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    'चुनाव आयोग को भाजपा मुख्यालय में बैठना चाहिए', बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण को लेकर कांग्रेस का फूटा गुस्सा

    कांग्रेस पार्टी ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण को लेकर चुनाव आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पार्टी का आरोप है कि चुनाव आयोग भाजपा के इशारे पर बिहार के 20 प्रतिशत लोगों को वोट देने से वंचित करने की साजिश रच रहा है। कांग्रेस ने आयोग से फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा है और कानूनी समेत सभी विकल्पों का उपयोग करने की बात कही है।

    By Jagran News Edited By: Piyush Kumar Updated: Thu, 03 Jul 2025 09:31 PM (IST)
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    बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण पर कांग्रेस ने जताई नाराजगी।(फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बिहार में चुनाव से ठीक पहले अचानक मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण कराने के चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सड़क से संसद तक संग्राम छेड़ने का एलान कर दिया है। पार्टी ने दावा किया है कि चुनाव आयोग बिहार के 20 प्रतिशत लोगों को उनके वोट के अधिकार से वंचित करने की साजिश के तहत यह पुनरीक्षण करा लोकतंत्र और संविधान को खतरे में डाल रहा है।

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    भाजपा के इशारे पर काम कर रही चुनाव आयोग

    साथ ही कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर सत्ताधारी भाजपा के इशारे पर काम करने का गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि बिहार के गरीबों, दलितों, वंचितों और राज्य से बाहर रोजी-रोजगार के लिए जाने वाले करोड़ों लोगों को वोटर लिस्ट से बाहर कर मतदान के अधिकार से वंचित करना चाहता है। चुनाव आयोग से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह करते हुए कांग्रेस ने साफ कहा कि इसके खिलाफ संघर्ष में कानूनी समेत उसके सभी विकल्प खुले हैं।

    चुनाव आयोग से विपक्षी आइएनडीआइए दलों के नेताओं की बुधवार को हुई बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के रूख से विपक्ष की पार्टियां बेहद नाखुश और आक्रोशित हैं। कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा, बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश राम और प्रदेश कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अलावरू की गुरूवार को इस मुद्दे पर हुई प्रेस कांफ्रेंस में यह साफ नजर भी आया।

    'आयोग को हर नागरिक के वोट के अधिकार की रक्षा करनी चाहिए'

    पवन खेड़ा ने कहा कि चुनाव आयोग से सत्तारूढ़ पार्टी के इशारे पर नहीं संविधान द्वारा निर्धारित अपनी सीमाओं के भीतर काम करना चाहिए और लोकतंत्र तथा मतदाताओं का ''गुलाम'' बनना चाहिए न कि भाजपा का। बिहार के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को रोकने का आग्रह करते हुए कहा कि एक महीने के भीतर किसी रूप में पुनरीक्षण संभव नहीं है और आयोग को हर नागरिक के वोट के अधिकार की रक्षा करनी चाहिए।

    चुनाव आयोग को भाजपा मुख्यालय में बैठना चाहिए: पवन खेड़ा

    आयोग की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करते हुए खेड़ा ने कहा कि जो कुछ हो रहा उसमें हमें देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए खतरा महसूस हो रहा और यह खतरा सिर्फ विपक्ष नहीं बल्कि हर एक मतदाता के लिए है।

    विपक्षी दलों के साथ मुख्य चुनाव आयुक्त की बुधवार को हुई बातचीत में उनके रवैये पर निशाना साधते हुए कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि चुनाव आयोग से मिलने के बाद हमें लगा कि हम गलत पते पर चले गए हैं। चुनाव आयोग को अपनी इमारत में बैठने की जरूरत नहीं है। भाजपा का एक बड़ा मुख्यालय है उन्हें वहीं एक फ्लोर लेकर बैठना चाहिए।

    पवन खेड़ा ने कहा ''चुनाव आयोग को किसी भी पार्टी के लिए बिचौलिए के रूप में काम नहीं करना चाहिए। हर किसी को अपनी सीमा में काम करना चाहिए, यही लोकतंत्र की परिभाषा है और संविधान ने हर किसी की भूमिका तय कर रखी।''

    चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चेतावनी दी कि सत्ता आनी-जानी है ऐसे में वे भाजपा के गुलाम बनकर क्यों काम कर रहे हैं और नहीं सुधारा तो इतिहास में यह गलत कारणों से याद किया जाएगा।

    बिहार में करोड़ों लोगों का मताधिकार : कांग्रेस

    राजेश राम ने कहा कि चुनाव आयोग ने बुधवार को जिस तरह कहा कि कम से कम 20 प्रतिशत मतदाता सूची के नाम काटे जाएंगे उससे साफ है कि उन्होंने बिहार के करोड़ो लोगों का मताधिकार छीनने का पहले ही मन बना लिया है। पुनरीक्षण पर सवाल उठाते हुए कहा कि अब 19 दिन बचे हैं और इतने बड़े पैमाने पर प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकती क्योंकि राज्य में इतने कर्मचारी ही नहीं है।

    चार लाख से अधिक पद बिहार के 40 विभागों में खाली हैं और आयोग कर्मचारी कहां से लाएगा। राजेश राम ने कहा कि वोटर कार्ड, आधार कार्ड, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस कुछ भी स्वीकार्य दस्तावेज नहीं माना जा रहा और पिता ही नहीं दादा-परदादा के जन्म प्रमाण के दस्तावेज मांगे जा रहे।

    बिहार जैसे पिछड़े राज्य में जहां 88 प्रतिशत से ज्यादा लोगों का जन्म ही पंजीकृत नहीं वहां जन्म प्रमाण पत्र जैसे कागज मांगे जा रहे हैं जिससे साफ है कि यह प्रक्रिया न तो पारदर्शी है और न ही व्यावहारिक बल्कि मतदाताओं को मताधिकार से वंचित करने की एक सुनियोजित साजिश है।

    बिहार में आम लोग बाढ़ और सूखे की चुनौतियों से निपटने की तैयारियों में जुटे हैं और उनके लिए जन्म प्रमाण पत्र जुटाना मुश्किल काम है। कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लवरु ने कहा कि चुनाव आयोग से बची खुची उम्मीदें कल धराशायी हो गईं। प्रधानमंत्री तथा आयोग को चुनौती देते हुए उन्होंने कहा कि इतिहास में एक भी ऐसा उदाहरण बताएं जहां आठ करोड़ लोगों को एक महीने के भीतर अपनी पहचान साबित करनी पड़ी हो जिन्होंने एक साल पहले लोकसभा चुनाव में वोट डाला था। आखिर एक साल में ऐसा क्या हुआ कि अब नए तरीके से हर मतदाता को अपनी पहचान साबित करनी पड़ रही है।

    अलावरू ने कहा कि साफ दिख रहा कि चुनाव आयोग मतदाता सूची से लोगों का नाम हटाने में दिलचस्पी दिखा रहा जिसमें 20 प्रतिशत लोगों से उनके वोट का अधिकार छीनने की कोशिश हो रही है जो संविधान और लोकतंत्र पर गहराते खतरे का संकेत है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इसे कभी स्वीकार नहीं करेगी ओर बिहार के लोग चुनाव आयोग को माफ नहीं करेंगे।