लिज ट्रस की अगुआई में कैसे मजबूत होंगे भारत ब्रिटेन रिश्ते; क्या समय पर पूरा होगा एफटीए, जानें हर सवालों के जवाब
बीते कुछ वर्षों के दौरान भारत और ब्रिटेन के रिश्तों में गर्माहट देखी जा रही थी। चूंकि ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री के तौर पर लिज ट्रस का आगमन हुआ है तो सवाल उठने लगे हैं कि भारत और ब्रिटेन के रिश्तों में पहले जैसी गर्मजोशी बरकरार रहेगी या नहीं...

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। पिछले कुछ वर्षों से भारत और ब्रिटेन के रिश्तों में गर्माहट का जो नया दौर शुरू हुआ है वह नई पीएम लिज ट्रस के कार्यकाल में और प्रगाढ़ होने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी ट्रस को बधाई देते हुए उम्मीद जताई है कि उनकी अगुआई में दोनों देशों के बीच समग्र रणनीतिक साझेदारी और मजबूत होगी। पिछले साल मार्च के बाद से ट्रस तीन बार भारत की आधिकारिक यात्रा कर चुकी हैं। एक बार बतौर कारोबार मंत्री और दो बार बतौर विदेश मंत्री।
भारत-ब्रिटेन के रिश्तों में मजबूती बेहद जरूरी
इस साल मार्च में नई दिल्ली में विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ मंच साझा करते हुए ट्रस ने कहा भी था कि मौजूदा वैश्विक माहौल में भारत-ब्रिटेन के रिश्तों में मजबूती पहले से भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है। ट्रस के नेतृत्व में ब्रिटेन की नई सरकार गठन होने से भारत-ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) में भी तेजी आएगी। बतौर कारोबार मंत्री भारत के साथ द्विपक्षीय कारोबारी रिश्ते की जोरदार समर्थक रही हैं। ब्रिटेन में राजनीतिक उथल-पुथल के बावजूद दोनों देशों के बीच एफटीए को लेकर आधिकारिक स्तर पर वार्ता होती रही है।
क्या मुक्त व्यापार समझौते पर आगे बढ़ेंगे दोनों देश
ट्रस ने हाल ही में उम्मीद जताई थी कि दीपावली तक इस समझौते पर हस्ताक्षर हो जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा है कि दोनों देशों के बीच एफटीए का दायरा काफी व्यापक होना चाहिए, इसमें लाइफ साइंस से लेकर तकनीक व कृषि सभी शामिल होने चाहिए। उन्होंने भारतीय प्रतिभाओं को विश्व में सर्वोत्तम करार देते हुए उन्हें आकर्षित करने के लिए ब्रिटेन की मौजूदा वीजा पद्धति में बदलाव का भी समर्थन किया है।
रक्षा क्षेत्र में संबंध और मजबूत होने की उम्मीद
इस साल मार्च में विदेश मंत्री के तौर पर ट्रस जब भारत आई थीं तब यूक्रेन-रूस युद्ध को लेकर दोनों देशों के बीच असहमति स्पष्ट रूप से सामने आई थी। परंतु, दोनों विदेश मंत्रियों ने साफ कहा था कि इसका द्विपक्षीय रिश्तों पर असर नहीं होगा। द्विपक्षीय बैठक में ट्रस ने कहा था कि ब्रिटेन की सैन्य उपकरण व युद्ध सामग्री बनाने वाली कंपनियां भारत को एक बड़े बाजार के तौर पर देख रही हैं और वो आत्मनिर्भर भारत योजना का हिस्सा बनने को तैयार हैं।
टू प्लस टू वार्ता भी हो सकती है शुरू
जयशंकर ने इसका स्वागत किया था और इस बारे में जल्द ही शीर्षस्तरीय वार्ता का प्रस्ताव रखा था। संभवत: अब जबकि ट्रस प्रधानमंत्री पद संभाल रही हैं तो यह वार्ता जल्द शुरू हो सकती है। यही नहीं ट्रस और जयशंकर के बीच दोनों देशों के बीच टू प्लस टू (रक्षा व विदेश मंत्रियों को मिला कर) वार्ता शुरू करने की भी सहमति बनी थी। इस बारे में भी सकारात्मक प्रगति की उम्मीद की जा सकती है।
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