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    विदेश मंत्री एस जयशंकर बोले- शीत युद्ध से उबरने की स्थिति को प्रदर्शित करती है हिंद प्रशांत रचना

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Thu, 15 Apr 2021 01:17 AM (IST)

    विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को फ्रांस एवं ऑस्ट्रेलिया के अपने समकक्ष के साथ डिजिटल वार्ता में कहा कि हिंद प्रशांत रचना एक वृहद समसामयिक दुनिया क ...और पढ़ें

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    विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि हिंद प्रशांत रचना एक वृहद समसामयिक दुनिया को प्रदर्शित करती है...

    नई दिल्ली, पीटीआइ। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को फ्रांस एवं ऑस्ट्रेलिया के अपने समकक्ष के साथ डिजिटल वार्ता में कहा कि हिंद प्रशांत रचना एक वृहद समसामयिक दुनिया को प्रदर्शित करती है और यह शीतशुद्ध से उबरने की ओर इंगित करती है, उसे थोपती नहीं है। जयशंकर ने कहा कि हिंद प्रशांत एक ऐसे निर्बाध विश्व को प्रदर्शित करता है जो ऐतिहासिक रूप से भारत-अरब आíथक कारोबारी संबंधों और वियतनाम एवं चीन के पूर्वी तटीय आसियान देशों के सांस्कृतिक प्रभाव के रूप में मौजूद था।

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    रायसीना वार्ता में हिस्सा लेते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, 'मैं इसे ऐसे रखना चाहूंगा कि यह एक तरह से हिंद प्रशांत इतिहास की ओर फिर से लौटना है। यह अधिक समसायिक दुनिया को प्रदर्शित करता है। यह वास्तव में शीतयुद्ध से उबरने जैसा है और उसे थोपता नहीं है।'

    यह संयोग ही है कि बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में रूसी राजदूत निकोलाई कुदाशेव ने पश्चिमी देशों की हिंद प्रशांत रणनीति की आलोचना करते हुए इसे खतरनाक और शीत युद्ध की मानसिकता को उभारने का प्रयास बताया ।

    उल्लेखनीय है कि बुधवार को जयशंकर के साथ फ्रांस के विदेश मंत्री जे वाई एल द्रां और ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मैरिस पेन ने हिस्सा लिया। इसमें हिंद प्रशांत क्षेत्र में सहयोग और कोरोना वायरस के प्रतिकूल प्रभावों से निपटने को लेकर चर्चा हुई। भारत और ऑस्ट्रेलिया हिंद प्रशांत क्षेत्र में चतुर्गुट (क्वाड) का हिस्सा हैं । यह समूह हिंद प्रशांत क्षेत्र को मुक्त एवं समावेशी बनाने उद्देश्य को लेकर काम करता है। इस समूह में अमेरिका और जापान भी शामिल हैं ।

    वार्ता के दौरान ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री मैरिस पेन ने कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ प्रतिक्रिया और सुधार के प्रयासों के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में विकासशील देश महामारी के मद्देनजर आíथक मोर्चे सहित अन्य चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। पेन ने नियम आधारित वैश्विक व्यवस्था, सागर में टिकाऊ व्यवस्था, जलवायु परिवर्तन, सामरिक प्रतिस्पर्धा जैसे विषयों पर विचार व्यक्त किया।

    मैरिस पेन ने म्यांमार में एक फरवरी को तख्तापलट के बाद उत्पन्न स्थिति का जिक्र किया और उस देश में लोकतांत्रिक बदलाव की जरूरत बताई। वहीं, फ्रांस के विदेश मंत्री जे वाई एल द्रां ने हिंद प्रशांत क्षेत्र में तीनों देशों के बीच सहयोग गहरा बनाने के लिये व्यावहारिक रुख अपनाने की जरूरत बतायी। उन्होंने आतंकवाद के वित्त पोषण से निपटने के प्रयासों का भी जिक्र किया।