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    दिल्ली में 27 साल बाद खिला कमल, मोदी की गारंटी पर लोगों को विश्वास; कांग्रेस का मत प्रतिशत बढ़ा

    Updated: Sun, 09 Feb 2025 07:56 AM (IST)

    दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। पिछले चुनाव में 62 सीटों पर जीतने वाली पार्टी महज 22 सीटों पर सिमट गई। अरविंद केजरीवाल समेत कई दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा। भाजपा ने पिछले चुनाव में सिर्फ आठ सीटों पर जीत हासिल की थी। इस बार पार्टी को 40 सीटों का फायदा हुआ है।

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    दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली प्रचंड जीत। ( फोटो- एएनआई )

    राज्य ब्यूरो, जागरण, नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के विधानसभा चुनाव में आखिरकार 27 वर्षों बाद कमल खिल गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली को विश्वस्तरीय राजधानी बनाने के लिए सेवा का एक मौका मांगा था और भरोसा दिया कि दिल्ली को संवारने के लिए वह स्वयं समय देंगे।

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    यह उनकी लोकप्रियता, विश्वसनीयता, आक्रामक चुनाव प्रचार और मजबूत बूथ प्रबंधन का ही नतीजा है कि दिल्लीवालों ने न सिर्फ पूर्ण बहुमत दिया, बल्कि दो-तिहाई बहुमत से ज्यादा सीटें देकर दिल्ली में डबल इंजन की सरकार बना दी।

    भाजपा को 40 सीटों का फायदा

    भाजपा 70 में से 48 सीटें जीतने में सफल रही। यानी वर्ष 2020 के आठ सीटों के मुकाबले इस बार 40 ज्यादा सीटें जीतीं। वहीं, पिछले तीन चुनावों में क्रमश: 28, 67 और 62 सीटें जीतकर सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी को महज 22 सीटें मिलीं, जो उसका अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है।

    आतिशी को छोड़ सभी दिग्गजों को मिली शिकस्त

    भगवा लहर में आप के राष्ट्रीय संयोजक व पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, मंत्री सौरभ भारद्वाज, पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन सहित पार्टी के कई बड़े नेता चुनाव हार गए। मुख्यमंत्री आतिशी को भी कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ा, लेकिन वह लगभग 3,500 मतों से चुनाव जीतने में सफल रहीं। कांग्रेस के प्रदर्शन में सुधार हुआ है। उसका मत प्रतिशत बढ़ा है, लेकिन लगातार तीसरे चुनाव में भी उसका खाता नहीं खुल सका।

    लोकसभा चुनाव के बाद ही शुरू कर दी थी तैयारी

    विधानसभा गठन के बाद वर्ष 1993 में दिल्ली में भाजपा की सरकार बनी थी। पांच साल बाद 1998 में हुए चुनाव में कांग्रेस को सत्ता मिली। उसके बाद से भाजपा सत्ता में वापसी नहीं कर सकी थी। पहले 15 वर्षों तक कांग्रेस और उसके बाद आप की सरकार रही। लोकसभा में अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भी भाजपा विधानसभा चुनाव जीतने से चूक जाती थी।

    वर्ष 2014 व वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सभी सातों सीटें जीतने के कुछ माह बाद हुए विधानसभा चुनावों में उसे बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था। इसलिए पार्टी इस बार सतर्क थी और लोकसभा चुनाव के बाद से ही तैयारी शुरू कर दी थी।

    आप का मजबूत वोट बैंक समझी जाने वाली झुग्गी बस्तियों में पार्टी ने जून से ही जनसंपर्क अभियान शुरू कर दिया था। इसके साथ ही केजरीवाल व आप सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को पार्टी ने मुद्दा बनाना शुरू कर दिया था।

    शराब घोटाला, शीशमहल जैसे मुद्दे जोरशोर से उठाए

    शराब घोटाला और शीशमहल के मामले को पार्टी ने जोरदार ढंग से उठाया। चुनाव प्रचार शुरू होने पर भ्रष्टाचार के आरोपों को और धार दिया गया। पीएम मोदी ने दिल्ली की बदहाली के लिए आप सरकार के भ्रष्टाचार को जिम्मेदार ठहराते हुए इसे आप-दा कहकर संबोधित किया। उन्होंने विश्वस्तरीय दिल्ली बनाने के लिए आप-दा से मुक्ति का आह्वान करते हुए दिल्लीवासियों से सेवा का मौका देने की अपील की।

    मोदी व अन्य नेताओं ने दिल्ली में पानी की समस्या, यमुना की सफाई, प्रदूषण, सीवर व सड़क जैसे मुद्दे भी चुनावी मंच से उठाए। भाजपा का प्रचार गीत भी दिल्ली की बदहाली, समस्याओं व भ्रष्टाचार पर आधारित था।

    आप पर उलटा पड़ा दाव, भाजपा की घोषणा से जुड़ते गए हर वर्ग

    आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पानी की समस्या पर भाजपा को घेरने के प्रयास में हरियाणा सरकार पर यमुना में जहर मिलाने तक का आरोप लगा दिया। यह आरोप आप पर उलटा पड़ गया। मोदी व अन्य नेताओं ने पलटवार करते हुए इसे केजरीवाल का पाप बताया। 12 लाख वार्षिक आय को कर से मुक्त करने और केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा से भाजपा मध्य वर्ग को जोड़ने में सफल रही।

    महिलाओं ने मोदी पर जताया भरोसा

    आखिरकार, आप के मजबूत गढ़ झुग्गी बस्तियों व अनधिकृत कालोनियों में भाजपा अपना जनाधार बढ़ाने में सफल रही। महिलाओं ने मोदी पर विश्वास जताया और पूर्वांचली मतदाता भी भाजपा के साथ खड़े दिखे। मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भी मत बंटा, जिससे मुस्तफाबाद जैसी मुस्लिम बहुल सीट भाजपा के खाते में चली गई।

    संकल्प पत्र से हर वर्ग को साधा

    भाजपा ने संकल्प पत्र में महिलाओं, कर्मचारियों, ऑटो चालकों, युवाओं व छात्रों सहित सभी वर्गों के लिए लोकलुभावन वादे किए। महिलाओं को 2,500 रुपये प्रतिमाह देने की घोषणा की गई और मोदी ने इसे अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस आठ मार्च तक महिलाओं के खाते में डालने की घोषणा भी की। इससे सभी वर्गों को साधने में पार्टी सफल रही।

    पीएम मोदी ने की चार रैलियां

    भाजपा ने आक्रामक चुनाव प्रचार किया। मोदी ने चार चुनावी रैलियां कीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित अन्य केंद्रीय मंत्रियों, योगी आदित्यनाथ समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों व अन्य वरिष्ठ नेताओं ने चुनावी सभाओं को संबोधित किया। बूथ प्रबंधन पर भी विशेष ध्यान दिया गया। दूसरे राज्यों के अनुभवी नेताओं को इसकी जिम्मेदारी दी गई। इन प्रयासों से भाजपा अपने मत में 7.16 प्रतिशत की वृद्धि करने में सफल रही।

    भाजपा को मिले अब तक सबसे अधिक वोट

    भाजपा को 45.66 प्रतिशत मत मिले, जो अब तक के विधानसभा चुनावों में उसे मिले सर्वाधिक मत हैं। इससे पहले, भाजपा को वर्ष 1993 के विधानसभा चुनाव में 42.8 प्रतिशत मत मिले थे। उस समय पार्टी को 49 सीटें मिली थीं। इस बार अधिक मत प्रतिशत मिलने के बाद भी एक सीट कम है।

    दिल्ली में जीत के बाद भी भाजपा का अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। 12 आरक्षित सीटों में से मात्र चार पर भाजपा प्रत्याशी विजयी रहे। यही स्थिति मुस्लिम बहुल सीटों पर भी रही।

    भाजपा की जीत के पांच प्रमुख कारण

    • मोदी की गारंटी... मैं संवारूंगा दिल्ली और अनेक जनकल्याणकारी घोषणाएं।
    • महिला दिवस से पहले महिलाओं के खाते में 2,500 रुपये देने का एलान।
    • आयकर में राहत व केंद्रीय कर्मियों के लिए आठवें वेतन आयोग की घोषणा।
    • छह माह पूर्व से ही झुग्गी झोपड़ियों में भाजपा नेताओं का जनसंपर्क अभियान।
    • आप सरकार के भ्रष्टाचारों को चुनावी मुद्दा बनाने में सफल रही भाजपा।

    आप की हार के पांच प्रमुख कारण

    • शीशमहल व आबकारी घोटाला समेत भ्रष्टाचार के आरोपों में बड़े नेताओं का घिरना।
    • पानी की कमी, गंदा पानी, सीवर जाम और टूटी सड़कों के कारण लोगों में नाराजगी।
    • विकास के कार्य ठप हो जाना और काम न होने के लिए केंद्र को जिम्मेदार ठहराना।
    • यमुना के पानी में जहर मिलाने की बात कहने से पार्टी की जमकर फजीहत होना।
    • झुग्गी वाले मतदाताओं का छिटना और कांग्रेस का कई सीटों पर मजबूती से लड़ना।

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