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    लोकपाल गठन की दिशा में अहम कदम, सर्च कमेटी गठित

    By Arun Kumar SinghEdited By:
    Updated: Thu, 27 Sep 2018 09:37 PM (IST)

    लोकपाल के गठन की दिशा में अहम कदम उठाते हुए सरकार ने सर्च कमेटी का गठन कर दिया है। ...और पढ़ें

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    लोकपाल गठन की दिशा में अहम कदम, सर्च कमेटी गठित

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ऊंचे स्तर पर भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए लोकपाल के गठन की दिशा में अहम कदम उठाते हुए सरकार ने सर्च कमेटी का गठन कर दिया है। वैसे सर्च कमेटी को चुनने वाली लोकपाल चयन समिति की बैठकों में लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाग नहीं लिया।

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    उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार सर्च कमेटी के सदस्यों का चुनाव करने के लिए चयन समिति की इस साल एक मार्च, 10 अप्रैल, 19 जुलाई, 21 अगस्त और चार व 19 सितंबर को चयन समिति की कुल छह बैठकें हुईं। पहली बैठक में प्रसिद्ध न्यायविद के रूप में पीपी राव शामिल थे। लेकिन उनकी मौत के बाद भारत के पूर्व अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी को उनकी जगह सदस्य बनाया गया।

    इन बैठकों में चयन समिति ने सर्च कमेटी के आठ सदस्यों का चुनाव किया। इनमें पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई, एस सूर्य प्रकाश, अरुंधती भट्टाचार्य के साथ-साथ इसरो के पूर्व प्रमुख एएस किरण कुमार, इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश सखा राम सिंह यादव, गुजरात पुलिस के पूर्व प्रमुख शब्बीर हुसैन एस खंडवावाला, राजस्थान कैडर से सेवानिवृति आइएसएस अधिकारी ललित के पंवार और पूर्व सालीसीटर जनरल रंजीत कुमार को सर्च कमेटी का सदस्य बनाया गया है।

    2013 में पारित लोकपाल कानून के तहत प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली लोकपाल चयन समिति को लोकपाल सर्च कमेटी के गठन का अधिकार दिया गया है। इस चयन समिति में प्रधानमंत्री के अलावा लोकसभा अध्यक्ष, लोकसभा में नेता विपक्ष, भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनके द्वारा मनोनित कोई अन्य न्यायाधीश और राष्ट्रपति द्वारा मनोनित प्रसिद्ध न्यायविद इसके सदस्य होते हैं। लेकिन लोकसभा में नेता विपक्ष का पद खाली होने कारण सबसे बड़ी पार्टी के नेता होने के नाते मल्लिकार्जुन खड़गे को विशेष आमंत्रित सदस्य के लिए चयन समिति की बैठक में आमंत्रित किया गया था। लेकिन मल्लिकार्जुन खड़गे में स्थायी सदस्य नहीं बनाए जाने के विरोध में चयन समिति की बैठकों का बहिष्कार किया।

    उनका कहना था कि सरकार को लोकपाल कानून में संशोधन कर लोकसभा में सबसे बड़े दल के नेता को भी सदस्य बनाना चाहिए। लेकिन सरकार इसके लिए तैयार नहीं हुई।