'जब याचिका में मस्जिद तक पहुंच के अधिकार की मांग की गई थी तो...', संभल हिंसा मामले में भड़के ओवैसी ने कोर्ट के फैसले पर क्या कहा?
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने संभल हिंसा को सत्तारूढ़ भाजपा पर एक बार फिर से निशाना साधा है। ओवैसी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के संभल में मस्जिद को लेकर दायर याचिका में पहुंच के अधिकार की मांग की गई थी तो वहां की अदालत ने ढांचे का सर्वेक्षण क्यों कराया? ओवैसी ने कहा कि ऐसे मुद्दे देश को कमजोर करते हैं।

पीटीआई, छत्रपति संभाजीनगर। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने संभल हिंसा को लेकर फिर से सवाल उठाए हैं और पूछा है कि उत्तर प्रदेश के संभल में मस्जिद को लेकर दायर याचिका में पहुंच के अधिकार की मांग की गई थी, तो वहां की अदालत ने ढांचे का सर्वेक्षण क्यों कराया? सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने कहा कि ऐसे मुद्दे देश को कमजोर करते हैं, जबकि देश महंगाई, बेरोजगारी, किसान आत्महत्या जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है।
19 नवंबर को, संभल के सिविल जज (वरिष्ठ डिवीजन) की अदालत ने शाही जामा मस्जिद का एडवोकेट कमिश्नर द्वारा सर्वेक्षण कराने के लिए एकपक्षीय आदेश पारित किया था। यह आदेश हिंदू पक्ष की उस याचिका पर संज्ञान लेने के बाद पारित किया गया था, जिसमें दावा किया गया था कि मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट बाबर ने 1526 में एक मंदिर को ध्वस्त करके कराया था।
24 नवंबर को भड़की थी संभल में हिंसा
24 नवंबर को मस्जिद के न्यायालय द्वारा आदेशित सर्वेक्षण के दौरान हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को संभल की एक ट्रायल कोर्ट को शाही जामा मस्जिद और चंदौसी में इसके सर्वेक्षण से संबंधित मामले की कार्यवाही रोकने का आदेश दिया, साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार को हिंसा प्रभावित शहर में शांति और सद्भाव बनाए रखने का निर्देश दिया।
संभल की घटना पर रविवार को यहां पत्रकारों से बात करते हुए ओवैसी ने कहा, अगर हम याचिका को पढ़ें, तो हमें पता चलता हैं कि इसमें मस्जिद तक पहुंच के अधिकार की मांग की गई है। अगर ऐसा है, तो अदालत ने सर्वेक्षण का आदेश क्यों दिया, जो गलत है। अगर उन्हें प्रवेश की जरूरत है, तो उन्हें मस्जिद में जाकर बैठने से कौन रोकता है?
सर्वेक्षण का आदेश क्यों दिया गया- ओवैसी
हैदराबाद के सांसद ने पूछा, अगर पूजा स्थल अधिनियम के अनुसार, (धार्मिक स्थल का) चरित्र और प्रकृति नहीं बदली जा सकती, तो फिर सर्वेक्षण का आदेश क्यों दिया गया?
गौरतलब है कि हाल ही में एक अदालत ने राजस्थान में अजमेर शरीफ दरगाह को मंदिर घोषित करने की मांग वाली याचिका को भी स्वीकार कर लिया है।
कई विपक्षी नेताओं ने अजमेर दरगाह पर उठे विवाद पर गंभीर चिंता जताई है, जो उत्तर प्रदेश में संभल मस्जिद के संबंध में किए गए इसी तरह के दावों के तुरंत बाद सामने आया है।
अजमेर में दरगाह पर दावों के बारे में पूछे जाने पर ओवैसी ने कहा कि दरगाह 800 साल से मौजूद है और (सूफी कवि) अमीर खुसरो ने भी अपनी किताब में इस दरगाह का जिक्र किया है।
पीएम मोदी उर्स पर भेजते हैं दरगाह में चादर- ओवैसी
उन्होंने जानना चाहा कि अब वे कहते हैं कि यह दरगाह नहीं है। अगर ऐसा है तो यह कहां रुकेगा? यहां तक कि प्रधानमंत्री भी 'उर्स' के दौरान इस दरगाह पर चादर भेजते हैं। मोदी सरकार जब हर साल चादर भेजेगी तो क्या कहेगी?
उन्होंने कहा, यदि बुद्ध और जैन समुदाय के लोग (इस तरह से) अदालत जाएंगे तो वे भी (कुछ) स्थानों पर दावा करेंगे। इसलिए 1991 में एक अधिनियम लाया गया कि किसी धार्मिक स्थल की प्रकृति में बदलाव नहीं किया जाएगा और यह वैसा ही रहेगा जैसा 15 अगस्त 1947 को था।
ओवैसी ने कहा कि ऐसे मुद्दे देश को कमजोर करते हैं और भाजपा नेताओं को ऐसा करना बंद कर देना चाहिए।
उन्होंने कहा, महंगाई, बेरोजगारी, किसानों की आत्महत्या, चीन का शक्तिशाली होना जैसी समस्याएं हैं। लेकिन उन्होंने इसके लिए (धार्मिक स्थलों के सर्वेक्षण के लिए) लोगों को काम पर लगा दिया। बाबरी मामले में फैसले के बाद मैंने पहले भी कहा था कि अब ऐसी और घटनाएं सामने आ सकती हैं।
मोहन भागवत के बयान पर ओवैसी ने साधा निशाना
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को जनसंख्या वृद्धि में कमी पर चिंता व्यक्त की और कहा कि भारत की कुल प्रजनन दर (टीएफआर), यानी एक महिला द्वारा अपने जीवनकाल में जन्म दिए जाने वाले बच्चों की औसत संख्या, कम से कम 3 होनी चाहिए, जो वर्तमान 2.1 से काफी अधिक है।
इस पर एक सवाल के जवाब में ओवैसी ने कहा, अब आरएसएस वालों को शादी करनी शुरू कर देनी चाहिए। उनके (भाजपा) सांसद कहते हैं कि दो से अधिक बच्चे पैदा करने वालों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलना चाहिए। उन्हें एक नीति पर टिके रहना चाहिए।
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