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‘ये मोदी है जो सामने वाले को उसी की भाषा में जवाब देना जानता है’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लंदन के वेस्‍टमिनिस्‍टर में आयोजित कार्यक्रम भारत की बात में जहां अपने मन की कई बातों को उजागर किया वहीं श्रोताओं के सवालों के भी जवाब दिए। इस मौके पर गीतकार प्रसुन जोशी ने पीएम मोदी से कई सवाल किए।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 19 Apr 2018 01:06 PM (IST)Updated: Fri, 20 Apr 2018 10:52 AM (IST)
‘ये मोदी है जो सामने वाले को उसी की भाषा में जवाब देना जानता है’
‘ये मोदी है जो सामने वाले को उसी की भाषा में जवाब देना जानता है’

नई दिल्‍ली [स्‍पेशल डेस्क]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लंदन के वेस्‍टमिनिस्‍टर में आयोजित कार्यक्रम भारत की बात में जहां अपने मन की कई बातों को उजागर किया वहीं श्रोताओं के सवालों के भी जवाब दिए। इस मौके पर गीतकार प्रसुन जोशी ने पीएम मोदी से कई सवाल किए। इस दौरान पीएम मोदी ने पिछली सरकारों का भी जिक्र किया तो वहीं सर्जिकल स्‍ट्राइक के बारे में भी खुलकर बात की। इसके अलावा उन्‍होंने अपनी निजी जिंदगी के कुछ पहलुओं को बेहद सादगी के साथ दुनिया के सामने रखा। उन्‍होंने इस दौरान यह भी कहा कि भारतीय संविधान की बदौलत ही एक चाय वाला पीएम की कुर्सी तक पहुंच पाया है। छह दिन के विदेश दौरे में उनका पड़ाव ब्रिटेन बना था। यहां पर उनका रॉयल पैलेस में भव्‍य स्‍वागत किया गया।

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रॉयल पैलेस का अनुभव

पीएम मोदी ने इस अनुभव को वहां बैठे लोगों से बांटते हुए कहा कि ‘रेलवे’ से ‘रॉयल पैलेस’, ये तुकबंदी आपके लिए बड़ी सरल है; लेकिन जिंदगी का रास्‍ता बड़ा कठिन होता है। जहां तक रेलवे स्‍टेशन की बात है, वो मेरी अपनी व्‍यक्तिगत जिंदगी की कहानी है। मेरी जिंदगी के संघर्ष का वो एक स्‍वर्णिम पृष्‍ठ है, जिसने मुझे जीना सिखाया, जूझना सिखाया और जिंदगी अपने लिए नहीं, औरों के लिए भी हो सकती है। ये रेल की पटरियों पर दौड़ती हुई और उससे निकलती हुई आवाज से मैंने बचपन से सीखा, समझा; तो वो मेरी अपनी बात है। लेकिन ‘रॉयल पैलेस’, ये नरेन्‍द्र मोदी का नहीं है। ये मेरी कहानी नहीं है…। उनका कहना था कि वो ‘रॉयल पैलेस’ सवा सौ करोड़ हिन्‍दुस्‍तानियों के संकल्‍प का परिणाम है। उनका कहना था कि देश के साथ न्‍याय के लिए खुद को भुला देना होता है। पीएम मोदी ने कहा कि बीच के स्‍वयं खप जाने के बाद ही पौध होती है।

बदलाव की बयार

इस कार्यक्रम के दौरान उन्‍होंने पिछली सरकारों पर भी जबरदस्‍त प्रहार किया। उनका कहना था कि बीते वर्षों में देश की जनता बेहद लाचार थी। वह मान चुकी थी कि अब कुछ नहीं होने वाला है, ऐसा ही सब चलता रहेगा। इसको लेकर वह पूरी तरह से मायूस हो चुकी थी। लेकिन कोई भी बदलाव सबसे पहले आपकी सोच में आता है फिर वह आपके एक्‍शन में दिखाई देता है। उन्‍होंने एक सवाल के जवाब में यह भी कहा कि मन में संतोष का भाव होना विकास की गति को रोक देता है। इसलिए मन में बेसब्री होना बेहद जरूरी है। जिनका मन में संतोष है बेसब्री नहीं है वह बूढ़े हो चुके हैं। अगर जज्‍बा ही नहीं है तो साइकिल पर चलने वाला कभी मोटर साइकिल पर चलने की नहीं सोचेगा, मोटर साइकिल वाला कभी कार की नहीं सोचेगा।

पूर्व की सरकारों पर प्रहार

पीएम मोदी ने कहा कि एक कालखंड था निराशा की एक गर्त में हम डूब गए थे। और ऐसा लगता था, चलो छोड़ो यार, अब कुछ होने वाला नहीं है, होती है, चलती है । उन्‍होंने इस बात पर खुशी जताई कि लोगों को उनसे कितनी अपेक्षाएं हैं। उन्‍होंने यह भी कहा कि एक समय ऐसा था जब लोगों को काम नहीं था और वो ये उम्‍मीद लगाए रहते थे कि अकाल पड़ जाए तो उन्‍हें गडढ़ा खोदने का ही सही, कुछ काम तो मिल जाए। गुजरात के अनुभव का जिक्र करते हुए उन्‍होंने कहा कि वहां पर जहां पहले सड़क नहीं थी वहां के लोग उनसे सड़क बनवाने की मांग करते थे। फिर डबल रोड़ की सड़क की मांग करते थे। फिर पैबर रोड़ की मांग करते थे। इसकी वजह मुझसे उनकी अपेक्षाएं और उनके मन में अपने विकास को लेकर बेसब्री थी। उनका कहना था कि वो लोग सोचते थे कि मोदी करता है इसलिए उसको ही कहना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि ये बात सही है कि देश ने कभी सोचा नहीं था कि ये देश इतनी तेज गति से काम कर सकता है। एक सवाल के जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि मैं समझता हूं कि जब खुद के लिए कुछ लेना, पाना, बनना होता है, तब वो आशा और निराशा से जुड जाता है। लेकिन जब आप ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ इस संकल्‍प को ले करके चलते हैं; मैं समझता हूं कि निराश कभी होने का कारण नहीं बनता है।

देश पर मर मिटने वालों की कमी नहीं

भारत की बात कार्यक्रम में मौजूद एक युवती के सवाल का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि महात्‍मा गांधी ने जन-सामान्‍य को जोड़ा। सामान्‍य से सामान्‍य व्‍यक्ति को कहते थे अच्‍छा भाई तुम्‍हें देश की आजादी चाहिए ना? ऐसा करो- तुम झाडू़ ले करके सफाई करो, देश को आजादी मिलेगी। तुम्‍हें आजादी चाहिए ना? तुम टीचर हो, अच्‍छी तरह बच्‍चों को पढ़ाओ, देश को आजादी मिलेगी। तुम प्रौढ़ शिक्षा कर सकते हो, करो। तुम खादी का काम कर सकते हो, करो। तुम नौजवानों को मिला करके प्रभात फेरी निकाल सकते हो, निकालो। उन्‍होंने जन-सामान्‍य को उसकी क्षमता के अनुसार काम दे दिया। तुम रेटियां ले करके बैठ जाओ, सूत कातो, देश को आजादी मिल जाएगी। और लोगों को भरोसा हो गया, हां यार, आजादी इससे भी आ सकती है। मैं समझता हूं कि मरने वालों की कमी नहीं थी, देश के लिए मर-मिटने वालों की नहीं थी, लेकिन वो आते थे शहीद हो जाते थे, फिर कोई नया खड़ा होता था, शहीद हो जाता था।

जनता और सरकार के बीच दूरी

पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के बाद देश में ऐसा माहौल बन गया सब कुछ सरकार करेगी, हम कुछ नहीं करेंगे। इसकी वजह से जनता और सरकार के बीच की दूरी लगातार बढ़ती चली गई। उनका कहना था कि ये भागीदारी का काम है। सभी को मिलकर काम करना है। ऐसा उस वक्‍त दिखाई देता है जब कोई प्राकृतिक आपदा हमारे सामने आती है। उस वक्‍त सरकार से पहले वहां समाज होता है। उस वक्‍त वहां लोगों में के दिमाग में उस समस्‍या का समाधान करने की ताकत और जरिया दोनों होता है। जनता-जनार्दन की ताकत बहुत होती है। लोकतंत्र में जनता पर जितना भरोसा करेंगे, जनता को जितना ज्‍यादा जोड़ेंगे, परिणाम मिलेगा।

लोगों की सोच में बदलाव

पीएम मोदी ने कहा कि उनकी सरकार बनने के बाद लोगों की सोच में बदलाव आया। सीनियर सिटिजन के तौर पर मिलने वाले रेलवे कंसेशन भी लोगों ने छोड़ना स्‍वीकार किया। इसके लिए सरकार ने उन लोगों से अपील की जो ऐसा कर सकते हैं। अब तक 40 लाख सीनियर सिटिजन जो एसी में ट्रैवल करने वाले लोग हैं, उन्‍होंने कंसेशन न लेने के लिए लिखा है। आप हैरान हो जाएंगे, हिन्‍दुस्‍तान के करीब-करीब सवा करोड़ से ज्‍यादा परिवारों ने गैस सब्सिडी छोड़ दी। देश में ईमानदार लोगों की कमी नहीं है। देश के लिए जीने-मरने वाले, कुछ न कुछ करने वालों की कमी नहीं है। अगर इसको जबरदस्‍ती या कानूनी सहारा लेकर किया जाता तो प्रदर्शन और जुलूस निकलते।

पाक को जवाब

इस कार्यक्रम के दौरान सर्जिकल स्‍ट्राइक और पाकिस्‍तान से उपजे आतंकवाद से संबंधित एक सवाल के जवाब में उन्‍होंने कहा कि जब कोई टेरे‍रिज्‍म एक्सपोर्ट करने का उद्योग बना करके बैठा हो, मेरे देश के निर्दोष नागरिकों को मौत के घाट उतार दिया जाता हो, युद्ध लड़ने की ताकत नहीं है, पीठ पर प्रयास करने के वार होते हों; तो ये मोदी है, उसी भाषा में जवाब देना जानता है। हमारे जवानों को, टैंट में सोए हुए थे रात में, कुछ बुजदिल आकर उनको मौत के घाट उतार दें? आप में से कोई चाहेगा मैं चुप रहूं? क्‍या उनको ईंट का जवाब पत्‍थर से देना चाहिए कि नहीं देना चाहिए? और इसलिए सर्जिकल स्‍ट्राइक किया और मुझे मेरी सेना पर गर्व है, मेरे जवानों पर गर्व है। जो योजना बनी थी, उसको शत-प्रतिशत ..कोई गलती किए बिना उसे पूरा किया और सूर्योदय होने से पहले सब वापिस लौट कर आ गए। और हमारी नेकदिली देखिए- मैंने हमारे अफसर जो इसको ऑपरेट कर रहे थे, उन्‍हें कहा, कि आप हिन्‍दुस्‍तान को पता चले उससे पहले, मीडिया वहां पहुंचे उससे पहले, पाकिस्‍तान की फौज को फोन करके बता दो कि आज रात हमने ये किया है, ये लाशें वहां पड़ी होंगी, तुम्‍हें समय हो तो जा करके ले आओ।

बदल चुका है हिंदुस्‍तान

हम सुबह 11 बजे से उनको फोन लगाने की कोशिश कर रहे थे, फोन पर आने से डरते थे, आ नहीं रहे थे। 12 बजे वो टेलीफोन पर आए, उनसे बात हुई, उनको बताया गया- ऐसा-ऐसा हुआ है और हमने किया है, और तब जा करके हमने हिन्‍दुस्‍तान के मीडिया को और दुनिया को बताया कि भारत की भारत की सेना का ये अधिकार था न्‍याय को प्राप्‍त करने का और हमने किया। तो सर्जिकल स्‍ट्राइक, ये भारत के वीरों का तो पराक्रम था ही था, लेकिन टेरेरिज्‍म एक्‍सपोर्ट करने वालों को पता होना चाहिए कि अब हिन्‍दुस्‍तान बदल चुका है। 

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