मिल रहा है, गरीब देशों को नहीं मिल पा रहा है। जाहिर है कि एर्दोगन जिन अमीर देशों की बात कर रहे हैं वे अमेरिका और उसके सहयोगी देश हैं जो यूक्रेन से खाद्यान्न खरीद रहे हैं।