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बेडि़यां तोड़ रही सऊदी अरब की महिलाएं, पुरुष की इजाजत के बिना कर सकेंगी कारोबार

महिलाओं की आजादी को लेकर जो काम सऊदी अरब कर रहा है वह वास्‍तव में तारीफ के काबिल है। बीते कुछ समय से सऊदी अरब लगातार महिलाओं के हक में फैसले ले रहा है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 19 Feb 2018 12:50 PM (IST)Updated: Mon, 19 Feb 2018 04:49 PM (IST)
बेडि़यां तोड़ रही सऊदी अरब की महिलाएं, पुरुष की इजाजत के बिना कर सकेंगी कारोबार
बेडि़यां तोड़ रही सऊदी अरब की महिलाएं, पुरुष की इजाजत के बिना कर सकेंगी कारोबार

नई दिल्‍ली [स्‍पेशल डेस्‍क]। महिलाओं की आजादी को लेकर जो काम सऊदी अरब कर रहा है वह वास्‍तव में तारीफ के काबिल है। बीते कुछ समय से सऊदी अरब लगातार महिलाओं के हक में फैसले ले रहा है। कभी मुस्लिम कट्टरपंथी के तौर पर पहचाने जाने वाले इस देश ने अब इसको छोड़ने का मन बना लिया है। यही वजह है कि सऊदी अरब ने एक बार फिर से धमाकेदार फैसला लेते हुए महिलाओं को कारोबार शुरू करने का हक दे दिया है। यह उन तमाम सामाजिक सुधारों की कोशिशों में से एक है, जो क्राउन प्रिंस मोहम्मद सलमान की अगुवाई में किए जा रहे हैं। आपको बता दें कि ताजा फैसले से पहले यहां पर महिलाओं को कारोबार शुरू करने के लिए पति या पुरुष परिजन की अनुमति जरूरी होती थी। अब ऐसा नहीं होगा।

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बदलने की दिशा में फिर बड़ा कदम

यह फैसला दशकों से वहां चली आ रही सख्त अभिभावक प्रथा को बदलने की दिशा में बड़ा कदम है। इसकी जानकारी बाकायदा सऊदी वाणिज्य एवं निवेश मंत्रालय दी गई है। वेबसाइट पर कहा गया है कि अभिभावक की मंजूरी का प्रमाण दिए बिना महिलाएं अब अपना कारोबार शुरू कर सकती हैं। वे सरकार की ई-सेवाओं का लाभ उठा सकती हैं। अभी तक महिलाओं को किसी भी सरकारी काम, यात्रा या कक्षा में नामांकन के लिए पति, पिता या भाई से इजाजत लेनी होती थी। लंबे समय से कच्चे तेल के राजस्व पर निर्भर सऊदी अरब में निजी क्षेत्र के विस्तार को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसमें महिलाओं को रोजगार देना भी शामिल है।

महिला जांचकर्ताओं की तैनाती

इसी महीने सऊदी लोक अभियोजक कार्यालय ने पहली बार महिला जांचकर्ताओं की बहाली शुरू करने को एलान किया। सऊदी सरकार हवाई अड्डों और सीमा क्रासिंग पर 140 पदों पर महिलाओं की नियुक्ति करेगी। इसके लिए एक लाख सात हजार महिलाओं ने आवेदन किया। सऊदी अरब में हाल के महीनों में कर्मचारी के तौर पर महिलाओं की भूमिका बढ़ाने का अभियान चलाया गया है।

सऊदी अरब में महिलाओं ने देखा मैच

इससे पहले जनवरी में सऊदी अरब में ऐतिहासिक पल उस वक्‍त सामने आया था जब जेद्दाह के एक स्टेडियम में मैच देखने के लिए महिला फैन्स भी पहुंचीं थीं। उन्‍होंने 'फैमिली गेट' से स्टेडियम में एंट्री ली और 'फैमिली सेक्शन' में बैठकर इस मैच का आनंद लिया। जेद्दाह के स्टेडियम में महिला फैन्स के स्वागत के लिए महिला कर्मचारियों को तैनात किया गया था। महिलाओं ने ज़ोर-शोर से अपनी अपनी टीमों का समर्थन किया था।

फिल्‍मों की शुरुआत

सऊदी अरब में जनवरी में ही सिनेमा हॉल फिर से खुल गए और वहां पर महिलाओं ने अपने परिवार के साथ मिलकर फिल्‍म का लुत्‍फ भी उठाया था। अभी तक यहां के लोग मनोरंजन के लिए बहरीन, यूएई और अन्य देशों में जाया करते थे। जनवरी में यहां पर बच्चों की एनीमेटेड फिल्म का प्रदर्शन किया गया। इसी के साथ सऊदी अरब में फिल्म प्रदर्शन पर 35 साल से लगा प्रतिबंध खत्म हो गया। उस वक्‍त फिल्म प्रदर्शन पर प्रतिबंध कट्टरपंथियों के दबाव के चलते लगाया गया था। देश की सरकार ने इससे पहले 2017 में लाइव कंसर्ट से खुलेपन की शुरुआत की।

तेल ग्राहकों को बड़ा झटका

लंबे समय तक कर-मुक्त कहे जाने वाले खाड़ी देशों में मूल्यवर्धित कर (वैट) व्यवस्था शुरू की गई। इसे लागू करने वालों में सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात सबसे पहले हैं। सऊदी अरब ने नए साल के मौके पर वैट के अलावा पेट्रोल कीमतों में 127 फीसद तक की वृद्धि करके ग्राहकों को एक और झटका दिया है। हालांकि इस वृद्धि की घोषणा पहले से नहीं की गई थी। चार और खाड़ी देश बहरीन, कुवैत, ओमान और कतर भी वैट लगाने के लिए प्रतिबद्ध हैं लेकिन वह इस पर अगले साल तक निर्णय लेंगे। पेट्रोल की कीमतों में सऊदी अरब में यह दो साल में दूसरी वृद्धि है। यह अब भी दुनिया में सबसे सस्ते पेट्रोल वाले देशों में से एक है। खाड़ी के तेल उत्पादक देशों ने पिछले दो साल में अपनी आय बढ़ाने और खर्च में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें व्यय को कम करना और कर लगाना शामिल है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की घटती कीमतों ने इन देशों के बजट को नकारात्मक तौर पर प्रभावित किया है। बदलते दौर में सऊदी अरब द्वारा लिया गया ये फैसला भी उसकी ताबड़तोड़ फैसलों की सीरीज का ही एक पार्ट है।

 

सऊदी अरब बदल रहा है अपनी छवि

अगर हाल के कुछ वर्षों की बात की जाए तो यह सऊदी अरब की बदलती छवि को साफतौर पर देखा और समझा जा सकता है। इसे इस तरह से भी समझा जा सकता है कि पहले सऊदी अरब में की महिलाओं ने पहली बार 2012 के ओलंपिक गेम्‍स में हिस्‍सा लिया था। इसके अलावा दिसंबर 2015 में सऊदी अरब ने पहली बार महिलाओं को वोटिंग का अधिकार दिया। इसके तहत महिलाओं को न सिर्फ अपने वोट करने का अधिकार मिला बल्कि उन्‍हें खुद चुनाव में खड़े होने की भी आजादी मिल गई। 2015 में यहां क़रीब तीन करोड़ की आबादी वाले देश में पांच लाख पंजीकृत मतदाता था जिसमें महिलाओं की संख्या केवल 20 फीसद थी।

सऊदी अरब के ऐतिहासिक निर्णय

लगातार बदल रहे सऊदी अरब ने सितंबर 2017 में एक बार फिर बड़ा और ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए महिलाओं को ड्राइविंग का अधिकार दिया। हालांकि यह अधिकार सही मायने में अगले वर्ष यानि 2018 से लागू होना है लेकिन इस तरफ कदम बढ़ाना सऊदी अरब में हो रहे बड़े सुधारों को दुनिया के सामने प्रदर्शित जरूर करता है। वहीं अगर कुछ वर्ष पहले चले जाएं तो महिलाओं को ड्रा‍इविंग का अधिकार मांगने पर उन्‍हें जेल में डाल दिया जाता था। बारिया जो 'महिलाओं गाड़ी चलाएं' अभियान से जुड़ी हुई हैं उन्‍हें पूर्व में इसके लिए 70 दिनों की जेल की सजा भुगतनी पड़ी थी। इसके बाद योग को लेकर लिया गया निर्णय भी सऊदी अरब के 2030 मिशन को साफतौर पर दर्शाता है।

योग को दिया खेलकूद का दर्जा

बीते वर्ष सऊदी अरब ने योग को खेल का दर्जा देकर मुस्लिम कट्टरपंथियों के मुंह पर न सिर्फ तमाचा मारा था बल्कि उनके मुंह पर ताले भी जड़ दिए थे। सऊदी अरब ने भारत की पांच हजार साल पुरानी योग पद्धति को खेलकूद दर्जा देकर न सिर्फ सराहनीय काम किया बल्कि दुनिया में मौजूद इस्‍लामिक राष्‍ट्रों की सोच में बदलाव लाने की भी नींव रखी है। इस फैसले के तहत सरकार अब योग शिक्षकों को भी लाइसेंस जारी करेगी। इस फैसले के बाद कहीं भी योग को सीखा और सिखाया जा सकेगा। हम आपको ये भी बता दें कि योग को यह दर्जा दिलाने के पीछे नाऊफ अल मारावी हैं, जो इसके लिए काफी समय से जद्दोजहद कर रही थीं। यह इसलिए भी बेहद खास हो जाता है, क्योंकि सऊदी अरब इस्लाम की जन्मस्थली है और योग को एक धर्म विशेष से जोड़कर इस पर लंबे समय से राजनीति होती आई है। सऊदी अरब उन 18 देशों में शामिल था, जो 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने के लिए भारत की ओर से संयुक्त राष्ट्र में रखे प्रस्ताव का सह प्रायोजक नहीं थे। ऐसे में सऊदी अरब का यह फैसला अहम है।

विजन 2030

इस मिशन का मकसद पहले ही सऊदी अरब, क्रॉउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान पूरी तरह से साफ कर चुके हैं। उनके विजन 2030 एजेंडे को लागू करने के लिए भविष्य में दूसरे आर्थिक और सामाजिक सुधारों को भी लागू किया जा सकता है। सऊदी अरब महिलाओं को लेकर जिस तरह से अपने फैसले उनके हक में ले रहा है और अपनी कट्टरवादी सोच को बदल रहा है उसका पूरी दुनिया में स्‍वागत किया जा रहा है। उनके इन कदमों को हर तरफ से सराहना मिल रही है। अमेरिका इनकी तारीफ करते हुए कहा है कि यह देश को सही दिशा में ले जाने के लिए बेहतरीन कदम है।


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