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Amit Shah Big Decisions:गृह मंत्री अमित शाह के वे 5 बड़े फैसले, जो साबित हुए मील के पत्‍थर

Amit Shah Big Decisions अमित शाह के नेतृत्‍व में संसद में पांच अगस्त 2019 को जम्‍मू- कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाला अनुच्‍छेद 370 (Article 370) हटाया गया। उससे पहले इस कानून का हटाना लगभग असंभव माना जाता था।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 28 Sep 2022 04:48 PM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2022 04:48 PM (IST)
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की फाइल फोटो।

नई दिल्‍ली, ऑनलाइन डेस्‍क। 2019 में जब नरेंद्र मोदी सरकार ने दूसरी बार पद ग्रहण किया तब गृह मंत्रालय (Home Ministry)का जिम्‍मा अमित शाह (Amit Shah) को दिया गया। आंतरि‍क सुरक्षा का जिम्‍मा गृह मंत्रालय के जिम्‍मे होता है। 2019 के बाद जिस तरह से देश की आंतरि‍क सुरक्षा को लेकर आमूल-चूल बदलाव किए गए, वे मील के पत्‍थर साबित हुए। उसमें कुछ फैसले ऐसे लिए गए, जिनको संसद में पारित करना लगभग असंभव माना जाता था। यही कारण है कि उनकी तुलना हमारे पहले गृह मंत्री सरदार बल्‍लभ भाई से की जाती है। अब कट्टरपंथी संगठन पीएफआइ और उससे जुड़े आठ संगठनों पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगाया गया। आइये जानते हैं इस बारे में----

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जम्मू-कश्मीर से अनुच्‍छेद 370 को किया खत्‍म

अमित शाह के नेतृत्‍व में संसद में पांच अगस्त 2019 को जम्‍मू- कश्मीर (Jammu and Kashmir) को विशेष राज्य का दर्जा देने वाला अनुच्‍छेद 370 (Article 370) और अनुच्‍छेद 35a हटाया गया। उससे पहले इस कानून का हटाना लगभग असंभव माना जाता था। इस अनुच्‍छेद के हटने के बाद अब ना जम्मू-कश्मीर की अपना कोई और झंडा है ना ही अपना संविधान। अब हर भारतीय वहां जाकर बस सकता है, वहां व्यापार कर सकता है। अनुच्‍छेद 370 के हटने के बाद जम्‍मू कश्‍मीर में आतंकवाद में काफी कमी है। पाकिस्‍तान परस्‍त अलगाववादी नेताओं को किनारे किया गया है। अब आलम यह 32 बाद कश्‍मीर में मल्‍टीप्‍लेक्‍स खोला गया है। वहां पर बड़ी संख्‍या में फिल्‍मों की शूटिंग हो रही है। पाकिस्‍तान का प्रभाव कश्‍मीर में काफी कम हुआ है। वहां के नागरिक विशेष कर युवा अब मुख्‍य धारा में आ रहे हैं।

विरोध के बाद भी पारित किया नागरिकता संशोधन विधेयक

अमित शाह के नेतृत्‍व में नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएए) को भारी विरोध के बावजूद संसद के दोनों सदनों से पारित कराया गया। इसके कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के छह समुदायों हिंदू, ईसाई, जैन, बौद्ध, सिख, और पारसी धर्म के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। विपक्षी दलों ने यह प्रचारित करने की कोशि‍श की कि यह विधेयक मुस्लिम विरोधी है, जबकि इस विधेयक का मुसलमानों से कोई संबंध नहीं है। इसका देश के कई शहरों में विरोध हुआ, इसके बावजूद सरकार ने इस फैसले को वापस लेने से इंकार कर दिया। माना जाता है कि उस समय जो विरोध हुआ, उसके पीछे कट्टरपंथी संगठन पीएफआइ का हाथ था।

एनआरसी से देश में आया भूचाल

देश में गैरकानूनी तरीके से रह रहे लोगों को चिन्हित करने के लिए अमित शाह के नेतृत्‍व में मोदी सरकार असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) लेकर आई, जिसका देश के कई हिस्‍से में भारी विरोध हुआ। गृहमंत्री अमित शाह खुद संसद में एनआरसी (NRC) लाने का ऐलान कर चुके है। हालांकि, इसे लेकर सरकार ने कदम वापस खींच लिए। कई सर्वे से साबित हुआ कि देश की बहुसंख्‍यक जनता इस कानून को लागू करने की पक्षधर है।

UAPA एक्ट में किया गया संशोधन

अमित शाह के नेतृत्‍व में UAPA यानी गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम (संशोधन) विधेयक-2019 को पारित कराने में संसद में विपक्ष के साथ विवाद रहा। इसके कानून से अब सरकार किसी भी व्यक्ति विशेष को आतंकवादी घोषित कर सकती है। उसकी संपत्ति भी जब्त कर सकती है। इस कानून के तहत ही पीएफआइ को प्रतिबंधित किया गया।

एसपीजी संशोधन बिल पर बदलाव

मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में अमित शाह के नेतृत्‍व में स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) संशोधन बिल 2019 को पास कराने में कामयाब रही। इस बिल में प्रधानमंत्री के अलावा उसके परिवार को एसपीजी सुरक्षा देने का प्रावधान खत्म किया गया। इसका विशेषकर कांग्रेस ने खूब विरोध किया। उसका मानना है कि इस कानून के जरिये गांधी परिवार की सुरक्षा में खिलवाड़ किया गया। जबकि सरकार का कहना है कि एसपीजी की सुरक्षा सिर्फ प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है, न कि परिवार का। गांधी परिवार के जिस सदस्‍य की सुरक्षा को खतरा है, उसको सीआरपीएफ के तहत सुरक्षा दी गई।

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