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    BJP Parliamentary Board: भिंडरांवाले को पकड़ने वाले पूर्व IPS हैं इकबाल सिंह, अल्पसंख्यक आयोग के वर्तमान चेयरमैन

    By Amit SinghEdited By:
    Updated: Wed, 17 Aug 2022 04:34 PM (IST)

    BJP Parliamentary Board पूर्व आईपीएस अधिकारी इकबाल सिंह लालपुरा ने रिटायरमेंट के बाद भाजपा ज्वाइन की। 10 वर्ष में ही उन्हें पार्टी ने कई बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी। अब उन्हें संसदीय बोर्ड में शामिल किया गया है। जानते हैं- कौन हैं इकबाल सिंह लालपुरा।

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    BJP Parliamentary Board: भाजपा संसदीय बोर्ड में शामिल हुए इकबाल सिंह लालपुरा। साभार - फेसबुक।

    नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। भारतीय जनता पार्टी ने बुधवार को अपने नए संसदीय बोर्ड (BJP Parliamentary Board) की घोषणा कर दी है। 11 सदस्यीय इस संसदीय बोर्ड में ज्यादातर पुराने और बहुचर्चित नाम शामिल हैं। वहीं नितिन गडकरी और शिवराज सिंह चौहान को नए संसदीय बोर्ड में शामिल नहीं किया गया है। नए संसदीय बोर्ड में एक नाम है पूर्व आईपीएस अधिकारी इकबाल सिंह लालपुरा (Former IPS Iqbal Singh Lalpura) का। पुलिस अधिकारी के तौर पर इकबाल सिंह लालपुरा काफी चर्चित रहे हैं। जानतें हैं कौन हैं इकबाल सिंह लालपुरा?

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    लालपुरा समेत तीन सदस्यीय टीम ने भिंडरांवाले को पकड़ा था

    इकबाल सिंह लालपुरा, उन तीन पूर्व आईपीएस अधिकारियों में से एक हैं, जिन्हें सिख अलगाववादी नेता जरनैल सिंह भिंडरांवाले (Jarnail Singh Bhindranwale) को पकड़ने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। अप्रैल 1981 में उन्होंने मोस्ट वांटेड भिंडरांवाले को पकड़ने में अहम भूमिका निभाई थी। पंजाब को भारत से अलग करने की साजिश रचने वाले जरनैल सिंह भिंडरांवाले ने अपनी गिरफ्तारी के लिए शर्त रखी थी कि सिख धर्म का पालन करने वाला (अमृतधारी) पुलिस अधिकारी ही उसे गिरफ्तार कर सकता है। इसके बाद तत्कालीन डीआईजी इकबाल सिंह लालपुरा, एसएसपी जरनैल सिंह और एसडीएम बीएस भुल्लर की तीन सदस्यीय टीम, भिंडरांवाले की गिरफ्तारी के लिए बनाई गई थी। इन्हीं अधिकारियों ने भिंडरांवाले को गिरफ्तार किया था।

    भिंडरांवाले से बातचीत में निभाई थी अहम भूमिका

    भिंडरांवाले को गिरफ्तार करने से पूर्व सरकारी की तरफ से उससे बातचीत करने में भी पूर्व आईपीएस इकबाल सिंह लालपुरा ने अहम भूमिक निभाई थी। इसी बातचीत में उन्होंने भिंडरांवाले और उसके सहयोगियों को इस हिंसा में मारे गए डीआईजी एएस अतवाल का पार्थिव शरीर सौंपने के लिए मना लिया था। इस हिंसा में भिंडरांवाले समर्थकों ने डीआईजी एएस अतवाल को स्वर्ण मंदिर में मार दिया था। इसके बाद उनका शव भी मंदिर में ही रख लिया था।

    सिख-निरंकारी हिंसा में रहे जांच अधिकारी

    वर्ष 1978 में सिखों और निरंकारियों के बीच हुए टकराव में भी पूर्व आईपीएस इकबाल सिंह लालपुरा जांच अधिकारी बनाए गए थे। इतना ही नहीं पंजाब में जब आतंकवाद का दौर चल रहा था, तब बतौर पुलिस अधिकारी इकबाल सिंह लालपुरा ने बंदूक थामने वाले युवाओं को मुख्य धारा से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई थी। पुलिस कार्यकाल में उनके नाम कई उपलब्धियां दर्ज हैं। पुलिस कार्यकाल में इकबाल सिंह पंजाब के अमृतसर (ग्रामीण), कपुरथला और तरण तारण जिले में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) रह चुके हैं।

    भाजपा ने 10 साल में दी अहम जिम्मेदारियां

    पुलिस सेवा से रिटायरमेंट के बाद वर्ष 2012 में इकबाल सिंह लालपुरा, भाजपा में शामिल हो गए। इसके बाद भाजपा ने उन्हें राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया था। वर्ष 2021 में भाजपा ने उन्हें राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन (National Minorities Commission Chairman) की जिम्मेदारी सौंपी। 28 जनवरी 2022 को उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए इस संवैधानिक पद से इस्तीफा दे दिया था। भाजपा ने पंजाब विधानसभा चुनाव में उन्हें रूपनगर से अपना उम्मीदवार घोषित किया था। हालांकि वह चुनाव हार गए थे। इसके बाद 12 अप्रैल 2022 को अल्पसंख्यक मंत्रालय ने उन्हें दोबारा तीन वर्ष के लिए अध्यक्ष नामित किया और इसके अगले दिन उन्होंने पद संभाल लिया था।

    14 किताबें लिख चुके हैं लालपुरा

    पूर्व आईपीएस अधिकारी और भाजपा नेता के अलावा इकबाल सिंह लालपुरा की पहचान एक लेखक के तौर पर भी है। वह अब तक 14 किताबें लिख चुके हैं। ये सभी किताबें पंजाबी भाषा में सिख और पंजाबी सभ्यता पर आधारित हैं। उन्होंने अपनी किताबों के जरिए गुरु ग्रंथ साहिब की व्याख्या भी की है। पुलिस और साहित्य क्षेत्र में कार्य करने के लिए इकबाल सिंह लालपुरा को कई सम्मान प्राप्त हुए। इसमें राष्ट्रपति का पुलिस पदक, शिरोमणि सिख साहित्यकार पुरस्कार और सिख स्कॉलर अवॉर्ड प्रमुख है।

    अल्पसंख्यक आयोग

    भारत में मुस्लिमों, ईसाईयों, सिक्खों, बौद्धों और पारसियों को अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा प्राप्त है। 27 जनवरी 2014 को केंद्र सरकार ने जैन धर्म के लोगों को भी अल्पसंख्यकों में शामिल कर दिया। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गठित किया जाता है। इसी तरह सभी राज्य सरकारें भी अपने-अपने प्रदेश की राजधानी में राज्य स्तरीय अल्पसंख्यक आयोग गठित करती है। इसका मुख्य उद्देश्य संविधान के अनुसार अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और उनके अधिकारियों को संरक्षित करना है।

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