भारतीय संगीत की ज्योत्सना
मशहूर शायर फैज अहमद 'फैज' के सामने जब ज्योत्सना ने गाना गया तो वे हैरान रह गए कि मात्र नौ साल की उम्र में एक लड़की का उर्दू उच्चारण इतना साफ व गला इतना सुरीला है। उसके बाद से ज्योत्सना का सुरों के साथ नाता जीवन भर के लिए जुड़ गया..
मशहूर शायर फैज अहमद 'फैज' के सामने जब ज्योत्सना ने गाना गया तो वे हैरान रह गए कि मात्र नौ साल की उम्र में एक लड़की का उर्दू उच्चारण इतना साफ व गला इतना सुरीला है। उसके बाद से ज्योत्सना का सुरों के साथ नाता जीवन भर के लिए जुड़ गया..
ऐसे शुरू हुआ सुरों का सफर
पिता जगदीश चंद्र भोला आइएएस अधिकारी थे। जगह-जगह पिता का तबादला होना ज्योत्सना के जीवन में संगीत का घर बना गया। पिता के कई ऐसे दोस्त संगीतकार तथा शास्त्रीय संगीत के जानकार भी थे। ऐसे में ज्योत्सना का झुकाव बचपन से ही सुरों की तरफ हो गया और उन्होंने छोटी सी उम्र से ही संगीत साधना शुरू हो गई। एक बार मशहूर शायर फैज अहमद 'फैज' के सामने ज्योत्सना ने गाना गया तो वे हैरान रह गए कि मात्र नौ साल की उम्र में एक हिंदुस्तानी लड़की का उर्दू उच्चारण इतना साफ व गला इतना सुरीला है। फैज ने उसे संगीत की विधिवत तालीम दिलवाने के लिए ज्योत्सना के पिता पर जोर दिया और तभी से ज्योत्सना के साथ सुरों का मजूबत नाता आजीवन के लिए जुड़ गया।
पार्श्व गायन में नहीं रखा कदम
ज्योत्सना के मुताबिक फिल्म निर्देशक बीआर चोपड़ा ज्योत्सना के पिता के बेहद करीब मित्र थे उन्होंने ज्योत्सना का गाना सुनकर उन्हें फिल्मों में आने का न्योता दिया लेकिन उनके पिता जी इसके खिलाफ थे उनका कहना था कि मैं शादी कर दूं, यदि इनके आगे के जीवन में लिखा होगा तो तब अपने इस हुनर को मौका दें, लेकिन बीतते वक्त के साथ भी ज्योत्सना को ऐसा अवसर न मिल सका।
बेहतर स्टेज परफॉरमर
ज्योत्सना पूरे देश में अब तक करीब चार सौ संगीत शो कर चुकी हैं। आज एक अच्छी स्टेज परफॉरमर के रूप में जानी जाती हैं। ज्योत्सना की सूफी संगीत, शास्त्रीय संगीत तथा गजल की प्रस्तुति से श्रोता मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह पाते। चण्डीगढ़ से पढ़ी-लिखी ज्योत्सना ने गुड़गांव में अध्यापिका की नौकरी की और साथ ही साथ उन्होंने अपने शो भी जारी रखे।
संगीत ने मिलाया प्यार से
पंजाबी संस्कृति को जीने वाली ज्योत्सना की शादी उनके अपने समय में अंतर्जातीय थी इस बात को फक्र से मानते हुए ज्योत्सना बताती हैं कि उनके प्यार से भी उन्हें संगीत ने ही मिलाया था। वे चण्डीगढ़ से संगीत में एमए कर रही थीं और पूरी क्लास में वे और उनकी एक सहेली पास हुई थीं। दोनों सहेलियां बाद में अच्छी दोस्त हो गई। घर पर आना-जाना बढ़ा तो सहेली के भाई मनमोहन कुमार राणा से भी मुलाकात हुई जो कि उस समय फ्लाइंग ऑफिसर थे। बढ़ती मुलाकातों के बाद पनपे प्यार को घर वालों की भी सहमति मिल गई। ज्योत्सना के पिता को लगा कि इस घर में ज्योत्सना की प्रतिभा की इज्जत होगी तो उन्होंने शादी कर दी।
नवोदित कलाकारों को देती हैं मंच
ज्योत्सना अपनी परफॉरमेंस देने के साथ साथ ऐसे दर्जनों कलाकारों को भी मंच मुहैया कराया है। ज्योत्सना का कहना है कि संगीत के क्षेत्र में प्रतिभाएं हैं लेकिन उन्हें बेहतर तरीके से मंच नहीं मिल पाता। अपने बेहतर भविष्य की चाहा में संगीत को छोड़कर अन्य कार्यो को रोजगार तलाशते हैं। संगीत को इसका नुकसान झेलना पड़ता है।
संगीत में शुद्धता जरूरी
ज्योत्सना के मुताबिक आजकल संगीत जिस दिशा में जा रहा है वह उन्हें बिलकुल पसंद नहीं। भारतीय शास्त्रीय संगीत अपने आप में समृद्ध है, लेकिन आज युवा उसे आगे बढ़ाने की जगह कानफूड़ू संगीत को तवज्जो दे रहे हैं। उनके मुताबिक संगीत में शुद्धता न हो तो वह संगीत संगीत नहीं होता।
अमेरिका में भी मिला सम्मान
ज्योत्सना को अमेरिका में भी उनकी आवाज के लिए कई सम्मान मिल चुके हैं। साथ ही सुरुचि कला परिवार, रोटरी क्लब व करमबीर पुरस्कार के अलावा अन्य देश भर के विभिन्न संगीत संस्थानों से उन्हें पुरस्कार मिले हैं।
प्रियंका दुबे मेहता
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