PM Modi US Visit : पाक पर सीधा निशाने लगाने से बचे भारत और अमेरिका, जानें इसकी वजह
अफगानिस्तान में डबल गेम खेल रहे पाकिस्तान की भूमिका को लेकर अमेरिका परेशान जरूर है लेकिन ऐसा लगता है कि बाइडन प्रशासन आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के साथ मिलकर पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा करने से परहेज कर रहा है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अफगानिस्तान में डबल गेम खेल रहे पाकिस्तान की भूमिका को लेकर अमेरिका परेशान जरूर है और इसका जिक्र भी उसके शीर्षस्तरीय नेता बार-बार कर रहे हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि बाइडन प्रशासन आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के साथ मिलकर पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा करने से परहेज कर रहा है। इस बात का संकेत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन की शीर्षस्तरीय मुलाकात के बाद जारी संयुक्त बयान से मिलता है।
बिना नाम लिए दिया संदेश
एक तरफ जहां मोदी और तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 25 फरवरी, 2020 की मुलाकात के बाद जारी संयुक्त बयान में दोनों देशों ने सीधे तौर पर पाकिस्तान को कहा था कि वह अपन जमीन का आतंकवादी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल न होने दे, वहीं शुक्रवार देर रात जारी बयान में पाकिस्तान का जिक्र भी नहीं है। बाइडन और मोदी ने बिना पाकिस्तान का नाम लिए ही 26 नवंबर, 2008 को मुंबई पर हमला करने वालों को सजा दिलाने की बात कही। पिछले साल के बयान में पाकिस्तान से कहा गया था कि वह मुंबई हमले के साजिशकर्ताओं को सजा दिलाए।
आतंकवाद के लिए एकजुटता की बात
ताजा संयुक्त बयान को दोनों देशों ने 'अमेरिका-भारत नेतृत्व का संयुक्त बयान : वैश्विक भलाई के लिए एक साझेदारी' का नाम दिया गया है। अभी तक इस तरह की वार्ता के बाद जारी बयान को सीधे तौर पर भारत-अमेरिका संयुक्त बयान कहा जाता रहा है। लीडर्स स्टेटमेंट में कहा गया है कि दोनों देश वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की तरफ से प्रतिबंधित आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई में एक साथ होंगे।
पाक में कई आतंकी संगठन
सनद रहे कि यूएनएससी 1267 प्रतिबंध समिति ने पाकिस्तान में पनाह पाए कई आतंकी संगठनों और वहां से अपनी गतिविधियां चलाने वाले आतंकियों को प्रतिबंधित किया है। इनमें लश्कर ए तैयबा, जैश ए मुहम्मद, हक्कानी नेटवर्क जैसे संगठन हैं तो हाफिज सईद और मौलाना मसूद अजहर जैसे आतंकी भी हैं।
पिछले साल दी थी स्पष्ट चेतावनी
अगर 25 फरवरी, 2020 के संयुक्त बयान को देखा जाए तो उसमें सीधे तौर पर लश्कर ए तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन और डी-कंपनी का नाम था और इस संदर्भ में पाकिस्तान से कहा गया था कि वह इन सभी समूहों पर ठोस कार्रवाई करे। ये सारे आतंकी संगठन मुख्य तौर पर भारत के हितों के खिलाफ काम करते हैं।
ओबामा प्रशासन ने भी दी थी चेतावनी
याद दिला दें कि वर्ष 2015 में मोदी और तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा की मुलाकात के बाद जारी संयुक्त बयान में भी पाकिस्तान को मुंबई और पठानकोट हमले के गुनहगारों को सजा दिलाने की अपील की गई थी। बहरहाल, शुक्रवार को जारी बयान का मतलब यह कदापि नहीं निकाला जा सकता कि पाकिस्तान के आतंकी रिश्तों को लेकर भारत और अमेरिका के बीच कोई सामंजस्य नहीं है।
इस बार भी निशाने पर रहा पाक
देखा जाए तो जिस तरह से आतंकवाद के खिलाफ आपसी साझेदारी को मजबूत बनाने, संयुक्त राष्ट्र की तरफ से प्रतिबंधित आतंकियों व आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने, अफगानिस्तान में तालिबान से एक समग्र व सभी पक्षों की साझेदारी वाली सरकार बनाने की बात कही गई है वह परोक्ष तौर पर पाकिस्तान को भी इशारा है।
नाम नहीं लेने के पीछे यह हो सकती है वजह
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ मुलाकात में उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने स्वयं ही पाकिस्तान की तरफ से आतंकियों को मदद दिए जाने का मुद्दा उठाया था। माना जा रहा है कि शुक्रवार को ही अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से द्विपक्षीय वार्ता की है इसलिए संयुक्त बयान में अमेरिका ने पाकिस्तान का उल्लेख नहीं करने का आग्रह किया हो।
रिश्तों को मिली तरजीह
वैसे मोदी और बाइडन की बैठक के बाद जारी बयान रिश्तों को ज्यादा व्यापकता में समेटे हुए है। यह क्वाड के तहत होने वाले सहयोग से लेकर कोरोना महामारी के क्षेत्र में भावी सहयोग, रक्षा क्षेत्र में व्यापक एजेंडा, पर्यावरण सुरक्षा को लेकर सामंजस्य बढ़ाने, अगले वर्ष कारोबारी समझौते पर वार्ता को शुरू करने जैसे मुद्दे को समेटे हुए है।