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    Bihar Chunav: नवंबर में हो सकते हैं बिहार विधानसभा चुनाव, दो चरणों में कराने की योजना; कब आएंगे नतीजे?

    Updated: Mon, 22 Sep 2025 09:58 PM (IST)

    बिहार में मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण लगभग पूरा हो गया है अंतिम सूची 30 सितंबर को प्रकाशित होगी। चुनाव आयोग दशहरे के बाद चुनावी तैयारियों का जायजा लेने राज्य का दौरा कर सकता है। सूत्रों के अनुसार बिहार विधानसभा चुनाव दो चरणों में हो सकता है जो 2 से 10 नवंबर के बीच हो सकता है।

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    बिहार विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर तक ही है (फोटो: जागरण)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बिहार में मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण (एसआईआर) का काम लगभग पूरा होने के करीब है। 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची भी प्रकाशित हो जाएगी। दशहरे के बाद चुनावी तैयारियों को परखने के लिए चुनाव आयोग राज्य का दौरा कर सकता है।

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    जो संकेत मिल रहे है, उनमें इस बार बिहार विधानसभा का चुनाव दो चरणों में कराया जा सकता है, जो दो से दस नवंबर के बीच और परिणाम भी 15 नवंबर से पहले घोषित हो सकते है। बिहार विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर तक ही है। यही वजह है कि चुनाव आयोग ने अपनी तैयारियों को तेज कर दिया है।

    चुनाव की तारीख को नवंबर में रखने की योजना

    सूत्रों की मानें तो दशहरे के बाद बिहार के अपने प्रस्तावित दौरे से लौटने के बाद ही वह तुरंत बिहार के चुनाव कार्यक्रम को घोषित कर सकता है, जो सात अक्टूबर के आसपास हो सकती है। वैसे भी अगले महीने दशहरा, दीपावली व छठ जैसे प्रमुख त्योहार को देखते हुए आयोग ने चुनाव की तारीख को नवंबर में रखने की योजना बनाई है।

    इसमें अधिक समय न मिलने के चलते इसे तीन-चार चरणों की जगह सिर्फ दो चरणों में ही कराने की तैयारी है। हालांकि चुनाव आयोग की अधिकारिक घोषणा के बाद ही इसे लेकर पूरी तस्वीर साफ हो सकेगी। गौरतलब है कि राज्य में 2020 में विधानसभा चुनाव तीन चरणों में हुआ था। सूत्रों की मानें तो राज्य के राजनीतिक दल भी इस पक्ष में है, कि बिहार का चुनाव छठ के तुंरत बाद कराया जाए, ताकि त्योहार में जो लोग आए है, वह भी वोट कर सके।

    मतदान प्रतिशत में दिखेगा उछाल

    त्योहार के बाद यदि चुनाव में ज्यादा समय अंतराल किया गया है तो छुट्टी पर आए लोगों के लिए इतना लंबा रुकना मुश्किल है। ऐसे में वापस गए लोगों के लिए मतदान के लिए तुरंत फिर वापस आना कठिन होगा। सूत्रों की मानें तो आयोग इस पहलू को भी ध्यान में रखकर चुनाव की तारीखों का अंतिम रूप देने में जुटा है।

    एसआईआर के दौरान बिहार की मतदाता सूची से जिस तरह से मृत, स्थायी रूप से विस्थापित व दो जगहों से नाम दर्ज कराने वाले मतदाताओं को बाहर का रास्ता दिखाया गया है, उसका असर बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान देखने को मिल सकता है। राज्य में मतदान प्रतिशत में इस बार भारी उछाल देखने को मिल सकता है।

    इसके साथ ही छठ के तुंरत बाद चुनाव कराने से बाहर रहने वाले लोगों के भी मतदान में हिस्सा लेने की उम्मीद है। बिहार के 2020 के विधानसभा चुनाव में करीब 57 प्रतिशत ही मतदान हुआ था, जबकि सियासी तौर पर इस राज्य को सबसे अधिक सक्रिय माना जाता है।

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