Move to Jagran APP

पाक में एक ही दिन में कोरोना के सबसे ज्‍यादा मामले आए सामने, सार्क चर्चा में नहीं आए इमरान

कोरोना पर चर्चा को लेकर जो पहल भारत ने शुरू की उसमें पाकिस्‍तान तो शामिल हुआ लेकिन इसमें वहां के पीएम इमरान खान ने शामिल होने की जरूरत तक महसूस नहीं की।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 16 Mar 2020 09:01 AM (IST)Updated: Tue, 17 Mar 2020 06:55 AM (IST)
पाक में एक ही दिन में कोरोना के सबसे ज्‍यादा मामले आए सामने, सार्क चर्चा में नहीं आए इमरान
पाक में एक ही दिन में कोरोना के सबसे ज्‍यादा मामले आए सामने, सार्क चर्चा में नहीं आए इमरान

नई दिल्‍ली। कोरोना पर चर्चा को लेकर जो पहल भारत ने शुरू की उसमें पाकिस्‍तान तो शामिल हुआ लेकिन इसमें वहां के पीएम इमरान खान ने शामिल होने की जरूरत तक महसूस नहीं की। ये हाल तब है जब हर मंच पर वो इस राग को अलापते रहे हैं कि पाकिस्‍तान और वो खुद पीएम नरेंद्र मोदी से वार्ता करना चाहते हैं। यदि भारत एक कदम आगे आएगा तो वो दो कदम बढ़ने को तैयार हैं। इतना ही नहीं, इस अतिविशेष चर्चा में उनकी तरफ से पीएम के विशेष सहायक जफर मिर्जा शामिल हुए। इसमें पाकिस्‍तान के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने भी शिरकत करने की जरूरत महसूस नहीं की।

loksabha election banner

इससे भी शर्मनाक ये रहा है कि पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री ने कहा कि भारत के लगातार नकारात्‍मक रवैये के बावजूद पाकिस्‍तान इस चर्चा में शामिल होगा। इसके अलावा जफर ने इस वार्ता में एक बार फिर से जम्‍मू-कश्‍मीर का राग भी अलापा और कोरोना के मद्देनजर विशेष ध्‍यान देने और वहां लगी पाबंदियों को हटाने की बात कही। कश्‍मीर का राग अलापते समय वो ये भूल गए कि जम्‍मू-कश्‍मीर में अब किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं लगी हुई है। इतना ही नहीं, वहां के पूर्व सीएम फारूक अब्‍दुल्‍ला भी खुली हवा में सांस ले रहे हैं। उनके द्वारा कश्‍मीर राग अलापने के पीछे जो दर्द था वो उन लोगों के लिए जरूर दिखाई दिया, जो पाकिस्‍तान के इशारे में राज्‍य में अमन के खिलाफ होते आए हैं। ये वो लोग हैं जिन्‍होंने वर्षों तक जम्‍मू-कश्‍मीर को आतंक की आग में जलाया है। अब जब आतंकी की कब्र जम्‍मू-कश्‍मीर में खुद रही है तो इन्‍हें दर्द हो रहा है। 

अफसोस की बात ये भी रही कि पाकिस्‍तान की तरफ से इस वार्ता में कोरोना वायरस के प्रकोप से सभी सार्क देशों को बचाने के उपाय के बाबत कुछ नहीं कहा गया। इतना जरूर कहा गया कि इसको रोकने के लिए सभी को प्रयास करने चाहिए। इसका अर्थ ये था कि इससे लड़ने के लिए पाकिस्‍तान के पास कोई रोडमैप तैयार ही नहीं है। ये सिर्फ हम ही नहीं कह रहे हैं, बल्कि वहां की मीडिया भी कह रही है। पाकिस्‍तान के अखबार डॉन ने लिखा है कि पाकिस्‍तान इससे लड़ने के लिए तैयार नहीं है। इतना ही नहीं, इसमें ये भी कहा गया है कि कोरोना को लेकर पाकिस्‍तान में हर जगह खौफ छाया हुआ है। इसमें ये भी कहा गया है कि यदि सरकार इससे निपटने में नाकाम रही तो हालात बेहद बुरे होंगे और जरूरी चीजों के दामों में दस फीसद तक इजाफा हो जाएगा। ये बुरे दौरे में गुजर रही वहां की अर्थव्‍यवस्‍था के लिए अच्‍छा नहीं होगा।   

आपको यहां पर ये भी बता दें कि ये पहला मौका नहीं है जब कोरोना को लेकर इस तरह की बातें पाकिस्‍तान की मीडिया में आई हों या फिर वहां के जानकार इस तरह की बात कर रहे हों। इससे पहले 29 जनवरी को छपे एक लेख 'कोरोना से लड़ने को तैयार नहीं है पाकिस्‍तान' में हुमा यूसुफ ने साफतौर पर कहा था कि पाकिस्‍तान इससे लड़ने को तैयार नहीं है। इस लेख को छपे अब डेढ़ माह से ज्‍यादा हो गए हैं। बहरहाल, आपको बता दें कि कोरोना के प्रकोप से पूरे सार्क देशों को बचाने की पहल भारतीय पीएम मोदी की ही तरफ से की गई थी।

कोरोना को लेकर सार्क देशों की इस चर्चा में जहां सभी सदस्‍य देशों ने भारत की इस पहल का स्‍वागत किया वहीं पीएम मोदी ने कहा कि सार्क देशों में दुनिया की पूरी आबादी का पांचवां हिस्सा रहता है। इस लिहाज से यहां का खतरा भी बड़ा है। इस दौरान कोरोना से निपटने के लिए कोविड-19 इमरजेंसी फंड बनाने की घोषणा करते हुए मोदी ने भारत की ओर से इसमें एक करोड़ अमेरिकी डॉलर (लगभग 74 करोड़ रुपये) देने का एलान भी किया है।साथ ही पीएम मोदी ने ये भी कहा कि भारत के विशेषज्ञ डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों व वैज्ञानिकों की टीम सार्क देशों के कहने पर कहीं भी जाने के लिए पूरी तरह तैयार है।

आपको बता दें कि सात दिनों के अंदर सार्क देशों में कोरोना से निपटने में जुटे विशेषज्ञों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें वे अपने-अपने अनुभवों को साझा करने के साथ ही एक-दूसरे की मदद करने योग्य मुद्दों पर चर्चा करेंगे। इसके अलावा पीएम मोदी ने ये भी कहा कि सार्क के साथी देशों के साथ इस महामारी पर निगरानी के लिए बनाए गए सॉफ्टवेयर को भी साझा करने को तैयार हैं। साथ ही इसके इस्तेमाल की ट्रेनिंग भी दी जाएगी।

ये भी पढ़ें:- 

कोरोना से लड़ने को तैयार नहीं है पाकिस्‍तान, जानें क्‍या कहते हैं वहां के विशेषज्ञ 

1896 में भारत में महामारी बना था प्‍लेग, 1897 में पहली बार देश में बना था कोई टीका 

जानें कहां से आया Vaccination शब्‍द और कब से हुई इसकी शुरुआत, है बेहद रोचक इतिहास 

कोरोना की दवा विकसित करने में आड़े आ रही चूहों की कमी, दहशत में दुनिया   


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.