चुनावी ब्योरा न देने वाली पार्टियों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी, चुनाव आयोग ने अधिकारियों को दिए ये निर्देश
चुनाव आयोग चुनावी पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए नियमों का पालन न करने वाले पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (आरयूपीपी) के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की तैयारी में है। आयोग ने ऐसे दलों की जांच शुरू कर दी है जो चुनावों में हिस्सा लेते हैं लेकिन चुनावी खर्च का ब्यौरा और अपनी आय की जानकारी नहीं देते हैं।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनावी पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए नियमों का पालन न करने वाले पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (आरयूपीपी) के खिलाफ जल्द सख्त कार्रवाई देखने को मिल सकती है। चुनाव आयोग ने अलग- अलग राज्यों में पंजीकृत ऐसे दलों की जांच-पड़ताल शुरू कर दी है।
इसमें उसका फोकस ऐसे दलों पर ज्यादा है जो चुनावों में तो हिस्सा लेते हैं लेकिन वे न तो आयोग तो चुनावी खर्च का ब्यौरा तय समय पर देते हैं न ही अपनी आय की जानकारी भी आयोग को मुहैया कराते हैं।
सक्रिय दलों की संख्या काफी
आयोग ने यह कदम ऐसे समय उठाया है जब आने वाले दिनों में बिहार, बंगाल, तमिलनाडु जैसे राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इन राज्यों में भी ऐसे सक्रिय दलों की संख्या काफी है। इनसे कई दल ऐसे हैं जिन्होंने इन राज्यों में पिछला विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन आयोग को कोई ब्यौरा नहीं दिया है।
खर्च का ब्यौरा आयोग को देना अनिवार्य
यह स्थिति तब है जब तय नियमों के तहत विधानसभा चुनाव लड़ने वाले राजनीतिक दलों को चुनाव खत्म होने के 75 दिन के भीतर अपने खर्च का ब्यौरा आयोग को देना अनिवार्य है, जबकि लोकसभा चुनाव में इसे देने की अवधि 90 दिन की होती है।
जल्द ही इनकी संख्या सामने आ जाएगी
आयोग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, देशभर में बड़ी संख्या में दल ऐसे हैं, जिन्होंने अब तक न तो अपने चुनावी खर्च का ब्यौरा दिया है और न ही आय की जानकारी आयोग को दी है। इसकी जांच चल रही है, जल्द ही इनकी संख्या सामने आ जाएगी।
रजिस्ट्रेशन भी रद करने की कार्रवाई
मौजूदा समय में देश में दो हजार से अधिक पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल है। गौरतलब है कि ऐसे राजनीतिक दलों के खिलाफ आयोग पहले भी कार्रवाई कर चुका है। वर्ष 2022 में आयोग ने इनमें से कई दलों का रजिस्ट्रेशन भी रद करने की कार्रवाई की थी।
इन नियमों को मानना है जरूरी
जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत प्रत्येक आरयूपीपी को अपनी आय का ब्यौरा देना अनिवार्य है। चुनावी लोकतंत्र को मजबूती देने के लिए इनकी आय को आयकर से शतप्रतिशत छूट दी जाती है।
प्रत्येक राजनीतिक दल अपने नाम, प्रधान कार्यालय, पदाधिकारियों, पते, पैन नंबर आदि किसी भी बदलाव के बारे में बिना किसी देरी के आयोग को तुरंत सूचित करेगा।
राजनीतिक दलों के लिए अपनी सालाना आडिट रिपोर्ट प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। - राजनीतिक दलों को पंजीकरण के पांच वर्ष के भीतर चुनाव लड़ना होगा।
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