नगालैंड, मणिपुर और असम के कई क्षेत्रों में आज से हटेगा अफस्पा, त्रिपुरा से 2015 में और मेघालय से 2018 में पहले ही पूरी तरह हटाया जा चुका है
अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अटूट प्रतिबद्धता के कारण पूर्वोत्तर क्षेत्र जो दशकों से उपेक्षित था अब शांति समृद्धि और अभूतपूर्व विकास के एक नए युग का गवाह बन रहा है। इसके लिए मोदी जी का धन्यवाद करता हूं।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: पूर्वोत्तर राज्यों में तेजी से शांति बहाली में जुटी केंद्र सरकार ने एक अप्रैल से पूर्वोत्तर के तीन और राज्यों में अफस्पा (आर्म फोर्स स्पेशल पावर्स एक्ट) के दायरे को घटाने का फैसला लिया है। इनमें नगालैंड, असम और मणिपुर शामिल है। इससे पहले केंद्र ने त्रिपुरा व मेघालय से इस कानून को पूरी तरह से वापस लेने का फैसला लिया था। त्रिपुरा से इस कानून को वर्ष 2015 में और मेघालय से इसे वर्ष 2018 में पूरी तरह से हटाया जा चुका है। वर्ष 2014 में केंद्र में सत्ता के आने के बाद से ही पूर्वोत्तर नरेन्द्र मोदी सरकार की विशेष प्राथमिकता में रहा है।
पूर्वोत्तर में स्थिती शांत के लिए कई समझौते हुए
खास कर पिछले तीन वर्षों में जब अमित शाह ने गृह मंत्रालय की कमान संभाली तब से पूर्वोत्तर में संवाद बढ़ा और उग्रवाद समाप्त करने और स्थिती शांत के लिए कई समझौते भी हुए हैं। पिछले कुछ वर्षों में लगभग 7000 उग्रवादियों ने आत्म समर्पण किया है। जनवरी 2020 में बोडो समझौते ने पांच दशक पुरानी समस्या का हल किया। सदस्यों से 2021 में करबी-आंगलांग समझौता किया गया। जिसके चलते असम के करबी क्षेत्र में विवाद की स्थिति बनी हुई थी। त्रिपुरा में उग्रवादियों को मुख्यधारा में लाने के लिए 2019 में एनएलएफटी समझौता हुआ। एक दिन पहले ही असम-मेघालय सीमा विवाद को निपटाने की दिशा में शाह की मौजूदगी में दोनों राज्यों के बीच अहम समझौता हुआ। अब तीन राज्यों में अफस्पा का दायरा घटाकर स्थिति को और सामान्य बनाने की कोशिश हो रही है।
असम के 23 जिलों से हटेगा अफस्पा
एक अप्रैल से असम के 23 जिलों से इस पूर्ण रूप से और एक जिले से आंशिक रूप से हटाया जा रहा है। वहीं मणिपुर के छह जिलों के 15 पुलिस थानों से इस कानून को हटाया गया है। इसी तरह नगालैंड के सात जिलों के 15 पुलिस थानों से इसे हटाया गया है। अरुणाचल प्रदेश से भी पिछले सालों में इसे धीरे-धीरे कम किया गया है।मौजूदा समय में यहां सिर्फ तीन जिलों और एक अन्य जिले के दो पुलिस थाना क्षेत्रों में यह लागू है। केंद्र के इस फैसले को मोदी सरकार का बड़ा फैसला माना जा रहा है।
मुख्यमंत्रियों ने किया केंद्र के फैसले का स्वागत
केंद्र सरकार द्वारा पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के कई क्षेत्रों से अफस्पा हटाए जाने का संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने जोरदार स्वागत किया है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत विस्व सरमा ने कहा कि हम इस फैसले के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का हृदय से स्वागत करते हैं। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह का भी आभार जताया है। उन्होंने कहा कि राज्य का अब साठ फीसद क्षेत्र अफस्पा से मुक्त हो जाएगा। असम में 1990 से यह कानून लागू था। नगालैंड के मुख्यमंत्री निफियू रियो और कई राजनीतिक दलों ने फैसले का स्वागत करते हुए केंद्र का आभार जताया है। इसी तरह मणिपुर के मुख्य मंत्री बीरेंद्र कुमार ने भी इस फैसले को लेकर पीएम का आभार व्यक्त किया है। इसी तरह केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू और मिजोरम के राज्यपाल हरिबाबू कंभमपति व मुख्यमंत्री जोरमथंगा ने भी इस निर्णय पर प्रसन्नता जाहिर की है।
सुरक्षाबलों को विशेष अधिकार देता है अफस्पा
उपद्रवग्रस्त पूर्वोत्तर में सेना को कार्रवाई में मदद के लिए 11 सितंबर, 1958 को सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) पारित किया गया था। असम, मणिपुर और नगालैंड में अफस्पा लागू है। इसके तहत सुरक्षाबलों को अभियान चलाने और बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने की शक्ति मिलती है। अगर सुरक्षाबलों की गोली से किसी की मौत हो जाए तो यह कानून उन्हें गिरफ्तारी व अभियोजन से संरक्षण भी प्रदान करता है।
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