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    G20 Summit 2022: वैश्विक संकटों के बीच जी-20 की भूमिका की तलाश, एक्सपर्ट व्यू

    By Jagran NewsEdited By: Sanjay Pokhriyal
    Updated: Sat, 19 Nov 2022 10:20 AM (IST)

    G20 Summit 2022 जी-20 की हालिया आयोजित बाली समिट में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि यह युग युद्ध का नहीं है। यह मोदी की मजबूत विदेश नीति और दृष्टिकोण को दर्शाता है। कूटनीति और संवाद के माध्यम से इसे रोकने पर जोर दिया जा सकता है।

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    G20 Summit 2022: आर्थिक संकटों की एक बात जो गौर करने वाली है, वह है जी-20 संगठन की भूमिका।

    विवेक ओझा। आज से लगभग 14 वर्ष पहले ग्लोबल इकोनमी को एक बड़ा झटका लगा था, जब एशियाई वित्तीय संकट ने आर्थिक संवृद्धि की दर को बहुत धीमा कर दिया था और एक बार फिर से 2020 से विश्व अर्थव्यवस्था गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही है और कई बड़े देश भी इकोनमिक रिकवरी करने में स्वयं को असमर्थ पा रहे हैं। इन दोनों ही दौर के आर्थिक संकटों की एक बात जो गौर करने वाली है, वह है जी-20 संगठन की भूमिका।

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    एशियाई वित्तीय संकट के प्रभावों को देखते हुए ही 1999 में जी-20 का गठन हुआ और अब फिर से जब दुनिया आर्थिक, भू-राजनीतिक झंझावातों से घिरी है तो उसका समाधान तलाशने के लिए एक बार फिर जी-20 का सम्मेलन हाल ही में इंडोनेशिया के बाली में किया गया है। इस सम्मेलन की एक खास बात जिस पर ध्यान जाना चाहिए वह यह है कि अब जी-20 के विकसित देशों ने ग्लोबल इकोनमी की गाड़ी को पटरी पर लाने के लिए भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका जैसे इमर्जिंग मार्केट इकोनमी की भूमिका और क्षमता को मान्यता देना शुरू कर दिया है।

    आर्थिक संरक्षणवादी नीति

    इसका प्रमाण यह भी है कि वर्ष 2023 में जी-20 का आयोजन भारत करेगा तो वहीं 2024 और 2025 में इसका आयोजन क्रमशः ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका करेंगे। बाली में जारी किए गए जी-20 के उद्घोषणा से पता चलता है कि विकसित और विकासशील देश जी-20 को ग्लोबल इकोनमिक रिकवरी का सबसे प्रभावी जरिया मान रहे हैं। शायद इसलिए राष्ट्रों के बीच अपने आर्थिक मतभेदों और महत्वाकांक्षाओं को परे रखकर, आर्थिक संरक्षणवादी नीतियों को छोड़कर वैश्विक आर्थिक सहयोग सुनिश्चित करने पर सहमति दिखाई दे रही है।

    रूस-यूक्रेन युद्ध और अन्य भू-राजनीतिक तनावों ने यूरोपीय देशों खासकर ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है। इसलिए जी-20 के बाली समिट में राष्ट्रों ने कहा कि वे रूस की युद्ध की बर्बर और पाशविक मानसिकता का विरोध करते हैं और चाहते हैं कि रूस बिना किसी शर्त के यूक्रेन के विरुद्ध अपनी सैन्य कार्यवाही को बंद करे, क्योंकि युद्ध अब बहुत बड़ी मानव त्रासदी की तरफ बढ़ रहा है और रूल बेस्ड इंटरनेशनल आर्डर और लोकतांत्रिक मूल्य इस बात की इजाजत नहीं देते कि कोई देश अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के लिए वैश्विक शांति सुरक्षा और अर्थव्यवस्था की आहुति देने पर तुल जाए।

    बाली में आयोजित जी-20 बैठक से पहले अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने भी कहा कि किसी भी हालात में परमाणु युद्ध नहीं होना चाहिए। दोनों देशों ने यह भी कहा है कि परमाणु हथियार से कभी भी युद्ध नहीं जीता जा सकता है। रूस की ओर से यूक्रेन को दी जा रही परमाणु धमकियों की भी दोनों देशों ने निंदा की है। चीन का ऐसा दृष्टिकोण पश्चिमी देशों को एक अलग ही प्रकार का साहस दे रहा है, क्योंकि चीन बहुत कम अवसरों पर स्पष्टवादी हो पाता है।

    धारणीय विकास

    जी-20 नहीं चाहता कि विश्व में क्रिटिकल सप्लाई चेन धराशायी हो जाए, जी-20 के सदस्य नहीं चाहते कि कोविड महामारी से त्रस्त रह चुके देश अब युद्धजनित ऊर्जा समस्या का सामना करें। जी-20 के देश चाहते हैं कि अब एक ऐसे धारणीय विकास के लिए काम किया जाए, ताकि आर्थिक मंदी की आशंकाओं को समाप्त किया जा सके। इस बात की प्रतिध्वनि इंडोनेशिया के जी-20 की अध्यक्षता के थीम “रिकवर टुगेदर, रिकवर स्ट्रांगर” में सुनाई देती है। जी-20 के देशों ने सतत विकास लक्ष्यों की समय रहते प्राप्ति के लिए मल्टीलैटरल डेवलपमेंट बैंक्स से कहा है कि वे इस दिशा में वित्तीय सहयोग की मात्रा और गति दोनों को बढ़ाए, ताकि खाद्यान्न समस्या से निपटना राष्ट्रों के लिए आसान हो सके।

    जी-20 देशों ने ग्लोबल क्राइसिस रेस्पांस ग्रुप आन फूड, एनर्जी और फाइनेंस को आज की स्थिति को देखते हुए और सक्रिय भूमिका निभाने का आवाहन किया है। जी-20 बाली समिट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि देशों को कोविड महामारी, युद्ध, प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित सर्वाधिक सुभेद्य वर्गों (वल्नरेबल कम्युनिटी) की पहचान करनी होगी (जैसे महिला, बच्चे, सीमांत कृषक, मछुआरे आदि) ताकि इनके लिए सामाजिक आर्थिक सुरक्षा का प्रबंध किया जा सके।

    आर्थिक मंदी

    दुनिया को आज ‘वन हेल्थ एप्रोच’ को क्रियान्वित करने के लिए काम करना चाहिए। ‘वन हेल्थ’ व्यक्तियों और पर्यावरण के स्वास्थ्य को संतुलित व अनुकूलित करने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण है। इसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य, पशु चिकित्सा, सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण क्षेत्र शामिल हैं। यह दृष्टिकोण विशेष रूप से भोजन व पानी की सुरक्षा, पोषण, जूनोटिक यानी पशुजन्य बीमारियों के नियंत्रण (रोग जो जानवरों और मनुष्यों के बीच फैल सकता है, जैसे फ्लू, रेबीज और रिफ्ट वैली बुखार), प्रदूषण प्रबंधन और रोगाणुरोधी प्रतिरोध (उद्भव) के लिए विशेष रूप से प्रासंगिक है।

    जी -20 विश्व का एक अनौपचारिक व्यापारिक समूह है जिसका न तो स्थायी मुख्यालय है, न सचिवालय और न ही स्थायी स्टाफ। यह वैश्विक अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियों जैसे आर्थिक मंदी, निर्धनता, बेरोजगारी, मुद्रास्फीति, खाद्य असुरक्षा, काला धन, आर्थिक अपराध आदि से निपटने के लिए रणनीतियां बनाता है। इसने अंतरराष्ट्रीय कर प्रशासन हेतु अपेक्षित सुधारों के लिए राष्ट्रों से समय समय पर अपील की है। वैश्विक स्तर पर कंपनियों द्वारा कर की चोरी को रोकने और गंभीर आर्थिक अपराधों को रोकने के लिए भी जी- 20 ने एजेंडा निर्धारित किया है।

    [अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार]