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    विदेश मंत्री एस. जयशंकर बोले- भारत चीन सीमा पर थोड़ी कम हुई समस्या, हिंद प्रशांत क्षेत्र पर भी फोकस

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Wed, 14 Sep 2022 11:15 PM (IST)

    गोगरा-हाटस्प्रिंग इलाके के पेट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी)-15 से भारत और की तरफ से अपने-अपने सैनिकों की वापसी पर विदेश मंत्री एस जयशंकर का कहना है भारत और चीन सीमा पर एक समस्या कम हुई है। पढ़ें विदेश मंत्री एस. जयशंकर का पूरा बयान...

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    विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत-चीन सीमा पर अब एक समस्या कम हो गई है।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत-चीन सीमा पर अब एक समस्या कम हो गई है। उनका संदर्भ गोगरा-हाटस्प्रिंग इलाके के पेट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी)-15 से दोनों देशों की तरफ से तैनात अपने-अपने सैनिकों की वापसी को लेकर था। उन्होंने कहा कि पीपी-15 से सैनिकों की वापसी का काम पूरा हो गया है। जयशंकर यहां फ्रांस की विदेश मंत्री कैथरीन कोलोना के साथ द्विपक्षीय बैठक करने के बाद संयुक्त तौर पर प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। उनसे भारत-चीन के रिश्तों के बारे में पूछा गया था।

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    भारत और चीन को लेकर मेरे पास कहने को कुछ नहीं

    उन्होंने कहा,' भारत और चीन को लेकर मेरे पास नया कहने को कुछ नहीं है। अलबत्ता मैं मानता हूं कि सैनिकों की वापसी पूरी होने से एक समस्या हल हुई है।' बताते चलें कि मई, 2020 से ही पूर्वी लद्दाख पर स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास भारत और चीन के बीच सैन्य तनाव चल रहा था। पीपी-15 खास स्थल है जिसको लेकर दोनों देशों के बीच सहमति नहीं बन पा रही थी। लेकिन आठ से 12 सितंबर के बीच यहां से भी सैनिकों की वापसी हो चुकी है।

    इस पहल के मायने कहीं यह तो नहीं 

    माना जा रहा है कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में पीएम नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफ‍िंग के बीच संभावित मुलाकात को देखते हुए सैनिक वापसी को लेकर सहमति बनी है। वैसे आधिकारिक तौर पर दोनों तरफ से इस मुलाकात के बारे में कुछ नहीं बताया गया है।

    फ्रांस और भारत हिंद प्रशांत क्षेत्र में अन्य देशों के साथ बनाएंगे गठबंधन

    जयशंकर ने कहा कि भारत और फ्रांस के बीच हुई वार्ता में हिंद प्रशांत क्षेत्र का मुद्दा काफी प्रमुखता से उठा है। दोनों देशों ने इस क्षेत्र में स्थित अन्य देशों के साथ मिलकर त्रिपक्षीय गठबंधन करने का फैसला किया है। साथ ही यह निर्णय लिया है कि भारत व फ्रांस मिलकर अन्य देशों में ढांचागत विकास में मदद करेंगे।

    इन मुद्दों पर हुआ मंथन 

    भारत और फ्रांस की तरफ से जारी संयुक्त बयान में बताया गया कि जयशंकर और कोलोना के बीच बैठक में यूक्रेन की स्थिति, अफगानिस्तान और पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर भी विमर्श हुआ है। जयशंकर ने कहा कि भारत फ्रांस को न सिर्फ एक मजबूत सहयोगी के तौर पर देखता है, बल्कि यह भी मानता है कि विश्व अब ज्यादा बहुध्रुवीय बन रहा है और इसमें फ्रांस भी एक अहम धुरी होगा। उन्होंने भरोसा जताया कि फ्रांस आगे भी भारत के हितों व चिंताओं का ख्याल रखेगा।