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Article 370 के बाद अब उठा Article 371 का मुद्दा, जानें किन राज्यों को मिला है विशेष दर्जा

जम्मू कश्मीर से Article 370 को खत्म करने के बाद अब लोकसभा में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने अनुच्छेद 371 का मुद्दा उठाया। जिसके तहत कुछ राज्यों को विशेष प्रावधान मिला हुआ है।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Tue, 06 Aug 2019 02:23 PM (IST)Updated: Tue, 06 Aug 2019 03:09 PM (IST)
Article 370 के बाद अब उठा Article 371 का मुद्दा, जानें किन राज्यों को मिला है विशेष दर्जा
Article 370 के बाद अब उठा Article 371 का मुद्दा, जानें किन राज्यों को मिला है विशेष दर्जा

नई दिल्ली,जेएनएन। 5 अगस्त 2019 इस तारीख को शायद ही अब कोई भूल पाए। मोदी सरकार ने इस तारीख को भारत के इतिहास में दर्ज करा दिया है। सोमवार को मोदी सरकार ने घोषणा करते हुए जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 (Article 370) और अनुच्छेद 35 A  को खत्म कर दिया है। राज्यसभा में संकल्प पेश कर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने यह ऐलान किया। मोदी सरकार के इस फैसले से देश के दूसरे हिस्सों में रहने वाले लोग वहां जमीन खरीद सकते हैं।

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लेकिन, क्या आप जानते हैं कि देश में अब भी कई राज्य ऐसे है जहां 370 ना सही बल्कि, अनुच्छेद 371 (Article 371) लागू है। इस वजह से वहां बाकी भारतीय जमीन नहीं खरीद सकते हैं। मंगलवार को लोकसभा में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी अनुच्छेद 371 के मुद्दे को उठाया। 

गोवा ने 2013 में उठाई थी विशेष दर्जे की मांग 
मई 2013 में, गोवा के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया था कि अनुच्छेद 371 के तहत मिज़ोरम, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की तर्ज पर गोवा को विशेष दर्जा दिया जाए या स्वामित्व और हस्तांतरण को विनियमित करने के लिए संविधान के किसी अन्य प्रावधान को लागू किया जाए। ऐसा करने के पीछे गोवा सरकार का उद्देश्य राज्य की पहचान को संरक्षित करना था। इसी तरह बाकी कई राज्य भी विशेष दर्जे की मांग उठाते रहे हैं।  

संविधान का अनुच्छेद 371  गुजरात, नागालैंड और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों को विशेष प्रावधान प्रदान करता है।  

अनुच्छेद 371 महाराष्ट्र और गुजरात
अनुच्छेद 371 के तहत महाराष्ट्र और गुजरात के राज्यपाल को विशेष जिम्मेदारी दी गई है। वे महाराष्ट्र के विदर्भ, मराठवाड़ा और गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ के अलग विकास बोर्ड बना सकते हैं। जिसके तहत इन इलाकों में विकास के लिए बराबर फंड भी दिया जाएगा। साथ ही राज्यपाल के पास पूरा अधिकार है कि वह टेक्निकल एजुकेशन, वोकेशनल ट्रेनिंग और रोजगार के कार्यक्रमों की व्यवस्था कर सकते हैं।

  

अनुच्छेद 371 A नागालैंड
संविधान के इस प्रावधान से ऐसे किसी भी व्यक्ति को नागालैंड में जमीन खरीदने की इजाजत नहीं है जो वहां का नागरिक नहीं हो। यहां जमीन सिर्फ वहीं खरीद सकते हैं जो वहां के स्थायी नागरिक हों।  

अनुच्छेद 371 F सिक्किम 
1975 में सबसे आखिर में सिक्किम भारतीय संघ में शामिल हुआ। इसी के साथ अनुच्छेद 371 के तहत राज्य सरकार को पूरे राज्य की जमीन का अधिकार दिया गया है, चाहे वह जमीन भारत में विलय से पहले किसी की निजी जमीन ही क्यों ना हो। इसी प्रावधान के तहत सिक्किम की विधानसभा का कार्यकाल चार साल का है। 

असम और मेघालय में 371 B
अनुच्छेद 371 बी के अनुसार असम को विशेष प्रावधान है। इसके जरिए ही अलग से मिजोरम का गठन किया गया है। 

मणिपुर को 371 C
1972 में जब मणिपुर बनाया गया तब इसे विशेष प्रावधान देने के लिए अनुच्छेद 371 सी लाया गया।  

अनुच्छेद 371G मिजोरम 
इस अनुच्छेद के मुताबिक, मिजोरम में सिर्फ वहां के आदिवासी ही जमीन के मालिक होंगे। बता दें कि यहां प्राइवेट सेक्टर उद्योग करने के जमीन ले सकता है, लेकिन वो सिर्फ राज्य सरकार मिजोरम (भूमि अधिग्रहण, पुनर्वासन और पुनर्स्थापन) ऐक्ट 2016 के तहत ऐसा कर सकते हैं। 

अनुच्छेद 371 J कर्नाटक 
अनुच्छेद 371 J के तहत हैदराबाद और कर्नाटक क्षेत्र में अलग विकास बोर्ड बनाने का प्रावधान है। साथ ही इसके राज्य सरकार के शिक्षण संस्थानों और नौकरियों में हैदराबाद और कर्नाटक में जन्में लोगों को तय सीमा के तहत आरक्षण भी दिया जाता है।  

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना 371 D
इसके तहत राष्ट्रपति के पास अधिकार होता है कि वह राज्य सरकार को आदेश दे कि किस जॉब में किस वर्ग के लोगों को नौकरी दी जा सकती है। इसी के साथ शिक्षण संस्थानों में राज्य के लोगों को आरक्षण दिया जाता है। राष्ट्रपति नागरिक सेवाओं से जुड़े पदों पर नियुक्ति से संबंधित मामलों को निपटाने के लिए हाईकोर्ट से अलग ट्रिब्यूनल बना सकते हैं।

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