कर्नाटक में 100 फीसद लिंगायत वोटबैंक पर भाजपा की नजर, पूछा- समुदाय के आरक्षण का कांग्रेस क्यों कर रही विरोध
पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येद्दयुरप्पा के पुत्र और उत्तराधिकारी विजयेंद्र ने कांग्रेस से पूछा है कि उसे सदभावना है तो लिंगायत को दिए गए दो फीसद अतिरिक्त आरक्षण को वापस करने की बात क्यों कर रहे हैं। चुनावी माहौल में कांग्रेस ने ही लिंगायत को बांटने की कोशिश की थी।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: कर्नाटक की आगामी लड़ाई काफी अहम भी होने वाली है और तीखी भी। कांग्रेस और भाजपा दोनों अपने अपने वोटबैंक से बाहर निकलकर विस्तार की तैयारी में है। ऐसे में प्रदेश की राजनीति में सबसे प्रभावशाली लिंगायत वोटबैंक को सौ फीसद अपने पाले में बांधे रखने के लिए भाजपा ने आक्रामक तेवर अपनाया है।
भाजपा ने खोले इतिहास के पन्ने
भाजपा के ही लिंगायत नेता जगदीश शेट्टार और लक्ष्मण सावदी जैसे नेताओं को अपने पाले में लाकर उत्साहित दिख रही कांग्रेस के सामने भाजपा ने इतिहास का पन्ना रख दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येद्दयुरप्पा के पुत्र और उत्तराधिकारी विजयेंद्र ने कांग्रेस से पूछा है कि उसे सदभावना है तो लिंगायत को दिए गए दो फीसद अतिरिक्त आरक्षण को वापस करने की बात क्यों कर रहे हैं। यह भी याद दिलाया है कि चुनावी माहौल में कांग्रेस ने ही वीरशैव और लिंगायत को बांटने की कोशिश की थी। विजयेंद्र ने कहा कि भाजपा ने हमेशा से लिंगायत के साथ साथ सभी वर्ग की चिंता की है और वह एकजुट भाजपा के ही साथ हैं।
कांग्रेस लिंगायत वर्ग के साथ
दो दिन पहले ही शेट्टार कांग्रेस में शामिल हो गए और उन्हें शामिल करने के वक्त कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ साथ प्रदेश अध्यक्ष डी शिवकुमार, संभावित मुख्यमंत्री उम्मीदवार सिद्धरमैया जैसे नेता थे। यह संदेश देने की कोशिश थी कि कांग्रेस लिंगायत वर्ग के साथ है। कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची में भी तीन दर्जन ज्यादा लिंगायत हैं।
कांग्रेस ने कभी नहीं की लिंगायत सीएम की बात
बताया जाता है कि पार्टी के सबसे प्रभावी लिंगायत नेता येद्दयुरप्पा के घर पर एक बैठक आयोजित हुई और लिंगायत के प्रति कांग्रेस के दुर्व्यवहार को जनता के सामने रखने की रणनीति तय हुई। गुरुवार को विजयेंद्र एक के बाद एक कई ट्वीट में कहा कि पिछले 50 साल मे कांग्रेस ने कभी लिंगायत मुख्यमंत्री की बात नहीं की। कुछ महीने के लिए वीरेंद्र पाटिल अपनी क्षमता के कारण मुख्यमंत्री जरूर बने थे लेकिन राजीव गांधी ने उन्हें हटा दिया था। कांग्रेस में उन्हें अपमानित किया गया था।
कैबिनेट में होगा लिंगायतों का प्रतिनिधित्व
आज भी जब लिंगायत के आरक्षण में दो फीसद की बढ़ोत्तरी की गई तो कांग्रेस को नहीं पच रहा है। सरकार बनने पर वह आरक्षण खत्म कर वह अल्पसंख्यकों को लौटाना चाहती है। दूसरी तरफ भाजपा में पांच दर्जन से ज्यादा लिंगायत उम्मीदवार हैं। कैबिनेट में भी लिंगायतों का ज्यादा प्रतिनिधित्व होगा। गौरतलब है कि प्रदेश में लिंगायत वोट लगभग 18 फीसद है। इनका बड़ा हिस्सा हमेशा से भाजपा के खाते में जाता रहा है।
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