LS Polls: जमीन पर शह-मात की बाजी सजा रहे 'रणनीति के शाह', 400 पार के लिए बनाया ये खास प्लान
Amit Shah पार्टी सूत्र बताते हैं कि 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान संगठन की बैठक में वरिष्ठ नेताओं ने जब कृषि कानून विरोधी आंदोलन की वजह से पश्चिमी ...और पढ़ें

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नए-नए विमर्श और मुद्दों की गर्माहट से गुजर रहे इस लोकसभा चुनाव में भाजपा के शीर्ष रणनीतिकार अमित शाह की नजर 'अबकी बार 400 पार' के लक्ष्य पर स्थिर है। यूं तो स्थानीय समीकरणों की वजह से जटिल माने जाने वाले बंगाल और तेलंगाना जैसे चुनौतीपूर्ण राज्यों की रणनीतिक कमान भी उन्हीं के हाथों में है, लेकिन सर्वाधिक 80 संसदीय सीटों वाले उत्तर प्रदेश का उन्हें 'पालिटिकल डॉक्टर' माना जाता है।
अमित शाह दो मई को लखनऊ में करेंगे बैठक
सपा-बसपा जैसे मजबूत जातीय पकड़ वाले दलों को परास्त कर 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की रिकॉर्ड सफलता के सूत्रधार रहे गृह मंत्री की नजर फिर उसी उत्तर प्रदेश पर विशेष रूप से है, इसलिए वह इस चुनाव में संगठन की तीसरी रणनीतिक बैठक करने के लिए दो मई को फिर लखनऊ पहुंच रहे हैं। सबसे अधिक सीटें होने के कारण इस चुनाव में राजग हो या आइएनडीआइए, दोनों खेमों के लिए उत्तर प्रदेश के चुनावी परिणाम बेहद महत्वपूर्ण हैं।
समीकरणों की समीक्षा करेंगे शाह
जब आइएनडीआइए के रूप में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस मिलकर भाजपा के सामने ताल ठोंक रहे हैं तो वहां शह-मात की बाजी सजाने के लिए अमित शाह भी तैयार हैं। यूं तो कई बैठकें और जनसभाएं वह उत्तर प्रदेश में कर चुके हैं, लेकिन संगठन की रणनीति से जुड़ी कुछ अलग बैठकें भी कर रहे हैं। वहां के समीकरणों की समीक्षा के साथ रणनीति को धरातल पर उतारने का मंत्र दे रहे हैं। इसके लिए वह पहले और दूसरे चरण की सीटों के लिए तीन अप्रैल को मुरादाबाद तो चौथे चरण के लिए 28 अप्रैल को कानपुर में बैठक कर चुके हैं।
वोटिंग के लिए बनाया ये प्लान
अब चौथे चरण के लिए वह संभवत: एक मई को ही लखनऊ पहुंचेंगे। रात्रि विश्राम वहीं करेंगे और दो मई को बैठक। बताया जाता है कि ऐसी बैठकों में शाह प्रदेश के चार पांच मुख्य रणनीतिकारों के साथ साथ लगभग सौ लोगों की बैठक लेते हैं, जो बूथ प्रबंधन से जुड़े होते हैं। पिछली दो बैठकों में जो निचोड़ निकला है वह यह है कि मत फीसद कम होने के बावजूद भाजपा के वोटर पहुंच रहे हैं। लेकिन मार्जिन बढ़ाने के लिए और ज्यादा वोटरों को घर से निकालना होगा।
यूपी में कैसे खिला कमल?
निस्संदेह 2014 में उठी मोदी लहर के साथ चले उत्तर प्रदेश के मतदाता फिर किसी चुनाव में ठिठके नहीं। 2014 के लोकसभा चुनाव में बतौर उत्तर प्रदेश प्रभारी इस राज्य की जिम्मेदारी अपने हाथों में लेने वाले शाह ने न सिर्फ संगठन को ऊर्जीकृत किया, बल्कि बूथ प्रबंधन की अमिट छाप छोड़ी। उसी का परिणाम रहा कि भाजपा को 80 में से 71 (राजग 73) सीटों पर रिकॉर्ड विजय प्राप्त हुई।
राष्ट्रीय स्तर पर अमित शाह की धाक मजबूत
रणनीतिकार के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर उनकी धाक मजबूत हुई और उसके बाद वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिए गए। इसके बावजूद 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव, 2019 के लोकसभा चुनाव और 2022 के विधानसभा चुनाव में भी यूपी की चुनावी रणनीति शाह ने ही संभाली।
चुनाव परिणामों में रणनीतिक सफलता
पार्टी सूत्र बताते हैं कि 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान संगठन की बैठक में वरिष्ठ नेताओं ने जब कृषि कानून विरोधी आंदोलन की वजह से पश्चिमी उत्तर प्रदेश को विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण बताया तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी खुद गृह मंत्री ने आगे बढ़कर ली और चुनाव परिणामों ने उनकी रणनीतिक सफलता पर मुहर भी लगाई।

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