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    असली 'देशद्रोही' वे हैं, जो सत्ता का दुरुपयोग कर भारतीयों को आपस में बांटते हैं: सोनिया गांधी

    By AgencyEdited By: Achyut Kumar
    Updated: Fri, 14 Apr 2023 11:23 AM (IST)

    कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि असली देशद्रोही वे हैं जो सत्ता का दुरुपयोग कर भारतीयों को आपस में लड़ाते हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार संविधान के संस्थानों का दुरुपयोग कर रही है। इसलिए लोगों को इसे बचाने के लिए काम करना चाहिए।

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    Ambedkar Jayanti 2023 पर सोनिया गांधी ने भाजपा पर साधा निशाना

    नई दिल्ली, पीटीआई। Ambedkar Jayanti 2023: संविधान निर्माता डॉ. बी आर आंबेडकर की जयंती पर कांग्रेस की पूर्व प्रमुख सोनिया गांधी ने सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि सरकार संविधान के संस्थानों का दुरुपयोग कर रही है। लोगों को इस 'व्यवस्थित हमले' से संविधान की रक्षा के लिए कार्य करना चाहिए।

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    सोनिया गांधी ने बताया, 'देशद्रोही' कौन है

    भारत रत्न आंबेडकर की 132वीं जयंती पर एक समाचार पत्र में लेख लिखते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि आज असली 'देशद्रोही' वे हैं, जो भारतीयों को भाषा, जाति, लिंग और धर्म के आधार पर बांटने के लिए अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर रहे हैं।

    संवैधानिक संस्थानों का दुरुपयोग कर रही सरकार

    कांग्रेस संसदीय दल के अध्यक्ष ने कहा, "जैसा कि हम आज बाबासाहेब की विरासत का सम्मान करते हैं, हमें उनकी दूरदर्शी चेतावनी को याद रखना चाहिए कि संविधान की सफलता उन लोगों के आचरण पर निर्भर करती है, जिन्हें शासन करने का कर्तव्य सौंपा गया है।" उन्होंने आरोप लगाया कि आज, सरकार संवैधानिक संस्थानों का दुरुपयोग और उसे नष्ट कर रही है। वह स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय की नींव को कमजोर कर रही है।

    बाबासाहेब ने जाति व्यस्था को 'राष्ट्र-विरोधी' कहा

    सोनिया गांधी ने कहा कि बाबासाहेब ने अपने अंतिम भाषण में चर्चा की कि कैसे जाति व्यवस्था बंधुत्व की जड़ों पर प्रहार करती है। उन्होंने इसे 'राष्ट्र-विरोधी' कहा क्योंकि यह अलगाव, ईर्ष्या, विद्वेष पैदा करती है और भारतीयों को एक-दूसरे के खिलाफ विभाजित करती है। 

    हाशिए पर रहने वालों के लिए आंबेडकर ने लड़ी लड़ाई

    कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि डॉ. आंबेडकर ने दलितों के अधिकारों के साथ-साथ उन सभी व्यक्तियों और समुदायों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी, जो हाशिए पर थे। आज सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने की चुनौतियों ने नया रूप ले लिया है। 1991 में कांग्रेस सरकार द्वारा शुरू किए गए आर्थिक सुधारों ने समृद्धि में वृद्धि की है, लेकिन अब हम बढ़ती आर्थिक असमानता को देख रहे हैं।

    आरक्षण की व्यवस्था को संकुचित कर रहा निजीकरण

    सोनिया गांधी ने तर्क दिया कि सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों का 'लापरवाही से निजीकरण' आरक्षण की व्यवस्था को संकुचित कर रहा है, जो दलितों, आदिवासियों और ओबीसी को सुरक्षा और सामाजिक गतिशीलता प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि नई प्रौद्योगिकियों के आने से आजीविका को खतरा है, लेकिन बेहतर संगठित होने और अधिक समानता सुनिश्चित करने के अवसर भी पैदा हो रहे हैं।

    बाबासाहेब के अंतिम शब्दों को किया याद

    सोनिया गांधी ने संविधान सभा में बाबासाहेब अम्बेडकर के अंतिम शब्दों को भी याद किया,  ''यदि हम संविधान को संरक्षित करना चाहते हैं तो आइए हम संकल्प लें कि हम अपने रास्ते में आने वाली बुराइयों को पहचानने में आलस्य नहीं करेंगे ... और न ही उन्हें दूर करने की हमारी पहल में कमजोर होंगे। देश की सेवा करने का यही एक तरीका है। इससे बेहतर मैं नहीं जानता।'' उन्होंने कहा कि ये शब्द आने वाले वर्षों में हमारा संकल्प होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आंबेडकर का उल्लेखनीय जीवन आज भी सभी भारतीयों के लिए एक स्थायी प्रेरणा बना हुआ है।