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    India-Russia Trade: भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार अब नई ऊंचाई पर, एक्सपर्ट व्यू

    By Jagran NewsEdited By: Sanjay Pokhriyal
    Updated: Wed, 16 Nov 2022 09:34 AM (IST)

    भारत अपनी आवश्यकता का करीब 80 प्रतिशत कच्चा तेल विदेश से खरीदता है। इसका लगभग एक चौथाई हिस्सा अब रूस से आ रहा है। इसके चलते दोनों देशों के बीच व्यापार में उछाल आया है। यह अब तक के अपने उच्चतम स्तर 1822 करोड़ डालर पर पहुंच गया है।

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    India-Russia Trade: दोनों देशों के बीच व्यापार में उछाल आया है।

    प्रो. लल्लन प्रसाद। India-Russia Trade भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार अब तक के अपने उच्चतम स्तर 1,822 करोड़ डालर पर पहुंच गया है। वित्त वर्ष 2020-21 में दोनों देशों के बीच मात्र 814 करोड़ डालर का व्यापार हुआ था, जो वित्त वर्ष 2021-22 में बढ़कर 1,312 करोड़ पर पहुंचा। इस वित्त वर्ष यानी 2022-23 में दोनों देशों के बीच व्यापार में जो उछाल आया है वह यूक्रेन में युद्ध छिड़ने के कारण रूस के ऊपर अमेरिका और यूरोपीय देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंध और रूस की ओर से भारत को रियायती दर पर पेट्रोलियम पदार्थ यानी कच्चा तेल देने की वजह से हुआ है। वर्ष 2020 में रूस भारत के व्यापारिक साझेदार के रूप में 25वें स्थान पर था, अब सातवें पर आ गया है।

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    अमेरिका, चीन, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, इराक और इंडोनेशिया अभी भी भारत के व्यापारिक साझेदार के रूप में रूस से ऊपर हैं। कोविड के प्रारंभ होने के पूर्व भारत अपनी आवश्यकता का मात्र दो प्रतिशत कच्चा तेल ही रूस से खरीदता था, अब करीब 23 प्रतिशत खरीद रहा है। यद्यपि द्विपक्षीय व्यापार में भारी वृद्धि का लाभ दोनों देशों को हो रहा है, किंतु व्यापार संतुलन रूस के पक्ष में है। वैसे 1997 से 2003 तक यह व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में था, किंतु उसके बाद से यह रूस के पक्ष में होने लगा।

    इस वित्त वर्ष में अब तक भारत ने रूस को मात्र 99 करोड़ डालर का माल निर्यात किया है, जबकि रूस से 1,723 करोड़ डालर का आयात किया है। यह वृद्धि रूस से कच्चे तेल और उर्वरकों के आयात में भारी वृद्धि के कारण ही हुआ है। अब दोनों देश आपसी व्यापार रुपया-रूबल के माध्यम से करने के लिए भी राजी हो गए हैं। हालांकि अभी भुगतान डालर में ही हो रहा है। जुलाई 2022 में ही आरबीआइ ने इसकी इजाजत दे दी थी।

    आरबीआइ ने कहा है कि जो व्यापारी रुपये के माध्यम से व्यापार करेंगे वे विदेशी व्यापार नीति के अंतर्गत मिलने वाली सारी सुविधाओं का लाभ ले सकेंगे। भारत जिन वस्तुओं का रूस को निर्यात करता है उनमें प्रमुख हैं: दवा, मशीनरी, चाय, काफी, मसाले, आर्गेनिक रसायन, इलेक्ट्रानिक वस्तुएं, ताजे फल, मांस, चावल, प्रसंस्कृत फल और जूस एवं अन्य कृषि पदार्थ। सबसे अधिक निर्यात दवाओं का होता है। भारत की बड़ी-बड़ी दवा कंपनियां रूस से व्यापार करती हैं। रूस में चाय की 30 प्रतिशत आवश्यकता की पूर्ति भारत करता है। जिन वस्तुओं का भारत रूस से आयात करता है उनमें प्रमुख हैं: पेट्रोलियम पदार्थ एवं प्राकृतिक गैस, उर्वरक, खाद्य तेल, रक्षा संयंत्र-युद्धपोत, लड़ाकू जहाज, स्पेसक्राफ्ट, लोहा एवं इस्पात, न्यूक्लियर प्लांट, ब्वायलर्स, पेपर, सीमेंट, जस्ता, तांबा एवं हीरे-जवाहरात आदि।

    वर्षों से रूस भारत का रक्षा संयंत्रों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता रहा है, अब वह कच्चे तेल का भी एक बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया है। व्यापार असंतुलन को ठीक करने के लिए भारत को अपने निर्यात की टोकरी में गुणात्मक वृद्धि करनी होगी। इंजीनियरिंग उत्पाद, कृषि उत्पाद, दवाओं एवं अन्य उपभोक्ता पदार्थों की आपूर्ति बढ़ाने की अच्छी संभावना है। पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद भारत रूस से बड़ी मात्रा में पेट्रोलियम पदार्थ खरीद रहा है जिससे वे नाराज हैं।

    भारत अपनी आवश्यकता का करीब 80 प्रतिशत कच्चा तेल विदेश से खरीदता है। इसका लगभग एक चौथाई िहस्सा अब रूस से आ रहा है। भारत को अपनी ऊर्जा संबंधी आवश्यकताओं को देखते हुए रूस से कम दाम में कच्चा तेल खरीदने में ही लाभ है। रूस कूटनीतिक संबंधों एवं रक्षा की जरूरतों में ही नहीं, बल्कि आर्थिक मामलों में भी आवश्यकता पड़ने पर भारत का साथ देता रहा है। दोनों देशों के संबंध आपसी विश्वास की तुला पर खरे उतरे हैं।

    आर्थिक-सामरिक संबंधों को मजबूती प्रदान करने के लिए दोनों देशों के शीर्ष नेता, वरिष्ठ मंत्री और अधिकारी बराबर संपर्क बनाए रखते हैं। इसके लिए दोनों देशों के बीच एक संस्थागत व्यवस्था भी की गई है, जिसके अंतर्गत इंटरगवर्नमेंटल कमीशन फार ट्रेड, इकोनमिक, साइंटिफिक एंड कल्चरल कोआपरेशन एवं इंडिया रशिया स्ट्रेटजिक इकोनमिक डायलाग आते हैं। यूरेशिया इकोनमिक यूनियन के माध्यम से रूस और मध्य एशियाई देशों के साथ व्यापार संबंधों पर विचार-विमर्श होता रहता है। ईस्टर्न इकोनमिक फोरम में भी भारत-रूस सक्रिय हैं।

    दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार एवं निवेश के 2025 तक के लक्ष्य क्रमशः 50 अरब एवं 30 अरब डालर रखे गए हैं। जिन क्षेत्रों में निवेश हो रहा है उनमें हाइड्रोकार्बन, ऊर्जा, कोयला, न्यूक्लियर पावर, उर्वरक, आइटी, खनिज, इस्पात, दवा एवं इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट शामिल हैं। दोनों देशों के चैंबर आफ कामर्स भी आपस में व्यापारिक संबंधों पर बराबर चर्चा करते रहते हैं। सेंट पीटर्सबर्ग इकोनमिक फोरम के साथ भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) ने एक एमओयू साइन किया है। फेडरेशन आफ इंडियन चैंबर्स आफ कामर्स ने महिला उद्यमियों का एक प्रतिनिधिमंल रूस भेजा था।

    कई राज्यों ने भी रूस के विभिन्न क्षेत्रीय संगठनों के साथ एमओयू पर साइन किए हैं, इनमें गुजरात, गोवा, हरियाणा और उत्तर प्रदेश शामिल हैं। नीति आयोग और रूस के सुदूर पूर्व एवं आर्कटिक क्षेत्रों के फेडरेशन के बीच आर्थिक संबंधों पर वार्ता हुई है। कुछ रूसी बैंकों ने भारत में और भारतीय बैंकों ने रूस में अपनी शाखाएं खोली हैं, जो रुपया-रूबल के माध्यम से व्यापार मे सहायक होंगी। यह व्यवस्था डालर के विकल्प के रूप में भी देखी जा रही है, इसका सफल प्रयोग अनेक देशों के साथ रुपये में व्यापार को बढ़ावा देगा, जो डालर की कमी से जूझ रहे हैं।

    [पूर्व विभागाध्यक्ष, बिजनेस इकोनमिक्स विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय]