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    'दुबे और शर्मा के बयानों से BJP का लेना-देना नहीं', सुप्रीम कोर्ट की आलोचना से भाजपा ने किया किनारा

    By Agency Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Sun, 20 Apr 2025 07:15 AM (IST)

    भाजपा ने शनिवार को अपने सांसदों निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा द्वारा सुप्रीम कोर्ट और भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की तीखी आलोचना से खुद को अलग ...और पढ़ें

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    भाजपा ने दुबे द्वारा सुप्रीम कोर्ट की आलोचना से खुद को अलग किया (फाइल फोटो)

    पीटीआई, नई दिल्ली। भाजपा ने शनिवार को अपने सांसदों निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा द्वारा सुप्रीम कोर्ट और भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की तीखी आलोचना से खुद को अलग कर लिया और इतना ही नहीं पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने टिप्पणियों को उनके निजी विचार बताते हुए खारिज कर दिया।

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    नड्डा ने एक्स पर एक पोस्ट कही ये बात

    नड्डा ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि न्यायपालिका और मुख्य न्यायाधीश पर सांसद निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा की टिप्पणियों से भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है। यह उनकी निजी टिप्पणियां हैं, लेकिन भाजपा न तो उनसे सहमत है और न ही ऐसी टिप्पणियों का कभी समर्थन करती है। उन्होंने लिखा कि भाजपा उनकी टिप्पणियों को पूरी तरह से खारिज करती है।

    इसके साथ ही नड्डा ने कहा कि भाजपा ने हमेशा न्यायपालिका का सम्मान किया है और उसके सुझावों और आदेशों को सहर्ष स्वीकार किया है, क्योंकि एक पक्ष के रूप में उसका मानना ​​है कि शीर्ष अदालत सहित सभी अदालतें हमारे लोकतंत्र का अभिन्न अंग हैं।

    सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी न करने का आदेश जारी

    नड्डा ने यह भी कहा कि उन्होंने दोनों नेताओं और अन्य लोगों को ऐसी टिप्पणियां न करने का निर्देश दिया है। बता दें कि लोकसभा में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट को ही कानून बनाना है तो संसद भवन बंद कर देना चाहिए। उन्होंने सीजेआई खन्ना पर भी निशाना साधा था।

    संविधान के अनुच्छेद 368 का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि कानून बनाना संसद का काम है और सुप्रीम कोर्ट कानूनों की व्याख्या करने के लिए है। कोर्ट सरकार को आदेश दे सकता है, लेकिन संसद को नहीं।

    निशिकांत दुबे ने कोर्ट पर साधा था निशाना

    दुबे की यह टिप्पणी वक्फ (संशोधन) अधिनियम की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बीच आई है। इस अधिनियम को इस महीने के पहले सप्ताह में संसद ने पारित किया था। कोर्ट द्वारा इस अधिनियम के कुछ 'विवादास्पद' प्रविधानों पर सवाल उठाए जाने के बाद केंद्र सरकार ने सुनवाई की अगली तारीख तक उन प्रविधानों को लागू नहीं करने पर सहमति व्यक्त की है।

    ''वक्फ बाय यूजर'' प्रविधान पर कोर्ट की आलोचनात्मक टिप्पणियों पर सवाल उठाते हुए दुबे ने कहा कि इसने अयोध्या में राम मंदिर सहित विभिन्न मंदिरों से जुड़े मामलों में दस्तावेजी सुबूत मांगे हैं, लेकिन मौजूदा मामले में इसी तरह की आवश्यकता को नजरअंदाज किया है।

    भाजपा सांसद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमाओं से आगे जा रहा है। वह इस देश को अराजकता की ओर ले जाना चाहता है। अगर किसी को हर चीज के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना है तो संसद और राज्य विधानसभा को बंद कर देना चाहिए।

    कानून यदि सुप्रीम कोर्ट ही बनाएगा तो संसद भवन बंद कर देना चाहिए- दुबे

    निशिकांत दुबे ने अपने एक्स पोस्ट पर हिंदी में लिखा, 'कानून यदि सुप्रीम कोर्ट ही बनाएगा तो संसद भवन बंद कर देना चाहिए।' हालांकि, इस बाबत उन्होंने विस्तार से कुछ भी नहीं लिखा।

    उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ सुप्रीम कोर्ट पर साधा था निशाना

    गौरतलब है कि भारत के राष्ट्रपति को भेजे गए विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए समयसीमा निर्धारित करने के सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद एक बहस तेज हो गई है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस फैसले पर कड़ी असहमति जताई है। दूसरी ओर, विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति को कोर्ट के निर्देश के साथ-साथ वक्फ (संशोधन) अधिनियम मामले में सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही की सराहना की है।