पाकिस्तान को लेकर व्यर्थ की कवायद है आतंकी सूची, अंदरखाने हैं सब एक
इतिहास बताता है कि जब-जब आतंकवाद के नाम पर पाकिस्तान पर अंगुली उठाई गई तब तब उनके उन्मूलन के नाम पर उसे मदद में इजाफा होता गया।
[कपिल अग्रवाल] हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद द्वारा जारी आतंकियों व आतंकी संगठनों संबंधी नई सूची में 139 आतंकी पाकिस्तान के होने के बावजूद उसका बाल भी बांका नहीं होने वाला, बल्कि होगा यह कि इन सबके उन्मूलन के नाम पर उसे वैश्विक समुदाय से और ज्यादा सैन्य तथा आर्थिक मदद ऐंठने का मौका मिल जाएगा। इतिहास बताता है कि जब-जब आतंकवाद के नाम पर पाकिस्तान पर अंगुली उठाई गई तब तब उनके उन्मूलन के नाम पर उसे मदद में इजाफा होता गया। दरअसल आतंक व आतंकियों का कोई धर्म-ईमान नहीं होता और उनका उन्मूलन केवल जुबानी निंदा, चेतावनी आदि से नहीं हो सकता इसलिए जब तक ये दिखावटी कवायदें होती रहेंगी तब तक वैश्विक स्तर पर सकारात्मक परिणाम नहीं प्राप्त हो सकते!
सब एक दूसरे के मददगार
पाकिस्तानी हुक्मरानों व शक्तिशाली देशों के दोहरे रवैये इन आशंकाओं की पुष्टि करते हैं कि बाहर से भले ही हो हल्ला मचाया जा रहा हो, अंदरखाने सब एक दूसरे के मददगार ही हैं। सूची जारी होने के बाद पाकिस्तान के एक प्रमुख अखबार एक्सप्रेस टिब्यून ने भी इसी प्रकार की दोहरी नीति के प्रति अपनी सरकार को आगाह किया है। अखबार के मुताबिक आतंकवाद के गढ़ के तमगे व आतंकियों से निजात पाने के लिए पाकिस्तान सरकार और उसकी सेना को अपना दोहरा रवैया त्याग कर कठोर रुख अपनाना होगा। वैश्विक स्तर पर आतंकवाद व पाकिस्तान के मुद्दे पर दरअसल अरसे से दोहरी नीति का खेल बदस्तूर चल रहा है जिसका मुख्य निशाना भारत है। इसी साल की शुरुआत में आतंकवाद के नाम पर अमेरिका द्वारा पाकिस्तान पर तमाम तरह के हल्के प्रतिबंध लगाए जाने के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड टंप ने अचानक साठ अरब डॉलर की मदद आतंक प्रभावितों व आतंक विरोधी अभियानों के नाम पर पाकिस्तान को देने की घोषणा कर दी।
पाकिस्तान की घेराबंदी
उससे पहले जब भारतीय प्रधानमंत्री वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान की घेराबंदी बाबत प्रयासरत थे तो चीन, रूस उसे सैन्य समेत तमाम अन्य आर्थिक मदद प्रदान कर रहे थे। इनकी दलील थी कि आतंकवाद व आतंकियों का उन्मूलन प्रतिबंधों से नहीं, बल्कि उच्च स्तरीय सैन्य सहायता तथा आर्थिक मदद से ही संभव है। उनका कहना था कि प्रतिबंध से आतंकियों का तो कुछ भी नहीं बिगड़ेगा, पर आम जनता बिलबिला जाएगी। चीन की दलील थी कि आतंकी इतने ज्यादा मजबूत हो चुके हैं कि आज बगैर बाहरी मदद के पाकिस्तान या कोई भी अन्य देश उनका उन्मूलन नहीं कर सकता! यह दलील कितनी बेबुनियाद थी यह लिट्टे के मामले को देखते हुए कहा जा सकता है। लिट्टे को एक समय विश्व का सर्वाधिक खतरनाक, सुगठित, अत्याधुनिक व शक्तिशाली आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया गया था, पर तत्कालीन श्रीलंकाई सरकार अपने बलबूते पर उसका उन्मूलन कर पाने में सफल रही थी। यानी सरकार व सेना चाहें तो आतंकवाद का उन्मूलन कोई खास कठिन कार्य नहीं है।
आतंकवादियों का मुकम्मल ठिकाना
हकीकत तो यह है कि पाकिस्तान अब आतंकवादियों का मुकम्मल ठिकाना बन चुका है और यह सब अकेले दो चार दिन में पाकिस्तानी सरकार व उसकी शक्तिशाली सेना के बूते नहीं हुआ है, बल्कि इसमें दशकों से तमाम शक्तिशाली देशों का हाथ है। इसलिए भले ही सूचियां बना ली जाएं या आतंकवादी देश घोषित कर ब्लैकलिस्टेड कर दिया जाए पाकिस्तान का बाल भी बांका नहीं होने वाला। यह ध्यान देने वाली बात है कि भारत के अथक प्रयासों के बावजूद संसार के किसी भी देश ने पाकिस्तान के खिलाफ न तो कोई खास प्रभावी प्रतिबंध लगाया है, न उसका किसी भी क्षेत्र में बहिष्कार किया है और न ही उसके खिलाफ कोई ठोस कदम उठाया है। पाकिस्तान परस्त आतंकवाद की एक और खासियत यह है कि यह केवल भारत पर केंद्रित है और कई शक्तिशाली देश कह चुके हैं कि यह दो देशों का आपसी मामला है और सीधे तौर पर उनका इससे कोई लेना देना नहीं है। और इसीलिए उनके कदम सिर्फ जुबानी निंदा व चेतावनी आदि तक सीमित रहते हैं।
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