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    बंगाल फतह के लिए भाजपा की सीट-वार रणनीति बनाना शुरू, 148 का लक्ष्य; मुस्लिम बहुल इलाकों पर रहेगा ध्यान

    Updated: Wed, 10 Dec 2025 07:03 AM (IST)

    बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने पिछले छह वर्षों के चुनावी प्रदर्शन के आधार पर अपनी सीट-वार रणनीति बनानी शुरू कर दी है। भाजपा नेतृत्व यह सपना भी न ...और पढ़ें

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    भाजपा का लक्ष्य 148, रणनीति के केंद्र में पिछली जीती सीटें (फोटो- एक्स)

    राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने पिछले छह वर्षों के चुनावी प्रदर्शन के आधार पर अपनी सीट-वार रणनीति बनानी शुरू कर दी है। भाजपा नेतृत्व यह सपना भी नहीं देख रहा है कि वह राज्य की सभी 294 विधानसभा सीटों पर तृणमूल कांग्रेस को कड़ी टक्कर दे पाएगी।

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    भाजपा लक्ष्य 148 को लेकर आगे बढ़ रही है

    अनौपचारिक बातचीत में बंगाल भाजपा के कई वरिष्ठ नेता यह स्वीकार करते हैं कि मुस्लिम बहुल कम से कम 50 विधानसभा सीटों पर अधिकांश बूथों पर पार्टी के एजेंट बिठाना भी संभव नहीं होगा। भाजपा लक्ष्य 148 को लेकर आगे बढ़ रही है।

    हालांकि, राज्य भाजपा नेतृत्व का दावा है कि इन मुस्लिम बहुल सीटों को गणना से बाहर रखने के बावजूद, वे बंगाल विधानसभा में 'जादुई आंकड़ा' (सरकार बनाने के लिए आवश्यक 148 सीटें) के बहुत करीब पहुंच सकते हैं।भाजपा के इस आत्मविश्वास का आधार वे सीटें हैं, जिन पर पार्टी ने अतीत में कभी न कभी जीत हासिल की है।

    तीन चुनावों का गणित

    भाजपा अपनी चुनावी रणनीति 2019 के लोकसभा, 2021 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनावइन तीन बड़े चुनावों में भाजपा की जीत/बढ़त वाली विधानसभा सीटों के आंकड़े पर केंद्रित कर रही है। 

    तीनों बार जीत व बढ़त वाली 55 सीटें हैं। दो बार जीत व बढ़त और एक बार हार व पीछे ऐसी 38 सीटें हैं औरकेवल एक बार जीत व बढ़त (बाकी दो बार हार व पीछे) ऐसी 53 विधानसभा सीटें हैं। इन तीनों श्रेणियों को मिलाकर सीटों की कुल संख्या 146 पहुंचती है।

    इसके अलावा, भाजपा 1999 के उपचुनाव में अशोकनगर और 2014 के उपचुनाव में बसीरहाट दक्षिण में जीती हुई सीटों को भी 'संभावित' सूची में शामिल कर रही है। इस तरह यह संख्या कम से कम 148 तक पहुंच जाती है, जो कि पश्चिम बंगाल में सरकार बनाने के लिए आवश्यक सीटों का जादुई आंकड़ा है।

    'जादुई आंकड़ा' हासिल करने की योजना

    राज्य भाजपा के पूर्व अध्यक्ष सुकांत मजूमदार का कहना है कि जिन सीटों पर चर्चा हो रही है, वहां पिछले चुनाव में तृणमूल और भाजपा के कुल वोटों का अंतर 10 लाख से भी कम था।

    सुकांत के अनुसार यदि भाजपा इन सीटों पर कुल पांच लाख वोट भी बढ़ा लेती है, तो वह जादुई आंकड़े तक पहुंच जाएगी। यानी हमें प्रति सीट तीन से साढ़े तीन हजार वोट अधिक चाहिए, या टीएमसी के उतने ही वोट कम होने चाहिए। फर्जी वोट हटा दिए जाएं तो तृणमूल का वोट इससे कहीं ज्यादा कम हो जाएगा।

    पुरुलिया के सांसद और राज्य भाजपा महासचिव ज्योतिर्मय महतो का दावा है कि भाजपा की सीट संख्या 163 तक पहुंचेगी। उन्होंने कहा कि इन सीटों पर हमने कभी न कभी जीत हासिल की है, इसका मतलब है कि इन सीटों का जनसांख्यिकीय पैटर्न भाजपा की जीत के लिए अनुकूल है। अगर वोटिंग और गिनती ठीक से हो, तो हमारी न्यूनतम सीट संख्या साफ पता चलती है।

    भाजपा लक्ष्य 148 को लेकर आगे बढ़ रही है

    भाजपा की बढ़त वाली अधिकांश सीटें मतुआ बहुल क्षेत्रों या उत्तर बंगाल में हैं, जैसे बनगांव और राणाघाट लोकसभा के अंतर्गत 14 में से 12 विधानसभा सीटें। इसके अलावा, कोलकाता और आस-पास के कुछ क्षेत्रों में भी सीटें हैं, जहां भाजपा ने लगातार तीन बार नहीं तो कम से कम दो हालिया चुनावों में जीत या बढ़त हासिल की है, जैसे जोड़ासांको, श्यामपुकुर, विधाननगर और हाबरा।

    244 सीटों पर ध्यान केंद्रित करेगी भाजपा

    भाजपा सूत्रों के अनुसार, पार्टी मुस्लिम बहुल 50 सीटों को नकारात्मक सूची में रखकर शेष 244 सीटों पर ध्यान केंद्रित करेगी। राज्य भाजपा के कई पदाधिकारियों का मानना है कि यदि इन 244 सीटों में से 100 सीटें भी हार जाते हैं, तो भी वे 'जादुई आंकड़े' के बहुत करीब रहेंगे।