सचिन पायलट को लेकर कांग्रेस से नाराज मध्य प्रदेश के गुर्जरों को साध रही भाजपा
उपचुनाव वाले ज्यादातर क्षेत्रों में गुर्जर मतदाताओं की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी इसलिए कांग्रेस भी सजग है।
आनन्द राय, भोपाल। राजस्थान के उप मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से सचिन पायलट को हटाए जाने से मध्य प्रदेश के गुर्जर समाज में भी नाराजगी है। राजस्थान की सीमा से सटे राज्य के जिलों में ज्यादा सरगर्मी है। जल्द ही मप्र में विधानसभा की 26 सीटों पर उपचुनाव होने हैं इसलिए भाजपा गुर्जर समाज की नाराजगी को हवा देने में सक्रिय हो गई है। उपचुनाव की सर्वाधिक सीटें गुर्जर बहुल इलाका ग्वालियर-चंबल संभाग में ही हैं, इसलिए भी भाजपा की मुहिम तेज है।
कंषाना को मंत्री बनाकर भाजपा ने गुर्जर समाज को दिया प्रतिनिधित्व
पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए ऐंदल सिंह कंषाना को शिवराज सरकार में मंत्री बनाकर भाजपा ने गुर्जर समाज को प्रतिनिधित्व दिया है। इसके अलावा भाजपा अपने पुराने गुर्जर नेताओं को आगे कर समीकरण तैयार कर रही है। राजस्थान में चल रही सियासी उठापटक की तपिश मध्य प्रदेश में भी महसूस की जा रही है।
सचिन पायलट की गुर्जर समाज में अच्छी पहचान है
सचिन पायलट का राज्य में सर्वमान्य प्रभाव तो नहीं कहा जा सकता है, लेकिन गुर्जर समाज में उनकी अच्छी पहचान है। कांग्रेस में उन्हें किनारे किए जाने का मुद्दा सुर्खियों में है। सिंधिया से उनकी करीबी जगजाहिर है और पिछले चुनावों में सिंधिया उन्हें गुर्जर वोट साधने के लिए मध्य प्रदेश की चुनावी सभाओं में बुलाते रहे हैं। सिंधिया ने ही सबसे पहले कांग्रेस में सचिन पायलट की उपेक्षा पर टिप्पणी की। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने तो यहां तक कह दिया कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी पार्टी में युवा नेतृत्व उभरने से जलते हैं और इसीलिए वह सिंधिया और पायलट जैसे नेताओं को उभरने नहीं देते।
भाजपा की वर्चुअल बैठकों में गुर्जर समाज के नेताओं के बीच सचिन के उत्पीड़न पर चर्चा
भाजपा की वर्चुअल बैठकों में गुर्जर समाज के नेताओं के बीच सचिन के उत्पीड़न पर गंभीर चर्चा हो रही है। भाजपा की कोशिश कांग्रेस की किरकिरी करने की है। हालांकि मध्य प्रदेश किसान कांग्रेस के अध्यक्ष दिनेश गुर्जर कहते हैं कि गुर्जर समाज में सचिन पायलट की अच्छी छवि है और उन्हें कांग्रेस ने बहुत सम्मान दिया तो उन्हें भी कांग्रेस के साथ रहना चाहिए। वे इससे इन्कार करते हैं कि प्रदेश में गुर्जर समाज में नाराजगी है। हालांकि इस बीच संकेत मिल रहे हैं कि आमजन में संदेश देने के लिए कुछ प्रमुख गुर्जर नेताओं को जल्द ही भाजपा में शामिल कराया जा सकता है। प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय कहते हैं कि भाजपा सभी वर्गों की पसंदीदा पार्टी है। कांग्रेस के विधायक तक इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो रहे हैं।
गुर्जर नेताओं को आगे कर बना रहे समीकरण
वर्ष 2018 में गुर्जर समाज का झुकाव कांग्रेस की ओर था। तब कांग्रेस के टिकट पर कई गुर्जर नेता चुनाव जीते थे। असर यह हुआ कि आइपीएस की नौकरी छोड़कर भाजपा में आए गुर्जर समाज के प्रभावी नेता पूर्व मंत्री रस्तम सिंह मुरैना में कांग्रेस के रघुराज सिंह कंषाना से 20 हजार से अधिक मतों से चुनाव हार गए। अब रघुराज सिंह कंषाना भी भाजपा में हैं। उपचुनाव में कंषाना के पक्ष में रस्तम सिंह की सक्रियता बनी रहे, इसके लिए भाजपा ने मजबूत पहल की है। चार बार विधानसभा चुनाव जीत चुके ऐंदल सिंह कंषाना को मुरैना के सुमावली में उपचुनाव में किस्मत आजमानी है। उपचुनाव वाले ज्यादातर क्षेत्रों में गुर्जर मतदाताओं की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी, इसलिए कांग्रेस भी सजग है। कमल नाथ सरकार में इस समाज से मंत्री रहे हुकुम सिंह कराड़ा से लेकर वरिष्ठ विधायक दिलीप सिंह गुर्जर समेत कई नेताओं को आगे किया जा रहा है।