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Gujrat Assembly Polls: गुजरात में दावेदारी ठोक रही AAP और Congress को अपने गढ़ की चुनौती

By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraPublished: Sat, 05 Nov 2022 07:39 PM (IST)Updated: Sat, 05 Nov 2022 07:39 PM (IST)
दिल्ली में नगर निगम चुनाव के कारण गुजरात में आप की तैयारियों को लग सकता है झटका

नीलू रंजन, नई दिल्ली। गुजरात विधानसभा के राजनीतिक अखाड़े में जहां भाजपा इतिहास बनाने का दावा कर रही है। वहीं कांग्रेस और आम आदमी पार्टी पूरा दम झोंककर खुद को विपक्ष का असली दावेदार साबित करने में जुटी है। लेकिन जिस तरह हालात बदलने लगे हैं उसमें दोनों दलों को अपने अपने मजबूत गढ़ राजस्थान और दिल्ली में मशक्कत के लिए जूझना पड़ सकता है। दो दिन पहले ही दिल्ली नगर निगम चुनाव का ऐलान हो चुका है और चाहे अनचाहे आप के स्टार प्रचारकों को दिल्ली की जमीन संभालने के लिए मशक्क करनी होगी।

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केजरीवाल ने गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए पूरी ताकत झोंकी

वहीं गुजरात में कांग्रेस के पर्यवेक्षक व राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार के खिलाफ प्रदेश में भाजपा जनआक्रोश सभाओं और रैलियों की तैयारी में जुट गई है। यानी गहलोत को भी पहले अपना घर सभालने के लिए लगातार भागना पड़ सकता है।

पंजाब विधानसभा चुनाव में भारी जीत के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत ¨सह मान समेत तमाम बड़े नेता लगातार गुजरात दौरे पर हैं और बड़े वादे किए जा रहे हैं। लेकिन यह आगे कितना संभव होगा यह कहना मुश्किल है।

पिछले 27 साल से भाजपा के हाथों कांग्रेस की हार को देखते हुए आप को गुजरात में प्रदर्शन और इसी बहाने विपक्षी नेतृत्व का प्रबल दावेदार बनाने की संभावनाएं दिखी और इसी कारण हिमाचल प्रदेश में सक्रियता कम कर दी। लेकिन गुजरात विधानसभा चुनाव के साथ ही दिल्ली नगर निगम चुनाव की घोषणा से आप को अपनी प्राथमिकता नए सिरे से तय करनी पड़ सकती है।

अपने मुख्य गढ़ में आप निकाय चुनाव में भाजपा के खिलाफ पूरी तैयारी से लड़ना मजबूरी है। जाहिर है इससे आप की चुनावी संसाधनों का दो भागों में बंटना स्वाभाविक है और इसका असर दोनों चुनावों में दिख सकता है।

हालात यह है कि गुजरात चुनाव में जीत का दावा करने के बाद आप के लिए पीछे लौटना संभव नहीं है और दिल्ली नगर निगम चुनाव में मैदान छोड़ना मुश्किल है। वहीं भाजपा के 27 साल के शासन के बावजूद 35 से 42 फीसद मत हासिल करने वाले कांग्रेस गुजरात में खुद को स्वाभाविक विकल्प मान रही है।

पिछली बार भाजपा को 99 सीटों पर समेटकर 77 सीटें हासिल करने वाली कांग्रेस इस बार अपने सबसे अनुभवी और वरिष्ठ नेता मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हाथ में चुनाव प्रबंधन की बागडोर सौंपी है।

गहलोत के मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री रह चुके और राजस्थान के वरिष्ठ नेता रघु शर्मा गुजरात के प्रदेश प्रभारी हैं। भाजपा अब गहलोत को उनके राज्य में ही घेरने की तैयारी में है। जिस दौरान गुजरात में चुनाव चरम पर होगा, उसी दौरान भाजपा राजस्थान के हर विधानसभा क्षेत्र में जनआक्रोश रैलियां निकालने जा रही है। जिनमें किसान कर्ज माफी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था पर राज्य सरकार की विफलताओं को उजागर किया जाएगा।

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रैलियों और जनसभाओं के स्वरूप और विस्तार पर फैसला करने के लिए भाजपा ने 13 नवंबर को जयपुर में राज्य कार्यकारी समिति की बैठक बुलाई है। ठीक एक साल बाद विधानसभा चुनाव और पार्टी के भीतर से ही सचिन पायलट की ओर से मिल चुनौतियों के कारण गहलोत के लिए राजस्थान को पूरी तरह अनदेखी करना संभव नहीं होगा।

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