कोलकाता केस: 'ममता बनर्जी और कोलकाता पुलिस कमिश्नर के फोन रिकॉर्डिंग की जांच हो' बंगाल सरकार पर भड़की बीजेपी
कोलकाता दुष्कर्म और हत्या के मामले में बीजेपी बंगाल की सत्ताधारी ममता सरकार पर हमलावर है। बीजेपी के नेता संबित पात्रा ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रे ...और पढ़ें

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भाजपा ने आरजी कर अस्पताल की दुष्कर्म पीड़िता के पिता द्वारा उठाए गए सवालों पर ममता बनर्जी सरकार से सफाई मांगी है। उन्होंने कई सवाल किए हैं जिसमें यह भी पूछा गया है कि जांच के पहले उनकी पुत्री की मौत को आत्महत्या क्यों बताया गया और उन्हें पैसे देने की कोशिश क्यों हुई।
बीजेपी ने दागे ममता बनर्जी पर सवाल
भाजपा सांसद व प्रवक्ता संबित पात्रा ने इन सवालों को काफी अहम बताते हुए कहा कि दुष्कर्म पीड़िता के परिवार को न्याय नहीं मिला है। भाजपा ने आरोप लगाया कि दुष्कर्म के बाद से लगातार ममता सरकार ने तथ्यों को दबाने की कोशिश की और उसकी कलई धीरे-धीरे खुल रही है।
तथ्यों को छुपाया जा रहा
भाजपा ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कोलकाता पुलिस आयुक्त विनीत गोयल पर तथ्यों को दबाने में संलिप्त होने का आरोप लगाते हुए घटना के बाद 72 घंटों के भीतर उनके बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग निकालकर जांच करने की मांग की। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि ममता सरकार ने अभी तक पीड़िता के पिता के सवालों का जवाब नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि यह पता लगाना जरूरी है कि कोलकाता पुलिस आयुक्त और मुख्यमंत्री के बीच घटना के बाद कितनी बार बात हुई और क्या-क्या निर्देश दिये गए। उनके अनुसार, दोनों के बीच कॉल रिकॉर्डिंग की जांच से ही सच का पता चल सकता है।
आखिरकार ममता सरकार ने एक डीसीपी को पीड़िता के घर भेजकर उसके माता-पिता को खरीदने की कोशिश उस समय की, जब उसकी लाश घर पर ही थी। यही नहीं, पीड़िता के माता-पिता और परिवारजनों की उपस्थिति में टीएमसी के एक पार्षद को उसका स्थानीय अभिभावक बनाकर क्यों एम्बुलेंस पर भेज दिया गया। पीड़िता के माता-पिता पर न सिर्फ दाह-संस्कार जल्दबाजी में करने का दबाव बनाया गया, बल्कि दाह-संस्कार के पूरे समय टीएमसी के विधायक और पार्षद भी मौजूद रहे।
सच्चाई को दबाने की कोशिश
यही नहीं, दाह संस्कार के पैसे पीड़िता के माता-पिता के बजाय किसी और ने दे दिया। संबित पात्रा ने कहा कि दुष्कर्म और हत्या की घटना के बाद पुलिस प्रशासन के रवैये से साफ है कि वह सच्चाई को दबाने की कोशिश कर रहे थे। घटनास्थल सेमिनार हॉल के आसपास पुनर्निर्माण के नाम पर तोड़फोड़ की गई और इसका फैसला घटना के अगले दिन ही लिया गया, जिसकी बैठक में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि प्रधान सचिव को कोई आदेश सिर्फ मुख्यमंत्री ही दे सकता है और यह ममता बनर्जी की संलिप्तता का सबूत है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।