नहीं रहे अटल बिहारी वाजपेयी, सात दिन का राजकीय शोक, श्रद्धांजलि देने वालों का रहा तांता
अटल बिहारी वाजपेयी अब हमारे बीच नहीं रहे। लंबे समय से बीमार चल रहे वाजपेयी को 11 जून को एम्स में भर्ती किया गया था।
नई दिल्ली, जेएनएन। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन गुरुवार शाम 5.05 मिनट पर हो गया। वह 93 साल के थे। एम्स ने गुरुवार शाम को बयान जारी कर बताया कि 'पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 अगस्त 2018 को शाम 05.05 बजे अंतिम सांस ली। पिछले 36 घंटों में उनकी तबीयत काफी खराब हो गई थी। हमने पूरी कोशिश की, पर आज उन्हें बचाया नहीं जा सका।'
वाजपेयी को यूरिन इन्फेक्शन और किडनी संबंधी परेशानी के चलते 11 जून को एम्स में भर्ती कराया गया था। मधुमेह के शिकार वाजपेयी का एक ही गुर्दा काम कर रहा था। एम्स से उनका पार्थिव शरीर उनके निवास कृष्ण मेनन मार्ग पर लाया गया। यहां पर पूर्व प्रधानमंत्री का शव उनके निवास स्थान पर तिरंगे में लपेटा गया। यहां पर लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा, शुक्रवार सुबह नौ बजे अंतिम दर्शन के लिए उनके पार्थिव शरीर को भाजपा मुख्यालय पर लाया जाएगा और एक बजे अंतिम यात्रा शुरू होगी। शाम चार बजे स्मृति स्थल पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने इसके लिए डेढ़ एकड़ जमीन मुहैया कराई है।
देश में सात दिन का राजकीय शोक
केंद्र सरकार ने सात दिन का राजकीय शोक घोषित किया। इस दौरान राष्ट्रीय झंडा आधा झुका रहेगा। केंद्र सरकार के कार्यालयों में आधे दिन की छुट्टी रहेगी। इसके साथ उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, झारखंड और बिहार ने भी सात दिन का राजकीय शोक घोषित किया। पंजाब ने तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया।
स्कूल कॉलेजों में सार्वजनिक अवकाश
उत्तर प्रदेश, दिल्ली, झारखंड, बिहार, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, ओडिशा, कर्नाटक, उत्तराखंड और पंजाब में शुक्रवार को स्कूल, कॉलेज और सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे। हिमाचल प्रदेश ने दो दिन की छुट्टी ऐलान किया। भारतीय उद्योग व्यापार मंडल ने शुक्रवार को दिल्ली के बाजार बंद करने का निर्णय लिया है। आज छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस रेलवे स्टेशन की लाइट्स बंद रहेंगी।
आवास पर श्रद्धांजलि देने वालों का तांता
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, रविशंकर प्रसाद, धर्मेंद्र प्रधान, किरन रीजिजू, पूर्व केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्रा और संघ प्रचारक कृष्ण गोपाल ने श्रद्धांजलि अर्पित की। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार, उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लव कुमार देव और असम के राज्यपाल जगदीश मुखी ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की।
बाद में यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी, कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, अशोक गहलोत, ज्योतिरादित्य सिंधिया, शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे और नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की।
एम्स के मुताबिक, बुधवार सुबह वाजपेयी को सांस लेने में तकलीफ हुई थी। इसके बाद उन्हें जरूरी दवाइयां दी गई थीं, लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया। भाजपा के संस्थापकों में शामिल वाजपेयी 3 बार देश के प्रधानमंत्री रहे। वह पहले ऐसे गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री रहे, जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया। उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
वाजपेयी काफी दिनों से बीमार थे और वह करीब 15 साल पहले राजनीति से संन्यास ले चुके थे। अटल बिहारी वाजपेयी ने लाल कृष्ण आडवाणी के साथ मिलकर भाजपा की स्थापना की थी और उसे सत्ता के शिखर पहुंचाया। भारतीय राजनीति में अटल-आडवाणी की जोड़ी सुपरहिट साबित हुई। अटल बिहारी देश के उन चुनिन्दा राजनेताओं में से एक थे, जिन्हें दूरदर्शी माना जाता था। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में ऐसे कई फैसले लिए जिसने देश और उनके खुद के राजनीतिक छवि को काफी मजबूती दी।