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    सिंधु जल समझौते के अपने हिस्से का पानी पाकिस्‍तान जाने से रोकेगा भारत

    By Arun Kumar SinghEdited By:
    Updated: Sun, 25 Nov 2018 07:56 PM (IST)

    भारत सिंधु जल समझौते के अपने हिस्से के पानी को पाकिस्तान जाने से रोकेगा। इसके लिए दो बांध समेत तीन परियोजनाओं को जल्द पूरा किया जाएगा।

    सिंधु जल समझौते के अपने हिस्से का पानी पाकिस्‍तान जाने से रोकेगा भारत

     नई दिल्ली, प्रेट्र। भारत ने अपनी नापाक हरकतों और आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने से बाज नहीं आ रहे पाकिस्तान को पानी के हथियार से सबक सिखाने का फैसला कर लिया है। भारत सिंधु जल समझौते के अपने हिस्से के पानी को पाकिस्तान जाने से रोकेगा। इसके लिए दो बांध समेत तीन परियोजनाओं को जल्द पूरा किया जाएगा।

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     सरकारी अधिकारियों ने बताया कि दोनों देशों के बीच हुए सिंधु जल समझौते के तहत भारत को मिले उसके हिस्से का बहुत सारा पानी पाकिस्तान चला जाता है। लेकिन अब भारत अपने हिस्से के पानी को पाकिस्तान जाने से रोकने के लिए पंजाब के शाहपुर कांडी बांध परियोजना, सतलुज-ब्यास की दूसरी लिंक परियोजना और जम्मू-कश्मीर में प्रस्तावित उज्ज बांध परियोजना को जल्द से जल्द पूरा करेगा। लाल फीताशाही और राज्यों के आपसी विवाद में ये परियोजनाएं फंसी पड़ी हैं।

    सिंधु जल समझौते के मुताबिक सिंधु की तीन सहायक नदियों सतलुज, ब्यास और रावी नदी का पानी भारत को मिला है, जबकि चेनाब, झेलम और सिंधु नदी का पानी पाकिस्तान के हिस्से में है। इन नदियों के कुल 16.8 करोड़ एकड़-फुट पानी में से भारत को उसके लिए आवंटित तीनों नदियों से 3.3 करोड़ एकड़-फुट पानी मिलता है, जो कुल जल का लगभग 20 फीसद है।

    इसमें से भी भारत अपने हिस्से के करीब 93-94 फीसद जल का ही उपयोग कर पाता है, बाकि का पानी बहकर पाकिस्तान में चला जाता है। ये तीन परियोजनाएं पूरी हो जाती हैं तो भारत अपने हिस्से के जल का पूरा उपयोग करने लगेगा और पाकिस्तान को अतिरिक्त जल मिलना बंद हो जाएगा।

    उज्ज बांध परियोजना जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में रावी नदी पर प्रस्तावित है। तकरीबन 5, 950 करोड़ की इस बहुउद्देश्यीय परियोजना से 196 मेगावाट बिजली के साथ ही साथ ही सिंचाई के लिए पानी भी मिलेगा। इस परियोजना में पानी का उपयोग तो सिर्फ 17.28 करोड़ घन मीटर (एसीएम) ही होगा, लेकिन इसकी भंडारण क्षमता 92.5 करोड़ एमसीएम पानी की है। राज्य सरकार ने इसकी डीपीआर केंद्र को भेज दी है, जिसको जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद है।

    दरअसल, सितंबर, 2016 में हुए उड़ी हमले के बाद सरकार ने पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए सिंधु जल समझौते को हथियार बनाने की संभावना तलाशनी शुरू की थी। इसमें राज्यों के आपसी विवादों को सुलझाते हुए बिजली और सिंचाई परियोजनाओं को जल्द पूरा करने का विकल्प भी शामिल था।

    सरकार ने पंजाब सरकार से भी दूसरे सतलुज-ब्यास लिंक नहर की संभावना तलाशने को कहा है, ताकि समझौते के तहत भारत के हिस्से के जल का ज्यादा से ज्यादा उपयोग किया जा सके। जबकि, तकरीबन 2, 793 करोड़ रुपये की शाहपुर कांडी परियोजना पर काम दोबारा शुरू करने के लिए इसी साल सितंबर में पंजाब और जम्मू-कश्मीर सरकार के बीच समझौता हुआ है।