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    ऋषि सुनक के ब्रिटेन का पीएम बनने पर देश में राजनीतिक घमासान, राजनीतिक दलों ने किए एक दूसरे पर वार-पलटवार

    By Jagran NewsEdited By: Arun kumar Singh
    Updated: Tue, 25 Oct 2022 10:13 PM (IST)

    ब्रिटेन में अल्पसंख्यक होने के बावजूद हिंदू प्रधानमंत्री की ताजपोशी के बहाने के विपक्ष ने मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की तो वहीं भाजपा ने भारत में लंबे समय से अहम संवैधानिक पदों पर अल्पसंख्यकों की नियुक्ति का हवाला देते हुए उन्हें करारा जवाब दिया।

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    ऋषि सुनक के रूप में भारतीय मूल के पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री बनने

     जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ऋषि सुनक के रूप में भारतीय मूल के पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री बनने को एक तरफ देश में सकारात्मक संकेत माना जा रहा है, वहीं राजनीतिक घमासान भी शुरू हो गया है। ब्रिटेन में अल्पसंख्यक होने के बावजूद हिंदू प्रधानमंत्री की ताजपोशी के बहाने के विपक्ष ने मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की, तो वहीं भाजपा ने भारत में लंबे समय से अहम संवैधानिक पदों पर अल्पसंख्यकों की नियुक्ति का हवाला देते हुए उन्हें करारा जवाब दिया।

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    कांग्रेस ने किया पी चिदंबरम और शशि थरूर के बयान से किनारा

    वैसे कांग्रेस पार्टी ने भी पी चिदंबरम और शशि थरूर के बयान से किनारा कर साफ कर दिया कि इस मामले में भारत को किसी अन्य देश से सीखने की जरूरत नहीं है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि 'ब्रिटेन ने अपने नस्लवाद को पछाड़ दिया है, अन्य धार्मिक विश्वासों के लोगों को आत्मसात करने और स्वीकार करने की जबरदस्त इच्छा दिखाई है और इन सभी से ऊपर उन्होंने व्यक्ति की योग्यता को देखा है।' वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्‍ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि 'पहले कमला हैरिस, अब ऋषि सुनक। अमेरिका और ब्रिटेन के लोगों ने अपने देशों के गैर-बहुसंख्यक नागरिकों को गले लगा लिया है और उन्हें सरकार में उच्च पद के लिए चुना है। मुझे लगता है कि भारत और बहुसंख्यकवाद का पालन करने वाली पार्टियों द्वारा सीखने के लिए एक सबक है।'

    महबूबा मुफ्ती को भाजपा ने दिया करारा जवाब

    सुनक की आड़ में मोदी सरकार पर पहला हमला जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने किया। उन्होंने नस्ली अल्पसंख्यक के ब्रिटेन में प्रधानमंत्री चुने जाने की तारीफ करते हुए कहा कि भारत में हम अभी तक सीएए और एनआरसी जैसे भेदभाव वाले कानूनों में फंसे हुए हैं। इसी तरह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम व शशि थरूर और तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने भाजपा पर बहुसंख्यक की राजनीति का आरोप लगाते हुए भारत में भी अल्पसंख्यकों को ब्रिटेन जैसा ही अवसर दिये जाने की जरूरत बताई।

    विपक्ष के इन आरोपों का भाजपा की ओर से तीखा पलटवार हुआ। पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने महबूबा मुफ्ती पर कटाक्ष करते हुए कहा -'काश वह जम्मू-कश्मीर में भी किसी अल्पसंख्यक को मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार कर पातीं। भारतीय मूल के सुनक की यह अप्रत्याशित सफलता बधाई के काबिल है, लेकिन इसके सहारे भारत में राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश दुर्भाग्यपूर्ण है।'

    इसे भी पढ़ें : Rishi Sunak: चिदंबरम और थरूर के बयान से कांग्रेस का किनारा, जयराम रमेश बोले- भारत को किसी से सबक की जरूरत नहीं

    राजनीति का मौका ढूंढ रहे हैं विपक्षी नेता

    उन्होंने कहा कि भारत में एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति और मनमोहन सिंह 10 सालों तक प्रधानमंत्री रहे, दोनों अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं। उन्होंने कहा कि अब तक हाशिये पर रही आदिवासी समाज से आने वाली द्रौपदी मुर्मु आज राष्ट्रपति हैं। भाजपा के आइटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि भारत में तीन मुस्लिम और सिख राष्ट्रपति रह चुके हैं। शाहनवाज हुसैन ने कहा कि यह विपक्षी नेताओं की नासमझी है कि जिस खबर से आम भारतीय खुश है, उससे वह परेशान हैं और राजनीति का मौका ढूंढ रहे हैं।

    भारत को किसी से भी सीखने की जरूरत नहीं

    मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए कांग्रेस ने पी चि‍दंबरम और शशि थरूर के बयान से किनारा कर लिया। कांग्रेस के मीडिया प्रमुख जयराम रमेश ने साफ किया कि भारत को किसी से भी सीखने की जरूरत नहीं है और भारत में विविधताओं को समावेशी नजरिये से देखने की परंपरा पुरानी है। उन्होंने कहा कि आजादी के 20 साल बाद ही भारत में जाकिर हुसैन राष्ट्रपति बन गए थे, उसके बाद फखरुद्दीन अली अहमद और एपीजे अब्दुल कलाम भी बने। इसी तरह से बरकातुल्ला खान और एआर अंतुले के मुख्यमंत्री बनने का भी हवाला दिया।

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