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    जयंती विशेष: तेज दिमाग लेकिन भावुक थे भारत के मिसाइल मैन कलाम

    By Arti YadavEdited By:
    Updated: Mon, 15 Oct 2018 09:16 AM (IST)

    अब्दुल कलाम का पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम था। उनका जन्म 15 अक्टूबर, 1931, रामेश्वरम, तमिलनाडु में हुआ था।

    जयंती विशेष: तेज दिमाग लेकिन भावुक थे भारत के मिसाइल मैन कलाम

    नई दिल्ली, जेएनएन। भारत के मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की आज जयंती है। कलाम को जनता का राष्ट्रपति कहा जाता था, क्योंकि जनता के लिए उनके दरवाजे हर वक्त खुले रहते थे। उन्हें बच्चों से बेहद लगाव था, वो उन्हें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा देते और देश के लिए सफलता हासिल करने के लिए प्रेरित करते। अब्दुल कलाम कुरान और भगवद् गीता दोनों का अध्ययन करते थे। उन्हें बैलिस्टिक मिसाइल और लांच व्हीकल टेक्नोलॉजी के विकास के लिए भारत के मिसाइल मैन के रूप में जाना जाता है। उनकी सोच और संपूर्ण जीवन देश के लिए प्रेरणास्रोत है।

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    जानिए कौन थे अब्दुल कलाम

    अब्दुल कलाम का पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम था। उनका जन्म 15 अक्टूबर, 1931, रामेश्वरम, तमिलनाडु में हुआ था। वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति, जानेमाने वैज्ञानिक और अभियंता के रूप में देश में जाने जाते हैं। बच्चों से बेहद प्यार करने वाले ए पी जे अब्दुल कलाम ने बहुत सारी किताबें भी लिखी थीं। भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति थे।

    तेज दिमाग लेकिन भावुक थे कलाम

    तेज दिमाग वाले कलाम स्वभाव से बहुत भावुक थे। इसके अलावा कलाम की लेखनी भी कमाल की थी। उन्होंने अपने शोध को चार उत्कृष्ट पुस्तकों में समाहित किया, इन पुस्तकों के नाम है 'विंग्स ऑफ़ फायर', 'इण्डिया 2020- ए विज़न फॉर द न्यू मिलेनियम', 'माई जर्नी' तथा 'इग्नाटिड माइंड्स- अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया'। इन पुस्तकों का कई भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। कलाम भारत के ऐसे विशिष्ट वैज्ञानिक थे, जिन्हें 30 विश्वविद्यालयों और संस्थानों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिल चुकी थी।

    1962 में इसरो के हिस्सा बने

    कलाम 1962 में 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' का हिस्सा बने थे। डॉक्टर अब्दुल कलाम को प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एसएलवी तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल हुआ। 1980 में इन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया था, जिसके बाद ही भारत भी अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया। इसरो लॉन्च व्हीकल प्रोग्राम को परवान चढ़ाने का श्रेय भी इन्हें प्रदान किया जाता है। डॉक्टर कलाम ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी (गाइडेड मिसाइल्स) को भी डिजाइन किया।

    1997 में भारत रत्न से सम्मानित

    भारत रत्न से 1997 में सम्मानित कलाम भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे। 1982 में वे भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में वापस निदेशक के तौर पर आए और उन्होंने अपना सारा ध्यान 'गाइडेड मिसाइल' के विकास पर केन्द्रित किया। जुलाई 1992 में वे भारतीय रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त हुए। उनकी देखरेख में भारत ने 1998 में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल हुआ। कलाम को 1989 में प्रशासकीय सेवा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

    मिसाइल विकास में शानदार योगदान

    रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार के तौर पर उन्होंने अग्नि एवं पृथ्वी जैसी मिसाइलों को स्वदेशी तकनीक से बनाया था। डॉक्टर कलाम जुलाई 1992 से दिसम्बर 1999 तक रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार तथा सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव थे। उन्होंने स्ट्रेटेजिक मिसाइल्स सिस्टम का उपयोग आग्नेयास्त्रों के रूप में किया। इसी प्रकार पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर विस्फोट भी परमाणु ऊर्जा के साथ मिलाकर किया। इस तरह भारत ने परमाणु हथियार के निर्माण की क्षमता प्राप्त करने में सफलता अर्जित की।

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