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Bhima Koregaon Anniversary: राजनीतिक दलों को कोई आयोजन न करने की हिदायत

महाराष्ट्र में पुणे प्रशासन ने विभिन्न राजनीतिक दलों से ऐतिहासिक कोरेगांव-भीमा में कोई आयोजन नहीं करने की अपील की है। ताकि क्षेत्र में कोई तनाव न हो।

By TaniskEdited By: Published: Mon, 30 Dec 2019 08:36 AM (IST)Updated: Mon, 30 Dec 2019 08:36 AM (IST)
Bhima Koregaon Anniversary: राजनीतिक दलों को कोई आयोजन न करने की हिदायत
Bhima Koregaon Anniversary: राजनीतिक दलों को कोई आयोजन न करने की हिदायत

पुणे, प्रेट्र। Bhima Koregaon Anniversary, महाराष्ट्र में पुणे प्रशासन ने विभिन्न राजनीतिक दलों से ऐतिहासिक कोरेगांव-भीमा में कोई आयोजन नहीं करने की अपील की है। ताकि क्षेत्र में कोई तनाव न हो। रविवार को पुणे के कलेक्टर नवल किशोर राम ने एक प्रेसवार्ता में कहा कि कोरेगांव भीमा युद्ध के वार्षिक समारोह की हमने सारी तैयारी कर ली है।

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कलेक्टर ने यह भी कहा कि हम राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों से अपील करते हैं कि वह इस मौके पर कोई राजनीतिक कार्यक्रम आयोजित नहीं करें। उन्होंने कहा कि समारोह के दौरान खाने-पीने से लेकर शौचालय तक की व्यवस्था रहेगी। समारोह की स्थल की निगरानी ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों से होगी।

सोशल मीडिया पर पुलिस रख रही नजर

कोल्हापुर रेंज के महानिरीक्षक सुहास वारके ने कहा कि कोरेगांव भीमा की वार्षिक समारोह के लिए 10,000 सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। कोरेगांव भीमा पुणे (ग्रामीण) पुलिस के तहत  आता है।  पुणे (ग्रामीण) पुलिस के अधीक्षक संदीप पाटिल ने कहा कि 750 लोगों को ऐहतियाती कदम के रूप में हिरासत में लिया गया है और सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वालों पर नजर रखी जा रही है। अभी तक  25 टिक टॉक वीडियो 15 फेसबुक पेज बंद किए गए हैं, जो आपत्तिजनक थे।

एल्गार परिषद के कार्यक्रम में जातीय हिंसा भड़की थी

ध्यान रहे कि वर्ष 1818 में मराठों की ब्राह्मण पेशवा आर्मी को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने हरा दिया था। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में बड़ी संख्या में दलित सैनिक शामिल थे। इस ऐतिहासिक युद्ध के वार्षिक समारोह को मनाने के लिए लोग कई वर्षों से पटने फाटक में कोरेगांव भीमा विजय स्तंभ पर एकत्रित होते हैं। इस दौरान कुछ वर्ष पहले शांति और सामाजिक सौहार्द भंग हुआ था। कोरेगांव भीमा में ऐतिहासिक युद्ध के 200वें समारोह के दौरान एल्गार परिषद के कार्यक्रम में जातीय हिंसा भड़क गई थी। इसके बाद पुणे की पुलिस ने कई माओवादी नेताओं की गिरफ्तारी की थी।

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