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    Tamil Nadu: पलानीस्लामी को मद्रास HC से बड़ा झटका, AIADMK के अंतरिम महासचिव के तौर पर नियुक्ति अमान्य करार

    By Manish NegiEdited By:
    Updated: Wed, 17 Aug 2022 01:50 PM (IST)

    तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी एआईएडीएमके के अंतरिम महासचिव पलानीस्वामी को मद्रास हाईकोर्ट से झटका लगा है। हाईकोर्ट ने 11 जुलाई को हुई आम परिषद की बैठक को अमान्य करार दिया है। इस बैठक में पलानीस्वामी को अंतरिम महासचिव चुना गया था।

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    पलानीस्लामी को मद्रास हाईकोर्ट से बड़ा झटका (फाइल फोटो)

    चेन्नई, एजेंसी। तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और एआईएडीएमके (AIADMK) के अंतरिम महासचिव पलानीस्वामी (Edappady K Palaniswami) को मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) से झटका लगा है। हाईकोर्ट ने बुधवार को सुनवाई करते हुए 23 जून की तरह मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। बता दें कि 11 जुलाई को एआईएडीएमके की आम परिषद की बैठक हुई थी।

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    आम परिषद की बैठक में पलानीस्वामी को अंतरिम महासचिव चुना गया था। वहीं, इस दौरान प्रतिद्वंदी ओ पनीरसेल्वम और उनके कुछ सहयोगियों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। आम परिषद के सदस्यों ने पलानीस्वामी को महासचिव चुना था।

    आम परिषद की बैठक अमान्य करार

    अब जस्टिस जी जयचंद्रन ने आदेश पारित कर 11 जुलाई को हुई आम परिषद की बैठक को अमान्य करार दे दिया है। न्यायाधीश ने कहा कि समन्वयक और संयुक्त समन्वयक अकेले ही आम परिषद की बैठक बुलाएंगे। उन्होंने बैठक आयोजित करने के लिए एक पर्यवेक्षक के नामांकन का भी सुझाव दिया। अदालत ने पनीरसेल्वम और आम परिषद के सदस्य वैरामुथु की याचिका पर फैसला सुनाया है।

    पनीरसेल्वम के वकील ने कहा कि अदालत ने कहा है कि ओपीएस और पलानीस्वामी के पास क्रमशः समन्वयक और संयुक्त समन्वयक पद थे, जो पहले "व्यपगत नहीं हुए थे"।

    आम परिषद में हुए थे कई निर्णय

    बता दें कि आम परिषद की बैठक के दौरान कई निर्णय लिए गए थे। बैठक में एआईएडीएमके में महासचिव पद को दोबारा स्थापित करने और पार्टी के प्राथमिक सदस्यों द्वारा किसी पद के लिए एक व्यक्ति का चुनाव सुनिश्चित करने के फैसले पर मुहर लगाई गई। एआईएडीएमके में दोहरा नेतृत्व खत्म करने पर भी फैसला लिया गया।

    इसके अलावा आम परिषद की बैठक में पार्टी से पनीरसेल्वम को बाहर निकालने का प्रस्ताव भी पास किया गया था। साथ ही बैठक में पेरियार, एमजी रामचंद्रन (एमजीआर) और जे जयललिता को भारत रत्न देने की मांग का प्रस्ताव पारित किया गया था।