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    Bihar Politics: तेजस्वी के नाम पर कांग्रेस ने भरी हामी, गठबंधन का गतिरोध तोड़ने के लिए बनाई ये रणनीति

    By Sanjay MishraEdited By: Shubham Tiwari
    Updated: Thu, 23 Oct 2025 08:35 PM (IST)

    राजद के साथ सीटों के बंटवारे पर मतभेद के बावजूद, कांग्रेस ने महागठबंधन की एकता को प्राथमिकता देते हुए तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने इस फैसले का समर्थन किया ताकि गठबंधन में आई सुस्ती को दूर किया जा सके। 

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    तेजस्वी के नाम पर कांग्रेस ने भरी हामी (फाइल फोटो जागरण)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सीटों के बंटवारे में राजद के रूख से असहज होने के बावजूद कांग्रेस ने महागठबंधन की एकजुटता में बिखराव के संदेश को रोकने के साथ ही चुनावी समीकरण साधने की जरूरत को देखते हुए तेजस्वी यादव को गठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने का कदम उठाया है।

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    पक्ष-विपक्ष दोनों खेमों के उम्मीदवारों के नामांकन दाखिल करने के बाद महागठबंधन के चुनाव अभियान में आए ठहराव को खत्म करने के लिए लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी तथा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सूबे के पार्टी नेताओं के एक बड़े वर्ग की प्रतिकूल राय के बावजूद तेजस्वी की सीएम उम्मीदवारी की घोषणा के लिए हामी भर दी।

    दूर होगी अंदरूनी कलह

    कांग्रेस का मानना है कि सीएम चेहरा सामने लाने के बाद महागठबंधन में अंदरूनी संघर्ष की बन रही धारणा जहां टूटेगी वहीं एनडीए के मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर विपक्ष का नैरेटिव सत्ताधारी गठबंधन की परेशानी बढ़ाएगा। राजद के बीच 10 सीटों पर दोस्ताना मुकाबले की वजह से बंद हुए संवाद के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने अंतत: गठबंधन के हित में अपने आक्रामक तेवर नरम करने का फैसला किया।

    लालू प्रसाद और तेजस्वी के साथ सियासी दांव-पेंच में कमजोर साबित हुए बिहार कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावरू के जरिए बात नहीं बन पाने को देखते हुए कांग्रेस नेतृत्व ने राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत को गतिरोध का समाधान निकालने का जिम्मा सौंपा। पार्टी नेताओं के अनुसार हाईकमान को अपने तेवर नरम करने का यह कदम राष्ट्रीय स्तर पर आईएनडीआइए गठबंधन की एकता के अलावा बिहार में महागठबंधन की चुनावी संभावनाओं को जीवंत रखने के लिए करना पड़ा है।

    सीटों को लेकर महागठबंधन के फंसे पेंच और संवादहीनता को एनडीए ने चुनावी मुद्दा बनाना शुरू कर दिया था और लोगों में इसका प्रतिकूल संदेश जाने लगा था। आपसी गतिरोध के कारण महागठबंधन का सियासी ग्राफ राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा के समय एक डेढ महीने पहले जिस मुकाम पर था उससे नीचे आने लगा था। जैसाकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि बिहार में चुनावी नतीजे इसकी वजह से प्रतिकूल होते तो इसका दोष क्षेत्रीय दल हम पर ही मढ़ते और राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन की एकता पर भी इसके छींटे पड़ते।

    राजद के पास इससे मुकरने का विकल्प नहीं

    ऐसे में पार्टी को चुनावी संभावनाएं बढ़ाने के लिए निर्णायक फैसले लेने के अलावा विकल्प नहीं रह गया था। हालांकि राजद की कमान कसने के लिए तेजस्वी को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने के साथ-साथ वीआईपी के मुकेश सहनी समेत दो उपमुख्यमंत्री बनाने की भी घोषणा गहलोत ने मंच से कर दी ताकि राजद के पास इससे मुकरने का विकल्प न रहे। दूसरा डिप्टी सीएम किस पार्टी से होगा इस पर कुछ नहीं कहा गया मगर कांग्रेस नेताओं के अनुसार स्वाभाविक रूप से यह उनकी पार्टी से दूसरा डिप्टी सीएम होगा जो संभवत: दलित समुदाय का होगा।

    एनडीए का मुख्यमंत्री कौन होगा?

    तेजस्वी को सीएम चेहरा घोषित करने की अपरिहार्यता के संबंध में पार्टी के रणनीतिकारों ने तर्क दिया कि गठबंधन का गतिरोध हल होने के अलावा महागठबंधन को चुनाव में अपना नैरेटिव गढ़ने का इससे मौका मिलेगा। अशोक गहलोत तथा अल्लावरू ने यह कहते हुए इसकी शुरूआत भी कर दी कि अमित शाह केवल यह कह रहे कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए चुनाव लड़ रहा मगर मुख्यमंत्री कौन होगा यह साफ नहीं।

    गहलोत ने इस विमर्श को मजबूती देने के लिए पिछले साल महाराष्ट्र चुनाव का उदाहरण भी दिया जिसे भाजपा ने तत्कालीन सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में लड़ने की घोषणा की थी मगर चुनाव बाद पार्टी ने अपने नेता देवेंद्र फडनवीस को सीएम बनाया। बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता किशोर कुमार झा ने इस बारे में कहा कि जनता में यह धारणा बनेगी कि चुनाव बाद नीतीश नहीं एनडीए का सीएम कोई और बनेगा तो इसका चुनावी फायदा महागठबंधन को होगा।

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