Karnataka Assembly Election: कर्नाटक में भाजपा के लिए सत्ता बचाने के साथ वोट शेयर बढ़ाने की भी चुनौती
कर्नाटक विधानसभा चुनावों में भाजपा के लिए इस बार सरकार बचाने के साथ ही वोट शेयर बढ़ाने की भी चुनौती होगी। दो बार सत्ता में आने और तीन बार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनने के बावजूद भाजपा का वोट शेयर कांग्रेस की तुलना में कम रहा है। File Photo
नीलू रंजन, नई दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा चुनावों में भाजपा के लिए इस बार सरकार बचाने के साथ ही वोट शेयर बढ़ाने की भी चुनौती होगी। दो बार सत्ता में आने और तीन बार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनने के बावजूद भाजपा का वोट शेयर कांग्रेस की तुलना में कम रहा है।
कांग्रेस से आगे निकलने की कोशिश में भाजपा
वोटों के माइक्रो मैनेजमेंट के सहारे भाजपा इस बार वोट शेयर के मामले में भी कांग्रेस से आगे निकलने की कोशिश में जुटी है। 1999 से 2018 तक के पांच विधानसभा चुनावों को देखें तो भाजपा का वोट प्रतिशत लगभग 19.89 प्रतिशत से 36 फीसद के बीच रहा है। वहीं, कांग्रेस को मिला वोट प्रतिशत लगभग 34.8 प्रतिशत से 40.8 प्रतिशत के बीच रहा है।
यह अलग बात है कि कम वोट प्रतिशत के बावजूद भाजपा अधिक सीटें जीतने और दो बार सत्ता में आने में सफल रही है। 1999 के विधानसभा चुनाव से ही कर्नाटक में भाजपा, कांग्रेस और जेडीएस तीन अहम पार्टियां रही हैं और इन तीनों के बीच वोट के बंटवारे के आधार पर ही सरकारें बनती, बिगड़ती रही हैं।
पिछले चुनाव में कांग्रेस को मिला था 39 फीसद वोट
2018 के पिछले विधानसभा चुनाव को देखें तो कांग्रेस 39 फीसद वोट हासिल करने के बावजूद महज 80 सीटें जीतने में सफल रही, जबकि भाजपा उससे कम 36.2 प्रतिशत वोट के साथ 104 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बन गई। वहीं 18.7 प्रतिशत वोट और 37 सीटों के साथ जेडीएस तीसरी स्थान पर रही।
2013 में भाजपा का वोट प्रतिशत 19.9 और सीटें 40 तक सिमट कर रह गई थीं। इसके पहले 1999 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 20.7 प्रतिशत वोट और 44 सीटें मिली थीं, जो 2004 में बढ़कर 28.3 प्रतिशत वोट और 79 सीटें हो गईं। भाजपा का सबसे बढ़िया प्रदर्शन 2008 में रहा, जब पार्टी को 33.9 प्रतिशत वोट और 110 सीटें मिलीं, जबकि 34.8 प्रतिशत वोट के बावजूद कांग्रेस 80 सीट ही जीत पाई।
कर्नाटक में तीसरे बड़े राजनीतिक दल जेडीएस के वोट शेयर पर कांग्रेस और भाजपा दोनों की निगाहें हैं। 1999 में जनता दल से टूटकर पहली बार चुनाव अखाड़े में उतरी जेडीएस 13.5 प्रतिशत वोट और 18 सीटों के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सफल रही। उसका वोट शेयर 2013 तक 20 प्रतिशत के आसपास बना रहा। 2004 में 20.8 प्रतिशत वोट और 58 सीटें मिली। 2008 में 19 प्रतिशत वोट मिले।