Move to Jagran APP

जब पाकिस्‍तान को कविता के माध्‍यम से अटल ने दी थी चेतावनी आप भी देखें

अटल जी ने अमेरिका की परवाह न करते हुए पाकिस्‍तान को अपनी कलम के माध्‍यम से आड़े हाथों लिया था। अटल बिहारी वाजपेयी जैसी निर्भिकता शायद ही किसी दूसरे भारतीय नेता में देखने को मिलती है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 17 Aug 2018 11:11 AM (IST)Updated: Fri, 17 Aug 2018 11:11 AM (IST)
जब पाकिस्‍तान को कविता के माध्‍यम से अटल ने दी थी चेतावनी आप भी देखें

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। अटल बिहारी वाजपेयी न सिर्फ भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर लोकप्रिय थे बल्कि एक कवि के रूप में भी उनकी एक अलग पहचान थी। बात लोगों की पेरशानियों को उजागर करने की हो या राजनीति पर तंज कसने की सभी में वाजपेयी की कलम धार-दार होती थी। पड़ोसी देश पाकिस्‍तान को लेकर भी उन्‍होंने एक कविता लिखी थी। इसमें उन्‍होंने पाकिस्‍तान को न सिर्फ चेतावनी दी बल्कि यहां तक कहा था कि वह होश में आ जाए नहीं तो इसके दुष्‍परिणाम उसको ही भुगतने होंगे। यह वो दौर था जब पाकिस्‍तान के अमेरिका से संबंध काफी घनिष्‍ठ थे और दोनों के बीच में कई समझौते हुए थे।

loksabha election banner

अटल जी ने अमेरिका की परवाह न करते हुए पाकिस्‍तान को अपनी कलम के माध्‍यम से आड़े हाथों लिया था। अटल बिहारी वाजपेयी जैसी निर्भिकता शायद ही किसी दूसरे भारतीय नेता में देखने को मिलती है। एक मौके पर खुद वाजपेयी ने इसका कविता पाठ किया था। आप भी जानिये आखिर पाकिस्‍तान को लेकर क्‍या थी वो वाजपेयी की कविता

एक नहीं दो नहीं करो बीसों समझौते, पर स्वतंत्रता भारत का मस्तक नहीं झुकेगा।

अगणित बलिदानो से अर्जित यह स्वतंत्रता, अश्रु स्वेद शोणित से सिंचित यह स्वतन्त्रता।

त्याग तेज तपबल से रक्षित यह स्वतंत्रता, दु:खी मनुजता के हित अर्पित यह स्वतन्त्रता।

इसे मिटाने की साजिश करने वालों से कह दो, चिनगारी का खेल बुरा होता है।

औरों के घर आग लगाने का जो सपना, वो अपने ही घर में सदा खरा होता है।

अपने ही हाथों तुम अपनी कब्र ना खोदो, अपने पैरों आप कुल्हाड़ी नहीं चलाओ।

ओ नादान पड़ोसी अपनी आंखे खोलो, आजादी अनमोल ना इसका मोल लगाओ।

पर तुम क्या जानो आजादी क्या होती है? तुम्हे मुफ़्त में मिली न कीमत गयी चुकाई।

अंग्रेजों के बल पर दो टुकडे पाये हैं, मां को खंडित करते तुमको लाज ना आई ?

अमेरिकी शस्त्रों से अपनी आजादी को दुनिया में कायम रख लोगे, यह मत समझो।

दस बीस अरब डालर लेकर आने वाली बरबादी से तुम बच लोगे यह मत समझो।

धमकी, जिहाद के नारों से, हथियारों से कश्मीर कभी हथिया लोगे यह मत समझो।

हमलों से, अत्याचारों से, संहारों से भारत का शीष झुका लोगे यह मत समझो।

जब तक गंगा मे धार, सिंधु मे ज्वार, अग्नि में जलन, सूर्य में तपन शेष,

स्वातंत्र्य समर की वेदी पर अर्पित होंगे अगणित जीवन यौवन अशेष।

अमेरिका क्या संसार भले ही हो विरुद्ध, काश्मीर पर भारत का सर नही झुकेगा

एक नहीं दो नहीं करो बीसों समझौते, पर स्वतंत्र भारत का निश्चय नहीं रुकेगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.