Move to Jagran APP

कांग्रेस की 'गठबंधन' कमजोरी का फायदा उठाने में चूकना नहीं चाहती बसपा

बसपा कांग्रेस पर तीनों राज्यों के चुनाव में भी तालमेल की वकालत कर रही है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 28 Jul 2018 07:59 PM (IST)Updated: Sat, 28 Jul 2018 07:59 PM (IST)
कांग्रेस की 'गठबंधन' कमजोरी का फायदा उठाने में चूकना नहीं चाहती बसपा
कांग्रेस की 'गठबंधन' कमजोरी का फायदा उठाने में चूकना नहीं चाहती बसपा

जागरण ब्यूरो, दिल्ली। मध्यप्रदेश में भाजपा की डेढ़ दशक से कायम सत्ता की बादशाहत को खत्म करने के लिए पूरा जोर लगा रही कांग्रेस और बसपा के बीच चुनावी गठबंधन को लेकर बातचीत निर्णायक दौर में पहुंच गई है। कांग्रेस मध्यप्रदेश में बसपा को कुछ सीटें देने के लिए तो राजी है मगर छत्तीसगढ़ और राजस्थान में तालमेल पर अभी सहमति का रास्ता नहीं निकल पाया है। बसपा साफ तौर पर कांग्रेस से केवल मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन का दबाव बना रही है।

loksabha election banner

कांग्रेस मध्यप्रदेश में बसपा को सीटें देने को राजी मगर राजस्थान-छत्तीसगढ़ में दिक्कत

सूत्रों के अनुसार बसपा के इसी रुख की वजह से कांग्रेस को सियासी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। भाजपा के खिलाफ अगले लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन की एकता का संदेश देने का तर्क देते हुए बसपा कांग्रेस पर तीनों राज्यों के चुनाव में भी तालमेल की वकालत कर रही है। कांग्रेस सूत्रों ने भी माना कि मध्यप्रदेश में बसपा के प्रभाव वाले जिलों में करीब दर्जन भर विधानसभा सीटें तालमेल में छोड़ने का पार्टी का इरादा है। हालांकि बसपा सूबे में दो दर्जन सीटों पर दावा ठोक रही है।

कांग्रेस के रणनीतिकारों का कहना है कि सीटों के दावों को लेकर मध्यप्रदेश में तो मामला सुलझा लिया जाएगा। मगर छत्तीसगढ़ और राजस्थान की कांग्रेस इकाईयां बसपा के लिए सीटें छोड़ने को अभी भी तैयार नहीं हैं और पार्टी नेतृत्व की चुनौती यही हैं।

छत्तीसगढ़ में पार्टी की चिंता की एक वजह वहां सीटों की संख्या के साथ बीते चुनाव में मामूली अंतर से सत्ता मिलने से रह जाने का अनुभव है। कांग्रेस और भाजपा के बीच एक फीसद के कम वोट का अंतर रहा था। ऐसे में कांग्रेस अजित जोगी की वोट काटने की क्षमता की अनदेखी नहीं कर रही और बसपा को उनके खेमे में जाने से रोकना भी चाहती है, लेकिन बसपा को वह इतनी सीट देने का जोखिम भी नहीं लेना चाहती कि उसके कमजोर प्रदर्शन का खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ जाए।

राजस्थान में तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट खुले तौर पर बसपा का कोई प्रभाव नहीं होने की बात कह गठबंधन की गुंजाइश को नकार चुके हैं। वहीं राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा से मुकाबले के लिए विपक्षी दलों को साथ लेने की कांग्रेस की मजबूरी का बसपा पूरा सियासी फायदा लेना चाहती है।

माना जा रहा कि बसपा की इसी रणनीति की वजह से उत्तरप्रदेश में अगले लोकसभा चुनाव को लेकर गठबंधन के स्वरुप पर सपा-बसपा की तो अंदरखाने बात चल रही है मगर कांग्रेस से अभी इस पर कोई चर्चा नहीं हुई।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.