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    भारत में रूसी राजदूत ने कहा, रूस, भारत और चीन में सहयोग की असाधारण क्षमता, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका की पहल की आलोचना

    Russia India and China भारत में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने कहा कि रूस-भारत-चीन (आरआइसी) त्रिपक्षीय ढांचे में सहयोग की असाधारण क्षमता है। रूस अब भारत और चीन की सकारात्मक वार्ता को प्रोत्साहित करने में सहयोगात्मक साबित हो सकता है।

    By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Sun, 04 Sep 2022 10:17 PM (IST)
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    भारत में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने कहा

    नई दिल्ली, एजेंसी। भारत में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने कहा कि रूस-भारत-चीन (आरआइसी) त्रिपक्षीय ढांचे में सहयोग की 'असाधारण क्षमता' है। रूस अब भारत और चीन की सकारात्मक वार्ता को प्रोत्साहित करने में सहयोगात्मक साबित हो सकता है। रूस और भारत यह सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं कि दोनों रणनीतिक साझेदारों के बीच रक्षा सहयोग यूक्रेन संकट से बाधित न हो और नकारात्मक बाहरी कारकों से पैदा हुईं बाधाओं को प्रभावी ढंग से कम किया जा सके। एस-400 मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति के बारे में अलीपोव ने कहा, 'यह निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सुचारू रूप से आगे बढ़ रहा है।'

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    भारत और चीन के बीच असहमति का जानबूझकर दुरुपयोग

    रूसी राजदूत ने रविवार को कहा कि आरआइसी का रुख कुछ शक्तियों की नीतियों से बहुत अलग है जिनका भारत और चीन के बीच असहमति का 'जानबूझकर दुरुपयोग' किया जा रहा है। अलीपोव ने अमेरिका नीत 'हिंद-प्रशांत' पहल की भी निंदा की। उन्होंने इसे 'दूषित नीति' करार दिया, लेकिन 'विभाजनकारी' बयान का समर्थन करने से इन्कार करने के भारत के फैसले की प्रशंसा भी की। राजदूत ने कहा कि आरआइसी क्षेत्र में 'आपसी समझ, विश्वास और स्थिरता' को बढ़ाने में सहायक है और यह सदस्यों देशों के बीच सहयोग और समन्वय बढ़ाने में अधिक योगदान कर सकता है। उन्होंने कहा, 'इसी प्रकार रूस के लिए यह प्राथमिकता वाला प्रारूप है, जिसके बारे में हमारा मानना है कि यह भारत और चीन के बीच सकारात्मक संवाद को प्रोत्साहित करने में सहायक हो सकता है।'

    हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका की विशेष और दूषित नीति

    उन्होंने अमेरिका की परोक्ष आलोचना करते हुए कहा, 'इसका रुख निश्चित तौर पर कुछ अन्य शक्तियों की नीति से बहुत अलग है, जो जानबूझकर भारत और चीन के बीच असहमति का दुरुपयोग अपने भू-राजनीतिक खेल के लिए कर रहे हैं।' हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के बीच भारत और रूस के बीच सहयोग के बारे में पूछे जाने पर अलीपोव ने कहा कि 'हिंद प्रशांत' के मुद्दे पर अब तक सहमति नहीं बनी है। उन्होंने कहा, 'हम यह भी अपने दिमाग में रख रहे हैं कि अमेरिका विशेष और दूषित नीति के लिए इस शब्दावली का इस्तेमाल कर रहा है जिसने यूक्रेन संकट बढ़ने से पहले खुले तौर पर रूस को खतरा करार दिया था।'

    अलीपोव ने कहा-रूस व भारत रक्षा क्षेत्र में आपसी सहयोग पर प्रतिबद्ध

    उन्होंने कहा, 'रूस ही नहीं, अमेरिका बहुपक्षीय प्रारूप को रोकने और अन्य देशों को संघर्ष में धकेलने के लिए ऐसी नीति को प्रोत्साहित कर रहा है।' अलीपोव ने कहा, 'इस संदर्भ में हम भारत के रुख की प्रशंसा करते हैं जिसने विभाजनकारी बयान में शामिल होने से इन्कार कर दिया था।' अलीपोव ने कहा, 'रक्षा क्षेत्र में सहयोग रूस और भारत के बीच रणनीतिक साझेदारी के प्रमुख स्तंभों में से एक है। हमारे दोनों देश यह सुनिश्चित करने के लिए बहुत प्रेरित हैं कि यह सहयोग निर्बाध रूप से जारी रहे।'

    रूस द्वारा भारत को सैन्य साजोसामान की समग्र आपूर्ति को लेकर अलीपोव ने कहा कि अगर आपूर्ति और धनराशि के भुगतान में कुछ देरी होती है, तो वे महत्वपूर्ण नहीं होंगे। इस साल रूस और भारत के बीच वार्षिक शिखर सम्मेलन के बारे में पूछे जाने पर अलीपोव ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा, 'हमारे नेताओं के बीच व्यक्तिगत समझ है। वे नियमित संवाद करते हैं और गहरी आपसी समझ रखते हैं। इस साल दोनों नेताओं ने फोन पर चार बार बात की।'