कौन हैं 124 साल की मिंता देवी, जिन्हें लेकर मचा घमासान; सांसदों ने क्यों पहनी '124 Not Out' वाली टी-शर्ट?
बिहार में वोटर लिस्ट संशोधन को लेकर विपक्षी सांसदों ने संसद परिसर में प्रदर्शन किया। उन्होंने मिंता देवी की तस्वीर और 124 Not Out लिखी टी-शर्ट पहनकर चुनाव आयोग के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का विरोध किया। सांसदों का आरोप है कि मिंता देवी 124 साल की हैं और वोटर लिस्ट में शामिल हैं जबकि असल में वे 35 साल की हैं।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार में वोटर लिस्ट संशोधन को लेकर संसद परिसर में मंगलवार को विपक्षी सांसदों ने अनोखा प्रदर्शन किया। उन्होंने 'मिंता देवी' की तस्वीर और '124 Not Out' लिखी टी-शर्ट पहनकर चुनाव आयोग के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
मामला उस समय चर्चा में आया जब मिंता देवी को 124 साल की पहली बार वोट देने वाली बताया गया, लेकिन जांच में यह दावा गलत निकला। विपक्षी सांसदों का कहना है कि मिंता देवी नाम की महिला 124 साल की हैं और वो पहली बार वोट डालने जा रही हैं, जो बिहार की वोटर लिस्ट में शामिल हैं।
वोट चोर - गद्दी छोड़
— Congress (@INCIndia) August 12, 2025
BJP और चुनाव आयोग मिलकर वोट चोरी कर रहे हैं, जनता के अधिकार छीन रहे हैं।
आज INDIA गठबंधन के सांसदों ने वोट चोरी और SIR के खिलाफ आवाज बुलंद की। वोट चोरी देश के विरुद्ध एक गंभीर अपराध है- इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
📍 दिल्ली pic.twitter.com/uXHCDw4Dkb
मिंता देवी की कितनी है उम्र?
राहुल गांधी ने कहा, "ऐसे मामले अनगिनत हैं, अभी तो पिक्चर बाकी है।" वहीं प्रियंका गांधी ने आरोप लगाया कि वोटरों के के पते और रिश्तेदार के नाम फर्जी हैं। हालांकि, एनडीटीवी ने बताया कि मिंता देवी सिवान जिले की दरौंदा विधानसभा सीट की वोटर हैं और वे असल में सिर्फ 35 साल की हैं। चुनाव आयोग के अधिकारी के अनुसार, उनकी उम्र आवेदन फॉर्म में गलती से गलत दर्ज हो गई थी।
Opposition MPs stage a bold protest at Makar Dwar against Vote Chori and demand transparency in the electoral process!
— Congress (@INCIndia) August 12, 2025
BJP's cowardly dictatorship won't silence us.
✊We'll fight for democracy, the Constitution and people's right to vote!
📍 New Delhi pic.twitter.com/WzjIVyVMpY
बता दें, कांग्रेस, राजद और अन्य विपक्षी दलों के सांसद बिहार में चल रहे SIR के खिलाफ संसद परिसर में प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह प्रक्रिया 'वोट चोरी' की कोशिश है, ताकि विधानसभा चुनाव से पहले मतदाताओं को सूची से हटाया जा सके।
कितने आवेदन हुए प्राप्त?
चुनाव आयोग का कहना है कि 2004 से SIR नहीं हुआ था, जिसकी वजह से कई गैर-योग्य लोग वोटर कार्ड बनवा चुके हैं और कुछ लोगों के पास अलग-अलग सीटों के कई वोटर कार्ड हैं। EC ने बताया कि अभी तक किसी भी राजनीतिक दल ने मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने के लिए औपचारिक शिकायत नहीं दी है।
अब तक 10 हजार 570 आवेदन व्यक्तिगत मतदाताओं से नाम जोड़ने के लिए मिले हैं। ड्राफ्ट वोटर लिस्ट पर लोग और पार्टियां 1 सितंबर तक आपत्ति या दावा दर्ज करा सकते हैं।
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