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इंदिरा गांधी ने 1971 का युद्ध जीतने के बाद पाक के सामने रखी थी ये शर्त, जुल्फिकार ने चली चाल!

भारत से 1971 का युद्ध हारने के बाद अगर पाकिस्‍तान के तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने एक चाल ना चली होती तो शायद Pok का काफी हिस्‍सा भारत के पास होता।

By Tilak RajEdited By: Published: Sat, 10 Aug 2019 01:22 PM (IST)Updated: Sat, 10 Aug 2019 04:40 PM (IST)
इंदिरा गांधी ने 1971 का युद्ध जीतने के बाद पाक के सामने रखी थी ये शर्त, जुल्फिकार ने चली चाल!
इंदिरा गांधी ने 1971 का युद्ध जीतने के बाद पाक के सामने रखी थी ये शर्त, जुल्फिकार ने चली चाल!

नई दिल्‍ली, जेएनएन। भारत से 1971 का युद्ध हारने के बाद, अगर पाकिस्‍तान के तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने एक चाल ना चली होती, तो शायद पाक अधिकृत कश्‍मीर का काफी हिस्‍सा भारत के पास होता। इसके अलावा भी पाकिस्‍तान के काफी हिस्‍से पर भारत का अधिकार होता। हालांकि, इंदिरा गांधी को इस बात का शायद अंदाजा नहीं था कि जुल्फिकार इस हद तक सोच सकते हैं। युद्ध के बाद हुए शिमला समझौते में इंदिरा गांधी ने पाकिस्‍तान के सभी युद्धबंदियों और कब्‍जा की गई जमीन को वापस कर दिया था। इस फैसले को लेकर इंदिरा गांधी की आलोचकों ने निंदा भी की थी।

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दरअसल, 1971 के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान के 90 हजार से ज़्यादा सैनिकों और नागरिकों को युद्ध बंदी बना लिया था। पाकिस्तान में पंजाब और सिंध के कई इलाकों में भारतीय सेना का कब्जा हो गया था। भारतीय सेना नियंत्रण रेखा को पार करके पाकिस्तान के कब्‍जे वाले कश्मीर में भी कई किलोमीटर अंदर तक चली गई थीं। बताया जाता है कि कुल मिलाकर पाकिस्तान की 15,000 वर्ग किलोमीटर जमीन भारत के पास आ गई थी।

भारत ऐसे में फ्रंटफुट पर था। लोगों को ऐसा लग रहा था कि पाकिस्‍तान पर अब पीओके के मुद्दे पर दबाव बनाया जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। बुधवार को कश्मीर मुद्दे पर बुलाए गए संयुक्त सत्र के दौरान दावा पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने दावा किया कि जुल्फिकार अली भुट्टो ने बड़ी समझदारी के साथ इंदिरा गांधी से भारतीय सेना द्वारा कब्‍जाई सारी जमीन और पाक बंदी कैदियों को छुड़वा लिया था। ऐसा ही कुछ जम्‍मू-कश्‍मीर के मौजूदा हालत को लेकर पाकिस्‍तान को करना चाहिए। बता दें कि आसिफ अली जरदारी, जुल्फिकार अली भुट्टो के दामाद हैं।

बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1971 के युद्ध के बाद अपने कब्जे वाली पाकिस्तान की जमीन और 90 हजार से ज्‍यादा युद्धबंदियों को लेकर बातचीत की थी। इस बैठक में इंदिरा ने जुल्फिकार से कहा था कि हम आपको भारतीय सेना के द्वारा कब्‍जा की गई जमीर या पाक युद्धबंदियों में से कोई एक ही लौटा सकते हैं। अब आप बताइए कि आपको क्‍या चाहिए, जमीन या पाक युद्धबंदी? जुल्फिकार अली भुट्टो ने एक चाल चली और जमीन मांग ली। दरअसल, वह जानते थे कि अंतरराष्‍ट्रीय नियमों के कारण भारत को कभी न कभी पाक सैनिकों को छोड़ना ही होगा। फिर 90 हजार से ज्‍यादा युद्धबंदियों को रखना आर्थिक दृष्टि से भी फायदे का सौदा नहीं रहेगा। ऐसे में इंदिरा गांधी ने जमीन और युद्धबंदी दोनों ही पाकिस्‍तान को लौटा दिए।

डॉन न्यूज ने जरदारी के हवाले से बताया, 'हमें यह महसूस करना चाहिए कि 1971 के युद्ध के बाद जुल्फिकार अली भुट्टो ने कैसे अपनी सीमाओं की सुरक्षा की। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) का गठन कश्मीर के लिए किया गया था। जुल्फिकार अली भुट्टो ने बातचीत के बाद (पूर्व भारतीय प्रधान मंत्री) इंदिरा से कब्जाई जमीन वापस ले ली थी।' पीपीपी के नेता ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष दर्जे को रद करने का भारत का निर्णय पूर्वी पाकिस्तान की त्रासदी के समान ही गंभीर है। उन्होंने कहा कि कश्मीर मुद्दा पूर्वी पाकिस्तान के स्वतंत्र होने के बाद की दूसरी बड़ी घटना है।

गौरतलब है कि संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जा को समाप्त करने का प्रस्ताव संसद के दोनों सदनों से पारित हो गया है। जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख अब अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश होंगे।

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