'एक राष्ट्र-एक चुनाव' पर बनी समिति से अधीर रंजन का किनारा, कांग्रेस बोली- लोकतंत्र नष्ट करना चाहती है BJP
एक राष्ट्र-एक चुनाव को लेकर कांग्रेस ने भाजपा पर हमला बोला है। वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष खरगे को समिति का हिस्सा न बनाना समझ से परे है। उन्होंने कहा कि सरकार ने ये कदम अदाणी मुद्दे बेरोजगारी और महंगाई से ध्यान भटकाने के लिए किया है। कांग्रेस ने कहा कि सरकार ने धुर विरोधियों को बाहर करके इस समिति के संतुलन को एक तरफ झुकाने की कोशिश की।

नई दिल्ली, प्रेट्र। कांग्रेस ने एक राष्ट्र-एक चुनाव पर विचार करने के लिए गठित समिति को देश में संसदीय लोकतंत्र को नष्ट करने का प्रयास करार देते हुए शनिवार को कहा कि राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को इस समिति का हिस्सा नहीं बनाना समझ से परे है।
अधीर रंजन ने शाह को लिखा पत्र
समिति में शामिल किए गए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने इसे स्वीकारने से मना कर दिया। उन्होंने इसके लिए अमित शाह को पत्र भी लिखा। पत्र में कांग्रेस नेता ने सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए।
खरगे को समिति में शामिल न करना गलत
पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने यह सवाल भी दागा कि क्या खरगे को समिति से इसलिए बाहर रखा गया क्योंकि वह भाजपा एवं आरएसएस के लिए सुविधाजनक नही हैं? वेणुगोपाल ने एक्स पर पोस्ट किया कि हमारा मानना है कि एक साथ चुनाव पर उच्च स्तरीय समिति भारत के संसदीय लोकतंत्र को नष्ट करने के एक व्यवस्थित प्रयास के अलावा और कुछ नहीं है।
संसद का अपमान करते हुए भाजपा ने राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष के स्थान पर एक पूर्व नेता प्रतिपक्ष यानी गुलाम नबी आजाद को समिति में नियुक्त किया है। उन्होंने दावा किया कि भाजपा ने सबसे पहले अदाणी महाघोटाले, बेरोजगारी, महंगाई और लोगों के अन्य ज्वलंत मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए यह नौटंकी की। उसके बाद उन्होंने अपने धुर विरोधियों को बाहर करके इस समिति के संतुलन को एक तरफ झुकाने की कोशिश की।
पी चिदंबरम ने भाजपा पर हमला बोला
उधर, वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि भाजपा द्वारा प्रायोजित हर दूसरे मुद्दे की तरह यह भी पूर्व निर्धारित लगता है। एक्स पर जारी पोस्ट में चिदंबरम ने कहा कि एक राष्ट्र-एक चुनाव का सवाल एक राजनीतिक कानूनी सवाल है। दरअसल, यह कानूनी से ज्यादा राजनीतिक है
वाईएसआर कांग्रेस ने कहा- इससे हजारों करोड़ रुपये बचेंगे
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के महासचिव और राज्यसभा सदस्य वी विजयसाई रेड्डी ने एक राष्ट्र-एक चुनाव प्रस्ताव की वकालत करते हुए कहा कि इसके कई सकारात्मक पहलू हैं और इससे हजारों करोड़ रुपये बचाने में मदद मिल सकती है।
रेड्डी ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि भारत में यह अवधारणा कोई नई नहीं है। 1951-52, 1957, 1962 और 1967 में एक साथ लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव हुए थे। आंध्र प्रदेश पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि राज्य में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ ही होते हैं।
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