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BRICS Summit 2021: अफगानिस्तान न बने आतंक की एक और पनाहगाह, संयुक्त घोषणा पत्र में सामने आई भारत, रूस और चीन की चिंता

BRICS Summit 2021 ब्रिक्स देशों के प्रमुखों में से सिर्फ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने भाषण में अफगानिस्तान के हालात का सीधे तौर पर जिक्र किया लेकिन सभी देशों की तरफ से बाद में बताया गया कि आंतरिक चर्चा में अफगानिस्तान एक बड़ा मुद्दा रहा।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 09 Sep 2021 05:39 PM (IST)Updated: Fri, 10 Sep 2021 07:35 AM (IST)
BRICS Summit 2021: अफगानिस्तान न बने आतंक की एक और पनाहगाह, संयुक्त घोषणा पत्र में सामने आई भारत, रूस और चीन की चिंता
ब्रिक्स देशों के प्रमुखों की बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की

नई दिल्ली, जागरण ब्‍यूरो। BRICS Summit 2021 : दुनिया के पांच बड़े देशों ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के संगठन ब्रिक्स ने अफगानिस्तान के हालात को लेकर चिंता जताई है और इस देश को आतंकवाद की पनाहगाह बनने से रोकने की अपील की है। संगठन के प्रमुखों की गुरुवार को हुई वर्चुअल बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की।ब्रिक्स की यह 15वीं सालाना बैठक थी और भारत इस साल के लिए इसका अध्यक्ष है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में जानकारी दी कि ब्रिक्स देशों ने आतंकवाद के खिलाफ एक कार्य योजना को स्वीकृति दे दी है। इस कार्य योजना का प्रस्ताव भारत की तरफ से ही किया गया था।

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आतंकवाद के खिलाफ कार्ययोजना को ब्रिक्स की मंजूरी

प्रधानमंत्री ने कहा कि अगले 15 वर्षों के दौरान ब्रिक्स को और मजबूत बनाने का लक्ष्य होना चाहिए। इस तरह से भारत ने स्पष्ट कर दिया कि पिछले तीन वर्षों में अमेरिका के नेतृत्व में क्वाड (चार देशों का संगठन) का अहम सदस्य बनने के बावजूद वह ब्रिक्स को लेकर प्रतिबद्ध है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसेनारो और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति साइरल रामाफोसा की तरफ से भी ब्रिक्स को मजबूत बनाने की प्रतिबद्धता जताई गई।

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पड़ोसी देश के हालात पर गहन चर्चा

बैठक में पुतिन और चिनफिंग ने अपने भाषण में अफगानिस्तान के हालात का सीधे तौर पर जिक्र किया, लेकिन सभी देशों की तरफ से बाद में बताया गया कि आंतरिक चर्चा में अफगानिस्तान एक बड़ा मुद्दा रहा। बाद में जारी घोषणा पत्र में अफगानिस्तान में सत्ता हासिल करने वाले तालिबान से परोक्ष तौर पर उम्मीद जताई गई है कि वहां दूसरे देशों में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने से वाले संगठनों को पनपने नहीं दिया जाएगा। इस तरह रूस, चीन और भारत ने खास तौर पर अपनी चिंताओं को सामने रखा।

घोषणा पत्र में आतंकी संगठनों के नाम नहीं

घोषणा पत्र में आतंकवाद के खिलाफ साझा लड़ाई और वैश्विक स्तर पर और गहरे सहयोग की बात है, लेकिन इस साल के घोषणा पत्र में आतंकी संगठनों के नाम नहीं हैं जिनके खिलाफ ये देश कार्रवाई करने का मुद्दा उठाते रहे हैं। इसमें यह जरूर है कि ब्रिक्स देशों के बीच आतंकवाद के खिलाफ एक रणनीति बनाने पर सहमति बनी है जिसके तहत एक कार्ययोजना को हरी झंडी दिखाई गई है। माना जा रहा है कि भारत अब पाकिस्तान समíथत आतंकी संगठनों के खिलाफ चीन और दूसरे ब्रिक्स देशों का ज्यादा समर्थन हासिल कर सकता है।

अफगानिस्तान को नहीं बनने देंगे नशा उत्पादों के कारोबार का केंद्र

अफगानिस्तान की स्थिति पर चिंता जताते हुए घोषणा पत्र में सभी पक्षों से कहा गया है कि वे शीघ्रता से हिंसा का रास्ता छोड़कर हालात का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से निकालने की कोशिश करें। वहां स्थायित्व के लिए अफगानिस्तान के सभी पक्षों के बीच बातचीत को बढ़ावा देने के साथ ही हाल में हामिद करजई हवाई अड्डे पर हुए आतंकी हमले की निंदा की गई है। उम्मीद जताई गई है कि अफगानिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही अफगानिस्तान को नशा उत्पादों के कारोबार का केंद्र नहीं बनने दिया जाएगा। वहां अफगानी महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए कदम उठाए जाएंगे।

कोरोना के उद्गम का पता लगाएंगे

बैठक में कोरोना महामारी दूसरा एक अहम मुद्दा रहा। पांचों देशों को इस महामारी ने काफी नुकसान पहुंचाया है। संयुक्त घोषणा पत्र में कोरोना महामारी के उद्गम का पता लगाने की भी बात है। इसके लिए विज्ञान आधारित, पारदर्शी, निश्चित समय सीमा वाली और राजनीति से दूर प्रक्रिया का समर्थन किया गया है। इसके अलावा कोरोना वैक्सीन के वितरण में बढ़ रही असमानता पर अफसोस जताया गया है। कोरोना के अनुभव को देखते हुए सदस्य देशों के बीच स्वास्थ्य और बीमारियों से जुड़े दूसरे क्षेत्रों में सहयोग को और बढ़ाने पर सहमति बनी है।

कृषि सहयोग और ग्रीन पर्यटन पर भी बनी सहमति

ब्रिक्स के राष्ट्र प्रमुखों ने आतंकरोधी कार्य योजना के अलावा कृषि क्षेत्र में सहयोग पर कार्य योजना 2021-24, इनोवेशन कार्य योजना 2021-24 और ग्रीन पर्यटन पर बनी सहमति को बड़ी उपलब्धि बताया है।

लंबे समय बाद आमने-सामने आए मोदी-चिनफिंग

मोदी और चिनफिंग लंबे समय बाद एक ही वर्चुअल मंच पर आमने-सामने थे। दोनों देशों के बीच चल रहे सीमा विवाद का साया बैठक में दूर-दूर तक नहीं दिखा। प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक को सफल बनाने में मिले सहयोग के लिए चीन समेत सभी देशों को धन्यवाद दिया। वहीं, चिनफिंग ने भी सफल आयोजन के लिए भारत को धन्यवाद दिया।


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